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दाऊद पर पीएम को कोई खुला खत नहीं लिखा : सुनील ग्रोवर
मुंबई। अभिनेता एवं हास्य कलाकार सुनील ग्रोवर ने कहा है कि ‘काफी विद डी’ फिल्म के निर्माताओं के दावे के उलट उन्होंने कभी भी अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम को पकड़ने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कोई खुला पत्र नहीं लिखा।
‘काफी विद डी’ में सुनील केंद्रीय भूमिका में हैं। बीते दिसम्बर माह में मोदी को संबोधित सुनील ग्रोवर का एक पत्र मीडिया को दिया गया था। इसमें कहा गया था कि 1993 के मुंबई बम धमाकों में दाऊद के शामिल होने के मामले में कार्रवाई की प्रक्रिया को तेज किया जाए।
‘काफी विद डी’ के प्रचारक ने यह पत्र आईएएनएस को भी दिया था। यह फिल्म एक ऐसे पत्रकार की कहानी है जो दाऊद इब्राहिम का साक्षात्कार लेना चाहता है और अंत में इसे लेने में कामयाब होता है। सुनील ने इस फिल्म के प्रचार से खुद को अलग किया हुआ है। उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी कोई पत्र नहीं लिखा।
सुनील ने कहा, “मैंने कभी कोई खुला पत्र मोदीजी के नाम नहीं लिखा। जो कोई भी मुझे जानता है, उसे पता है कि यह मेरी भाषा नहीं है। फिल्म निर्माताओं ने पत्र बगैर मेरी सहमति के जारी कर दिया।” फिल्म के निर्देशक विशाल मिश्रा और निर्माता विनोद रहाणी का कहना है कि उन्हें धमकी भरी फोन काल मिल रही हैं। वे इस बात से भी नाखुश हैं कि सुनील फिल्म को प्रमोट नहीं कर रहे हैं।
सुनील ने फिल्म का प्रचार न करने को सही बताते हुए कहा, “सीधी सी बात है। मुझे फिल्म (अंतिम रूप से तैयार) नहीं दिखाई गई है। मुझे नहीं पता कि इसमें क्या है। मैं विशाल मिश्रा से लगातार कहता रहा कि मुझे फिल्म दिखा दें और वह बस कहते रहे कि मुझे फिल्म दिखाई जाएगी। लेकिन, आखिरकार उन्होंने मुझे फिल्म नहीं दिखाई। आज-कल-आज-कल में वक्त निकल गया। अब बहुत देर हो चुकी है।”
यह पूछने पर कि उन्हें फिल्म क्यों नहीं दिखाई गई, सुनील ने कहा, “मैं नहीं जानता। केवल वही (फिल्म निर्देशक-निर्माता) इसका जवाब दे सकते हैं। लेकिन, जैसे ही मुझे अहसास हुआ कि वे मुझे फिल्म नहीं दिखाएंगे, मैंने इसके प्रचार से खुद को अलग कर लिया।”
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जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।
इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।
चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।
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