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जीएसटी बेहद सुचारू तरीके से लागू होगा, नहीं होगी कड़ाई : जेटली

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नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को आश्वस्त किया कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था का क्रियान्वयन ‘बेहद सुचारू’ तरीके से होगा।

साथ ही उन्होंने वादा किया कि प्रशासन बेहद उदारता बरतेगा और पहले दो महीने तक इसके क्रियान्वयन में किसी तरह की कड़ाई नहीं की जाएगी। उन्होंने हालांकि यह स्वीकार किया कि व्यापक बदलाव में थोड़ी बहुत परेशानी होगी और कहा कि समय के साथ चीजें आसान हो जाएंगी।

वित्त मंत्री ने कहा, “मुझे लगता है कि जीएसटी का क्रियान्वयन जितना संभव हो सकेगा, उतने सुचारू रूप से किया जाएगा। जब व्यापक बदलाव होता है, तो एक अज्ञात अनिश्चितता का तत्व होता है और चीजें जब अज्ञात होती हैं,  तो डर भी होता है। पूरी प्रक्रिया बदलेगी। कुछ मामूली दिक्कतें पेश आएंगी..मुझे लगता है कि यह कुछ ही दिनों की बात है।”

आज तक जीएसटी कॉन्क्लेव में वित्त मंत्री एक सवाल का जवाब दे रहे थे कि नई कर व्यवस्था के सुचारू रूप से लागू होने की उन्हें कितनी उम्मीद है।उन्होंने कहा, “पहले दो महीने तक हम बेहद उदारता से पेश आएंगे। दो महीनों के लिए हमने कई तरह की छूट दी है, क्योंकि हम नई व्यवस्था में प्रवेश करने जा रहे हैं।”

जेटली ने कहा, “जागरूकता की कमी के कारण खामियां हो सकती हैं। किसी भी तकनीक में खामी संभव है। लेकिन खामियों को तत्काल दूर कर लिया जाना चाहिए।”

उन्होंने कहा कि जीएसटी को एक जुलाई से लागू करने का फैसला उनका अपना नहीं, बल्कि जीएसटी परिषद का था। वित्त मंत्री ने कहा, “पिछले साल संविधान संशोधन 15 सितंबर तक मान्य था। 15 सितंबर के बाद हमें कर मुक्त व्यवस्था करनी होती। संविधान इसकी इजाजत नहीं देता। अगर हम छह महीने तक इसे स्थगित कर दें, तो समाज में अराजकता फैल जाएगी।”

उन्होंने कहा कि कर की एक से अधिक दर महंगाई पर नजर रखने के लिए चुनी गई थी। जेटली ने कहा, “मुद्रास्फीति को रोकने के लिए कर की एक से अधिक दर की जरूरत है। मुद्रास्फीति से संबंधित प्रभाव को रोकने के लिए कर की 12, 18 फीसदी दरें आवश्यक है। बाद में उन्हें 15 फीसदी किया जा सकता है।”

उन्होंने कहा, “अगर आप करों की संपूर्ण दर तथा गुड्स बास्केट पर निगाह डालेंगे तो राजस्व बढ़ेगा, लेकिन बोझ घटेगा।” जेटली ने हालांकि यह कहने से मना कर दिया कि सकल घरेलू उत्पाद विकास (जीडीपी) दर को बढ़ावा देने में जीएसटी कितना कारगर साबित होगा।

उन्होंने कहा, “अगर नए कानून का कड़ाई से अनुपालन किया जाएगा, तो अर्थव्यवस्था में विकास होगा और सरकार का राजस्व बढ़ेगा। साथ ही अर्थव्यवस्था की दक्षता में भी इजाफा होगा।”

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कोर्ट ने बृजभूषण से पूछा- आप गलती मानते हैं, बोले- सवाल ही उठता, मेरे पास बेगुनाही के सारे सबूत

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नई दिल्ली। महिला पहलवानों से यौन शोषण मामले में भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह मंगलवार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश हुए। कोर्ट ने उन्हें उनके खिलाफ तय किए आरोप पढ़कर सुनाए। इसके बाद कोर्ट ने बृजभूषण से पूछा कि आप अपने ऊपर लगाए गए आरोप स्वीकार करते हैं? इस पर बृजभूषण ने कहा कि गलती की ही नहीं मानने का सवाल ही नहीं उठता। इस दौरान कुश्ती संघ के पूर्व सहायक सचिव विनोद तोमर ने भी स्वयं को बेकसूर बताया। तोमर ने कहा कि हमनें कभी भी किसी पहलवान को घर पर बुलाकर न तो डांटा है और न ही धमकाया है। सभी आरोप झूठे हैं।

मीडिया द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या आरोपों के कारण उन्हें चुनावी टिकट की कीमत चुकानी पड़ी, इस पर बृजभूषण सिंह ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “मेरे बेटे को टिकट मिला है।” बता दें कि उत्तर प्रदेश से छह बार सांसद रहे बृजभूषण शरण सिंह को इस बार भाजपा ने टिकट नहीं दिया है। पार्टी उनकी बजाय, उनके बेटे करण भूषण सिंह को कैसरगंज सीट से टिकट दिया है, जिसका बृजभूषण तीन बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

बृजभूषण सिंह ने सीसीटीवी रिकाॅर्ड और दस्तावेजों से जुड़े अन्य विवरण मांगने के लिए बृजभूषण सिंह ने आवेदन दायर किया है। उनके वकील ने कहा कि उनके दौरे आधिकारिक थे। मैं विदेश में उसी होटल में कभी नहीं ठहरा जहां खिलाड़ी स्टे करते थे। वहीं दिल्ली कार्यालय की घटनाओं के दौरान भी मैं दिल्ली में नहीं था। बता दें कि कोर्ट इस मामले में जल्द ही अपना फैसला सुना सकता है। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि एमपी-एमएलए मामलों में लंबी तारीखें नहीं दी जाएं। हम 10 दिन से अधिक की तारीख नहीं दे सकते।

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