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नेशनल

यूजीसी ने दिया डीम्ड संस्थानों को तगड़ा झटका, 123 के नाम से अब हटेगा ‘यूनिवर्सिटी’ शब्द

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नई दिल्‍ली। डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा रखने वाले देश के 123 उच्च शिक्षण संस्थान अब अपने नाम के साथ यूनिवर्सिटी यानी विश्वविद्यालय शब्द का प्रयोग नहीं कर सकेंगे। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने ऐसे सभी संस्थानों को नोटिस जारी कर एक महीने के भीतर अपने नाम से यूनिवर्सिटी शब्द हटाने के निर्देश दिए हैं।

यूजीसी ने डीम्ड संस्थानों को यह अल्टीमेटम सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के तहत दिया है, जिसमें डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा रखने वाले संस्थानों ने अपने नाम के साथ यूनिवर्सिटी शब्द का इस्तेमाल करने को गलत बताया था।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि डीम्ड संस्थानों की ओर से यूनिवर्सिटी शब्द का इस्तेमाल करने से छात्रों और अभिभावकों में भ्रम पैदा होता है। हालांकि, इस सर्कुलर के जवाब में कई शिक्षण संस्थानों की ओर से कहा गया है कि वे पहले से ही ‘डीम्स टू बी यूनिवर्सिटी’ शब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं।

यूजीसी ने अब डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा रखने वाले सभी संस्थानों से नाम के साथ जुड़े यूनिवर्सिटी शब्द को हटाकर उसकी जगह नाम के साथ बॉक्स में ‘डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी’ या ‘डीम्ड विश्वविद्यालय’ लिखने को कहा है। यूजीसी के सचिव पीके ठाकुर ने इस संबंध में सभी 123 डीम्ड विश्वविद्यालयों को एक नोटिस जारी कर एक महीने के भीतर इसे अमल में लाने और इसकी जानकारी देने को कहा है।

साथ ही यूजीसी ने ‘डीम्ड टु बी यूनिवर्सिटी’ संस्थानों द्वारा अपने नाम के साथ ‘यूनिवर्सिटी’ शब्द के इस्तेमाल को यूजीसी अधिनियम 1956 की धारा 23 का उल्लंघन बताया है। यह उपबंध ‘यूनिवर्सिटी’ शब्द के इस्तेमाल की शर्तों से जुड़ा है। इसके साथ यूजीसी ने चेतावनी दी है कि जो संस्थान इस आदेश का पालन नहीं करेंगे, उन पर यूजीसी (इंस्टीट्यूशंस डीम्ड टु बी यूनिवर्सिटीज) रेगुलेशन, 2016 के तहत कार्रवाई की जाएगी। साथ ही कुछ संस्थानों को हिदायत भी दी गई है।

यहां से हटेगा यूनिवर्सिटी शब्द

यूजीसी के निर्देश के बाद जिन प्रमुख संस्थानों के नाम से अब विश्वविद्यालय शब्द हट जाएगा, उनमें दिल्ली स्थित इंडियन एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट (पूसा), इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेन ट्रेड, इंडियन लॉ इंस्टीट्यूट, जामिया हमदर्द आदि शामिल हैं। इनके अलावा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (बेंगलुरु), सिंबायोसिस युनिवर्सिटी (पुणे), बिट्स पिलानी, बीआईटी मेसरा (रांची), फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (देहरादून), गुरुकुल कागंड़ी विवि (हरिद्वार), गितम यूनिवर्सिटी (विशाखापट्टनम), मानव रचना इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी (फरीदाबाद) जैसे नामी डीम्ड उच्च शिक्षण संस्थानों के नाम से ‘यूनिवर्सिटी’ शब्द हटेगा।

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अमेठी से राहुल गांधी के न लड़ने पर आया स्मृति ईरानी का बयान, कही ये बात

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अमेठी। अमेठी से बीजेपी उम्मीदवार स्मृति ईरानी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर निशाना साधा है। स्मृति ईरानी ने कहा कि अमेठी से गांधी परिवार का ना लड़ना इस बात का संकेत है कि कांग्रेस पार्टी चुनाव में वोट पड़ने से पहले ही अमेठी से अपना हार स्वीकार कर चुकी है।

स्मृति ईरानी ने कहा, “मेहमानों का स्वागत है। हमलोग अतिथियों के स्वागत में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे, इतना ही कह दूं कि अमेठी से गांधी परिवार का ना लड़ना इस बात का संकेत है कि कांग्रेस पार्टी चुनाव में वोट पड़ने से पहले ही अमेठी से अपना हार स्वीकार कर चुकी है। अगर उन्हें लगता कि यहां जीत की कोई भी गुंजाइश हो तो वे यहां से लड़ते।

वहीँ इस मामले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कांग्रेस पर हमला बोला है। मोदी ने पश्चिम बंगाल के बर्धमान में एक चुनावी रैली में कहा कि राहुल गांधी अमेठी से चुनाव लड़ने से डर गए हैं। यही वजह है कि उन्होंने इस बार अमेठी की जगह रायबरेली से चुनाव लड़ने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि राहुल से पहले सोनिया गांधी भी डरकर राजस्थान चली गई थीं।

वहीं कांग्रेस ने अपने इस फैसले का बचाव किया है। इन आलोचनाओं का जवाब कांग्रेस मीडिया सेल के प्रमुख जयराम रमेश ने एक्स पर कहा, ”राहुल गांधी जी की रायबरेली से चुनाव लड़ने की खबर पर बहुत सारे लोगों की बहुत सारी राय है लेकिन वह राजनीति और शतरंज के मंझे हुए खिलाड़ी हैं। वे सोच-समझ कर दांव चलते हैं। ऐसा निर्णय पार्टी के नेतृत्व ने बहुत विचार-विमर्श कर बड़ी रणनीति के तहत लिया है।

उन्होंने लिखा है,” इस निर्णय से बीजेपी,उसके समर्थक और चापलूस धराशायी हो गए हैं.बेचारे स्वयंभू चाणक्य जो ‘रंपरागत सीट’की बात करते थे, उनको समझ नहीं आ रहा अब क्या करें? रायबरेली सिर्फ सोनिया जी की नहीं, खुद इंदिरा गांधी जी की सीट रही है.यह विरासत नहीं ज़िम्मेदारी है, कर्तव्य है।

उन्होंने लिखा है, ”रही बात गांधी परिवार के गढ़ की, तो अमेठी-रायबरेली ही नहीं, उत्तर से दक्षिण तक पूरा देश गांधी परिवार का गढ़ है। राहुल गांधी तो तीन बार उत्तर प्रदेश से और एक बार केरल से सांसद बन गए, लेकिन मोदी जी विंध्याचल से नीचे जाकर चुनाव लड़ने की हिम्मत क्यों नहीं जुटा पाए?”

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