आध्यात्म
जेकेपी ने अपने तीन शिक्षण संस्थाओं की 4000 छात्राओं में बांटीं जैकेट
मनगढ़ (प्रतापगढ़)। जगद्गुरु कृपालु परिषत् (जेकेपी) की ओर से सोमवार को कृपालु महिला महाविद्यालय, कृपालु बालिका इण्टरमीडिएट कॉलेज और कृपालु महिला महाविद्यालय की लगभग 4 हजार छात्राओं में गरम जैकेट बांटीं गईं। सोमवार को इन जैकेट का वितरण जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की तीनों बेटियों डॉ. विशाखा त्रिपाठी, डॉ. श्यामा त्रिपाठी और डॉ. कृष्णा त्रिपाठी ने एक सादे समारोह में किया। इसके अलावा शिक्षण संस्थाओं में अध्यापन कार्य करा रहे 150 शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों में एक-एक कम्बल तथा स्टील का डिब्बा वितरित किया गया।
उल्लेखनीय है कि बीते कई सालों से जगद्गुरु कृपालु परिषत् एजुकेशन की ओर से कृपालु महिला महाविद्यालय, कृपालु बालिका इण्टरमीडिएट कॉलेज और कृपालु महिला महाविद्यालय का संचालन किया जा रहा है। ये तीनों शिक्षण संस्थायें कुण्डा जैसे ग्रामीण परिवेश की बालिकाओं के लिये अमूल्य वरदान हैं। यहां बालिकाओं को उच्चतम शिक्षा प्रदान कर उन्हें आत्म-निर्भर बनाने का पावन प्रयास किया जा रहा है। इन संस्थाओं में निःशुल्क शिक्षा उपलब्ध कराने के साथ ही यहाँ की छात्राओं को समय-समय पर स्कूली परिधान, स्टेशनरी, जैकेट्स, कम्बल, बर्तन और अनेक प्रकार की दैनिक उपयोग की वस्तुएं भी निःशुल्क दी जाती हैं।
जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की सुपुत्रियाँ डॉ. विशाखा त्रिपाठी, डॉ. श्यामा त्रिपाठी और डॉ. कृष्णा त्रिपाठी जेकेपी की अध्यक्ष हैं। ये तीनों बेटियां श्री महाराज जी के दिखाये मार्ग का अनुसरण करते हुए उन्हीं की तरह निरन्तर सामाजिक उत्थान के कार्यों में पूरी तरह से समर्पित हैं और इन्हीं के कुशल नेतृत्व में शिक्षण संस्थाएं अपने उद्देश्यों को पूरा करने में तत्पर हैं।
आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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