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अन्तर्राष्ट्रीय

पाक को आतंकी देश घोषित करने का बिल यूएस संसद में पेश

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वाशिंगटन। अमेरिका के एक प्रभावशाली सांसद ने पाक को आतंकवाद प्रायोजक देश घोषित करने का बिल संसद में पेश किया है। दोनों देशों के रिश्तों में खटास के बीच छह माह में दूसरी बार ऐसा विधेयक अमेरिकी संसद में आया है। सदन की आतंकवाद संबंधी उपसमिति के अध्यक्ष टेड पो ने निचले सदन प्रतिनिधि सभा में गुरुवार को यह विधेयक पेश किया।

पो ने कहा, पाक न सिर्फ एक गैर भरोसेमंद सहयोगी है बल्कि उसने वर्षों तक अमेरिका के कट्टर शत्रु की सहायता भी की। ओसामा बिन लादेन को पनाह देने से लेकर हक्कानी नेटवर्क से नजदीकी रिश्ते इस बात के सबूत हैं कि आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में पाकिस्तान किसके साथ है।

सांसद ने कहा कि यही वक्त है जब हमें पाकिस्तान को उसकी धोखाधड़ी के लिए सहायता देना बंद करना चाहिए और उसे आतंकवाद का प्रायोजक देश घोषित किया जाए। बिल में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से 90 दिन के भीतर यह बताने को कहा गया है कि क्या पाक ने अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद से निपटने में सहयोग दिया है।

इसके 30 दिन के बाद विदेश मंत्री फॉलोअप रिपोर्ट दाखिल कर बताएंगे कि यह फैसला क्यों नहीं लिया गया। उनका कहना है कि भारत के साथ भी अमेरिका के कुछ नीतिगत मतभेद हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा, आतंकवाद जैसे मुद्दों पर दोनों देश एक साथ हैं।

पो ने बुश प्रशासन में रक्षा अधिकारी रहे जेम्स क्लॉड के साथ लिखे एक लेख में भी पाक की बखिया उधेड़ी। उन्होंने तर्क दिया कि पाकिस्तान के बर्ताव को बदलने के सारे प्रयास असफल हो चुके हैं। अब वक्त है कि अमेरिका खुद अपने दखल की सीमा को निर्धारित करे।

लेख में कहा गया कि पाकिस्तान का आतंकवाद से पीड़ित होने और कमजोर देश होने का बहाना नहीं चलेगा और अब वह अमेरिका से लगातार मदद नहीं मांग सकता। पाक को सशर्त मदद देने का फार्मूला भी कारगर नहीं रहा है।

लेख के अनुसार, अगर पाकिस्तान चीन की ओर झुकाव रखता है तो आईएमएफ से पाक को मिले कर्ज के चुकाने में मदद जैसे प्रयास अमेरिका को बंद करने होंगे। चीन-पाक आर्थिक गलियारे के तहत वन बेल्ट-वन रोड को भी दोनों ने खतरनाक बताया।

अमेरिकी सेना के एक शीर्ष जनरल ने कहा है कि पाक सेना तालिबान और हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई में गंभीरता दिखाए। अमेरिकी मध्य कमान के कमांडर जनरल जोसेफ वोटेल ने सीनेट समिति के समक्ष कहा कि पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने उन आतंकी समूहों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है, जिनके खिलाफ पहले वे नहीं लड़ते थे।

 

अन्तर्राष्ट्रीय

भारत में अवसरों की भरमार, पीएम मोदी के नेतृत्व में 10 सालों में देश ने अच्छी प्रगति की : वॉरेन बफे

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नई दिल्ली। बर्कशायर हैथवे के चेयरमैन और सीईओ वॉरेन बफे भारत की निवेश की संभावनाओं को लेकर काफी उत्साहित हैं। उन्होंने रविवार को कंपनी की सालाना बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि भारत में अवसरों की भरमार हैं। उन्होंने कहा कि भारत अब 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। बीते दस सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में देश ने सभी आर्थिक मानदंडों में अच्छी प्रगति की है। अब लगभग 3.7 ट्रिलियन डॉलर (अनुमान वित्त वर्ष 2023-24) की जीडीपी के साथ भारत आर्थिक रूप से पांचवां सबसे बड़ा देश है। एक दशक पहले देश 1.9 ट्रिलियन डॉलर (मौजूदा बाजार मूल्य) की जीडीपी के साथ भारत 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था। वित्त मंत्रालय के अनुसार, इस 10 साल की यात्रा में कई रिफॉर्म हुए जिसने देश को आर्थिक रूप से आगे बढ़ाया है।

रविवार को अपनी कंपनी की वार्षिक बैठक में वॉरेन बफेट ने कहा, भारत में नई संभावनाओं का पता लगाएं। यहां ऐसे क्षेत्र हो सकते हैं जिनको सर्च नहीं किया गया है या यहां मौजूद अवसरों पर ध्यान नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा, मुझे यकीन है कि भारत में बहुत सारे अवसर हैं। सवाल यह है कि क्या हमें उनके बारे में जानकारी है, जिसमें हम भाग लेना चाहेंगे। बफेट देश में संभावित प्रवेश की तलाश में हैं। भारत की जीडीपी ग्रोथ एक नए शिखर पर पहुंचने के लिए तैयार है। विनिर्माण और ऑटोमोबाइल जैसे सेक्टरों ने फिर से सुधार देखना शुरू कर दिया है और जीएसटी कलेक्शन नई ऊंचाई हासिल कर रहा है।

आरबीआई के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, भारत की जीडीपी ग्रोथ महामारी से पहले 2020 के दौरान दर्ज की गई 7 प्रतिशत से ऊपर बढ़ने के संकेत हैं। आईएमएफ के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, 2004 में भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी 635 डॉलर थी। 2024 में देश की प्रति व्यक्ति जीडीपी बढ़कर 2,850 डॉलर हो गई है, जो इसके समकक्ष देशों के लिए 6,770 डॉलर का 42 प्रतिशत है। इस महीने की शुरुआत में जारी एचएसबीसी सर्वे के अनुसार, मजबूत मांग के कारण भारत का विनिर्माण सेक्टर अप्रैल में मजबूत गति से बढ़ा। इसके अलावा विश्व चुनौतियों के बावजूद, एक लाख से अधिक स्टार्टअप और 100 से ज्यादा यूनिकॉर्न के साथ देश ग्लोबल स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा टेक स्टार्टअप इकोसिस्टम बना हुआ है।

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