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उप्र : लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी सपा, 8 जनवरी को बुलाई अहम बैठक
लखनऊ, 2 जनवरी (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद अब समाजवादी पार्टी ने नए सिरे से तैयारी करनी शुरू कर दी है। वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर सपा ने आठ जनवरी को एक अहम बैठक बुलाई है। इसमें आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर चुनावी तैयारियों पर मंथन किया जाएगा।
सपा कार्यालय से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, आठ जनवरी को विधायकों, पिछले विधानसभा चुनाव के प्रत्याशियों और प्रमुख नेताओं की बैठक बुलाई गई है। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव इस बैठक में चुनावी तैयारियों के संबंध में दिशा-निर्देश देंगे।
सूत्रों ने बताया कि इसमें उन विधानसभा क्षेत्र के चुनिंदा पदाधिकारियों व नेताओं को भी बुलाया गया है जिन पर सपा 2017 का विधानसभा चुनाव नहीं लड़ी थी। इन सीटों को गठबंधन में कांग्रेस के लिए छोड़ दिया गया था।
अखिलेश अपने विधायकों व विधानसभा चुनाव प्रत्याशियों से सियासी हालात का फीडबैक लेंगे और बताएंगे कि प्रदेश सरकार ने नौ महीने में कोई काम नहीं किया है। बदले की भावना से कार्रवाई की जा रही है।
बैठक में बिजली दरों में बेतहाशा वृद्घि, आालू किसानों की बदहाली, कानून व्यवस्था जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी और इन्हें लेकर आंदोलन की रणनीति बनाने पर विचार किया जाएगा।
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जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।
इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।
चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।
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