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अन्तर्राष्ट्रीय

नडेला ने की ट्रंप की आलोचना

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सैन फ्रांसिस्को, 1 सितम्बर (आईएएनएस)| अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा डेफर्ड एक्शन फॉर चाइल्डहुट अराइवल्स (डीएसीए) कार्यक्रम को वापस लेने की खबरों को लेकर माइक्रोसॉफ्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सत्या नडेला और मुख्य कानूनी अधिकार ब्रैड स्मिथ ने राष्ट्रपति के रुख की आलोचना की है। डीएसीए कार्यक्रम को अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने शुरू किया था, ताकि वैध दस्तावेजों ेके बिना रह रहे इस प्रकार के लाखों युवाओं को निर्वासन से बचाया जा सके।

नडेला और स्मिथ ने अलग-अलग बयान जारी कर ट्रंप के रुख की आलोचना की है।

स्मिथ ने गुरुवार को एक ब्लॉग पोस्ट में कहा, हम डीएसीए में बदलाव की खबरों को सुनकर काफी चिंतित हैं। इन परिवर्तनों से न सिर्फ समूचे अमेरिका के हजारों मेहनती लोगों पर असर पड़ेगा, बल्कि यह हमारे देश को एक कदम पीछे ले जाएगा।

माइक्रोसॉफ्ट के अधिकारी ने कहा कि इसे हटाने के महत्वपूर्ण आर्थिक परिणाम होंगे और अमेरिकी अर्थव्यस्था पर इसका असर पड़ेगा और जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में 460.3 अरब तथा सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए इकट्ठा होने वाले राजस्व में 24.6 अरब डॉलर की कमी आएगी।

उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम को खत्म करने से देश को प्रतिभा का नुकसान होगा। माइक्रोसॉफ्ट ने खुद 27 डीएसीए लाभार्थियों को काम पर रखा है।

इसके बाद नडेला ने एक अलग पोस्ट में कहा कि यह घोषणा उन्हें दो चीजों की याद दिलाती है। उन्होंने कहा, पहली वे स्थायी सिद्धांत और मूल्य है, जो अमेरिका को अमेरिका बनाते हैं और दूसरी खुद उनकी निजी कहानी है। मैं इन्ही विशिष्ट अमेरिकी विशेषताओं का उत्पाद हूं। यहां की प्रबुद्ध आव्रजन नीति ने मुझे मेरे सपनों को पूरा करने में मदद की।

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अन्तर्राष्ट्रीय

भारत में अवसरों की भरमार, पीएम मोदी के नेतृत्व में 10 सालों में देश ने अच्छी प्रगति की : वॉरेन बफे

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नई दिल्ली। बर्कशायर हैथवे के चेयरमैन और सीईओ वॉरेन बफे भारत की निवेश की संभावनाओं को लेकर काफी उत्साहित हैं। उन्होंने रविवार को कंपनी की सालाना बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि भारत में अवसरों की भरमार हैं। उन्होंने कहा कि भारत अब 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। बीते दस सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में देश ने सभी आर्थिक मानदंडों में अच्छी प्रगति की है। अब लगभग 3.7 ट्रिलियन डॉलर (अनुमान वित्त वर्ष 2023-24) की जीडीपी के साथ भारत आर्थिक रूप से पांचवां सबसे बड़ा देश है। एक दशक पहले देश 1.9 ट्रिलियन डॉलर (मौजूदा बाजार मूल्य) की जीडीपी के साथ भारत 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था। वित्त मंत्रालय के अनुसार, इस 10 साल की यात्रा में कई रिफॉर्म हुए जिसने देश को आर्थिक रूप से आगे बढ़ाया है।

रविवार को अपनी कंपनी की वार्षिक बैठक में वॉरेन बफेट ने कहा, भारत में नई संभावनाओं का पता लगाएं। यहां ऐसे क्षेत्र हो सकते हैं जिनको सर्च नहीं किया गया है या यहां मौजूद अवसरों पर ध्यान नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा, मुझे यकीन है कि भारत में बहुत सारे अवसर हैं। सवाल यह है कि क्या हमें उनके बारे में जानकारी है, जिसमें हम भाग लेना चाहेंगे। बफेट देश में संभावित प्रवेश की तलाश में हैं। भारत की जीडीपी ग्रोथ एक नए शिखर पर पहुंचने के लिए तैयार है। विनिर्माण और ऑटोमोबाइल जैसे सेक्टरों ने फिर से सुधार देखना शुरू कर दिया है और जीएसटी कलेक्शन नई ऊंचाई हासिल कर रहा है।

आरबीआई के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, भारत की जीडीपी ग्रोथ महामारी से पहले 2020 के दौरान दर्ज की गई 7 प्रतिशत से ऊपर बढ़ने के संकेत हैं। आईएमएफ के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, 2004 में भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी 635 डॉलर थी। 2024 में देश की प्रति व्यक्ति जीडीपी बढ़कर 2,850 डॉलर हो गई है, जो इसके समकक्ष देशों के लिए 6,770 डॉलर का 42 प्रतिशत है। इस महीने की शुरुआत में जारी एचएसबीसी सर्वे के अनुसार, मजबूत मांग के कारण भारत का विनिर्माण सेक्टर अप्रैल में मजबूत गति से बढ़ा। इसके अलावा विश्व चुनौतियों के बावजूद, एक लाख से अधिक स्टार्टअप और 100 से ज्यादा यूनिकॉर्न के साथ देश ग्लोबल स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा टेक स्टार्टअप इकोसिस्टम बना हुआ है।

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