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अन्तर्राष्ट्रीय

पाकिस्तान ने भारत से भावी जल विद्युत परियोजनाओं की जानकारी मांगी

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Ishaak daarइस्लामाबाद। भारत द्वारा शुरू की गईं दो विवादित जलविद्युत परियोजनाओं के बीच, पाकिस्तान ने पड़ोसी देश में पश्चिमी नदियों पर प्रस्तावित सभी बांधों और जल विद्युत परियोजनाओं के बारे में विश्व बैंक और नई दिल्ली से जानकारी मांगी है।

समाचार पत्र ‘डॉन’ की वेबसाइट के अनुसार, पाकिस्तान के वित्तमंत्री इशाक डार ने गुरुवार को एक बैठक में अन्य मंत्रियों से कहा कि न केवल चल रही किशनगंगा और रातले परियोजनाओं के बारे में, बल्कि भारत को चाहिए कि वह सभी भावी परियोजनाओं के बारे में सूचित करे, ताकि दोनों पड़ोसियों के बीच साल 1960 में हुई सिंधु जल संधि का अनुपालन ठीक ढंग से हो सके।

बैठक में विश्व बैंक में पाकिस्तान के कार्यकारी निदेशक नासिर महमूद खोसा और कई अन्य मंत्री तथा जल एवं बिजली मंत्रालय के प्रतिनिधि उपस्थित थे। बैठक में कहा गया कि दो महीने पहले विश्व बैंक द्वारा प्रक्रिया पर रोक लगाए जाने से पहले विश्व बैंक के अध्यक्ष ने एक पंचाट के न्यायाधीशों की नियुक्तियों के संबंध में बहुत कुछ किया था।

महान्यायवादी अश्तर आसफ ने कहा, “इसका तात्पर्य यह है कि विश्व बैंक आश्वस्त था और उसने पाकिस्तानी रुख को स्वीकार किया था।” आसफ ने कहा कि डिजाइन और स्थान के साथ सभी आगामी परियोजनाओं की विस्तृत तकनीकी जानकारियां साझा की जानी चाहिए, ताकि इस्लामाबाद उनकी पुख्ता जांच कर सके और वे जब तब समस्या उत्पन्न नहीं कर पाएं। साथ ही संधि सुचारु ढंग से कार्य कर पाए।

ऑसफ के अनुसार, विश्व बैंक की मुख्य कार्यकारी अधिकारी क्रिस्टलिना आई. जॉर्जिएवा इस विषय पर बातचीत के लिए 26 जनवरी को यहां आएंगी। संधि के अनुसार, तीन पूर्वी नदियां -ब्यास, सतलज और रावी- भारत को दी गई थी, जबकि तीन पश्चिमी नदियां- सिंधु, चेनाब और झेलम पाकिस्तान को मिली थीं।

अन्तर्राष्ट्रीय

भारत में अवसरों की भरमार, पीएम मोदी के नेतृत्व में 10 सालों में देश ने अच्छी प्रगति की : वॉरेन बफे

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नई दिल्ली। बर्कशायर हैथवे के चेयरमैन और सीईओ वॉरेन बफे भारत की निवेश की संभावनाओं को लेकर काफी उत्साहित हैं। उन्होंने रविवार को कंपनी की सालाना बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि भारत में अवसरों की भरमार हैं। उन्होंने कहा कि भारत अब 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। बीते दस सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में देश ने सभी आर्थिक मानदंडों में अच्छी प्रगति की है। अब लगभग 3.7 ट्रिलियन डॉलर (अनुमान वित्त वर्ष 2023-24) की जीडीपी के साथ भारत आर्थिक रूप से पांचवां सबसे बड़ा देश है। एक दशक पहले देश 1.9 ट्रिलियन डॉलर (मौजूदा बाजार मूल्य) की जीडीपी के साथ भारत 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था। वित्त मंत्रालय के अनुसार, इस 10 साल की यात्रा में कई रिफॉर्म हुए जिसने देश को आर्थिक रूप से आगे बढ़ाया है।

रविवार को अपनी कंपनी की वार्षिक बैठक में वॉरेन बफेट ने कहा, भारत में नई संभावनाओं का पता लगाएं। यहां ऐसे क्षेत्र हो सकते हैं जिनको सर्च नहीं किया गया है या यहां मौजूद अवसरों पर ध्यान नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा, मुझे यकीन है कि भारत में बहुत सारे अवसर हैं। सवाल यह है कि क्या हमें उनके बारे में जानकारी है, जिसमें हम भाग लेना चाहेंगे। बफेट देश में संभावित प्रवेश की तलाश में हैं। भारत की जीडीपी ग्रोथ एक नए शिखर पर पहुंचने के लिए तैयार है। विनिर्माण और ऑटोमोबाइल जैसे सेक्टरों ने फिर से सुधार देखना शुरू कर दिया है और जीएसटी कलेक्शन नई ऊंचाई हासिल कर रहा है।

आरबीआई के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, भारत की जीडीपी ग्रोथ महामारी से पहले 2020 के दौरान दर्ज की गई 7 प्रतिशत से ऊपर बढ़ने के संकेत हैं। आईएमएफ के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, 2004 में भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी 635 डॉलर थी। 2024 में देश की प्रति व्यक्ति जीडीपी बढ़कर 2,850 डॉलर हो गई है, जो इसके समकक्ष देशों के लिए 6,770 डॉलर का 42 प्रतिशत है। इस महीने की शुरुआत में जारी एचएसबीसी सर्वे के अनुसार, मजबूत मांग के कारण भारत का विनिर्माण सेक्टर अप्रैल में मजबूत गति से बढ़ा। इसके अलावा विश्व चुनौतियों के बावजूद, एक लाख से अधिक स्टार्टअप और 100 से ज्यादा यूनिकॉर्न के साथ देश ग्लोबल स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा टेक स्टार्टअप इकोसिस्टम बना हुआ है।

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