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प्रादेशिक

बुंदेलखंड : ‘द्वीज’ का बदला ‘तीज’ में लेंगे अफजल?

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समाजवादी पार्टी, सपा, हसनुद्दीन सिद्दीकी, बसपा, राष्ट्रीय महासचिव, शिवपाल सिंह यादव

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समाजवादी पार्टी, सपा, हसनुद्दीन सिद्दीकी, बसपा, राष्ट्रीय महासचिव, शिवपाल सिंह यादवबांदा  | उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) ने विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के राष्ट्रीय महासचिव नसीमुद्दीन सिद्दीकी के सगे छोटे भाई हसनुद्दीन सिद्दीकी को बांदा विधानसभा (सदर) सीट से उम्मीदवार घोषित कर बसपा और कांग्रेस की गणित में उलटफेर कर दिया है।

चुनाव में हसनुद्दीन को अपने सगे भतीजे अफजल के विरोध की कड़ी चुनौती मिलने के आसार हैं, क्योंकि लोकसभा चुनाव में फतेहपुर संसदीय क्षेत्र से अफजल को हराने में सपा की ओर हसन ने ही कमान संभाली थी। माना जा रहा है कि अफजल ‘द्वीज’ का बदला ‘तीज’ में जरूर लेंगे।

बसपा के राष्ट्रीय महासचिव और उत्तर प्रदेश विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष नसीमुद्दीन सिद्दीकी जहां अंबेडकरवादी विचारधारा से जुड़े हैं, वहीं राष्ट्रीय स्तर के वॉलीबॉल खिलाड़ी रहे उनके सगे छोटे भाई हसनुद्दीन सिद्दीकी रेलवे विभाग की नौकरी छोड़कर सामाजिक क्षेत्र में कार्य कर चर्चित हुए और बाद में नवंबर 2011 में समाजवादी विचारधारा से जुड़े।

वरिष्ठ सपा नेता शिवपाल सिंह यादव के खेमे में गिने जा रहे हसन अखिलेश के सपा प्रदेश अध्यक्ष रहते प्रदेश सचिव भी रहे। लोकसभा चुनाव में बसपा ने नसीमुद्दीन के बेटे अफजल को फतेहपुर सीट से चुनाव मैदान में उतारा तो सपा ने हसनुद्दीन को हराने की जिम्मेदारी सौंप ‘नहले पे दहला’ मार दिया था, आखिकार अफजल भारी मतों से चुनाव हार गए।

बांदा शहर के खाईपार मतदान केंद्र पर नसीम के सगे खानदानी परिवार के 67 मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में दर्ज हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में इस बूथ पर बसपा उम्मीदवार को सिर्फ 32 मत मिले थे और नसीम परिवार के शेष अन्य मत सपा के पाले में चले गए थे।

मतगणना के बाद नसीम की काफी किरकिरी हुई थी। नसीम और हसन के बीच पहले से ही संपत्ति बंटवारे को लेकर छत्तीस के आंकड़े रहे हैं। हसन अपने भाई पर ‘बेईमानी’ करने के आरोप जड़ते रहे हैं। माना जा रहा है कि संपत्ति विवाद ने ही हसन को सपाई बना दिया है।

सपा के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने शनिवार को जारी 32 उम्मीदवारों की सूची में बांदा सदर विधानसभा सीट से हसनुद्दीन का नाम शामिल कर बसपा, कांग्रेस की राजनीतिक गणित में उलटफेर कर दिया है। यहां से कांग्रेस के विवेक सिंह लगातार तीसरी बार विधायक हैं। बांदा शहर के मुस्लिम वर्ग व्यक्तिगत रूप से विवेक सिंह का वोट बैंक माना जाता रहा है।

इस सीट से साल 1989 के चुनाव में 21 हजार मत पाकर पहली बार नसीमुद्दीन बसपा से विधायक बने थे, लेकिन राम लहर के चलते 1993 के चुनाव में वह 42 हजार से ज्यादा मत पाकर भाजपा के राजकुमार शिवहरे से चुनाव हार गए थे। तब से अब तक बसपा उन्हें एमएलसी ही नियुक्त करती आई है।

बसपा ने यहां से बाबू सिंह कुशवाहा की कमी पूरी करने की गरज से कभी सपा में रहे डॉ. मधुसूदन कुशवाहा को अपना उम्मीदवार पहले ही घोषित कर दिया था। हसन के मैदान में आ जाने से बसपा और कांग्रेस की राजनीतिक गणित गड़बड़ा गई है। लेकिन अहम बात यह है कि कई बार नसीमुद्दीन के बेटे अपने ‘चच्चा’ हसन पर ही फतेहपुर लोकसभा सीट से हार का ठीकरा फोड़ा है।

अब जब हसन सपा से विधायकी का चुनाव लड़ने वाले ही हैं, तब निश्चित तौर पर अफजल और उनके ‘अब्बू’ नसीम उन्हें हरा कर ‘द्वीज’ का बदला ‘तीज’ में लेने की कसरत करेंगे। हालांकि, बांदा में अफजल की कोई खास पहचान नहीं है। रविवार को फोन पर हसनुद्दीन सिद्दीकी ने कहा कि पार्टी ने उन पर भरोसा जताया है, वह खरा उतरने की पूरी कोशिश करेंगे।

उन्होंने कहा कि बड़े भाई और भतीजे के बारे सभी जानते हैं, दोनों जमीनी नेता नहीं है। उनके विरोध का असर मुस्लिम वर्ग या परिवार में नहीं होगा। जबकि अफजल ने फोन पर कहा कि उनके पिता (नसीमुद्दीन) ने बसपा सरकार में बांदा जिले के लिए मेडिकल कॉलेज, कृषि विश्वविद्यालय और इंजीनियरिंग कॉलेज जैसी कई सौगातें दी हैं, इसलिए ‘चच्चू’ की हार तय है और सदर सीट से बसपा उम्मीदवार ही जीतेगा।

उधर, बुजुर्ग वामपंथी राजनीतिक विश्लेषक रणवीर सिंह चौहान एड़ का कहना है कि सपा से हसन के चुनाव लड़ने पर सबसे ज्यादा कांग्रेस के विवेक सिंह का नुकसान होगा, चूंकि मुस्लिम मतदाता न चाहते हुए भी भाजपा के विरोध में कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया करते हैं। यहां सपा, बसपा और कांग्रेस के बिगड़ते समीकरण से भाजपा को फायदा हो सकता है।

 

ऑफ़बीट

ज्वैलर बाप-बेटे ने अमेरिकी महिला से की ठगी, 300 रु वाली ज्वैलरी 6 करोड़ में बेची

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जयपुर। राजस्थान की राजधानी जयपुर में धोखाधड़ी का एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां एक ज्वैलर बाप-बेटे की जोड़ी ने एक अमेरिकी महिला को चूना लगाते हुए 300 रु वाली ज्वेलरी 6 करोड़ में बेच दी। ज्वैलरी खरीदकर महिला वापस अमेरका लौट गई। दो साल बीत गए लेकिन महिला को ज्वेलरी के नकली होने का पता नहीं चला। इस बीच महिला ने अमेरिका में ही एक एग्जीबिशन में स्टॉल लगाई। इस दौरान उसे पता चला कि उसके जेवर नकली हैं। यह सुनते ही उसके होश उड़ गए। वो शिकायत करने के लिए एक महीने पहले वापस जयपुर पहुंची। महिला ने अपने साथ हुई धोखाधड़ी की शिकायत पुलिस से दर्ज कराई है।

पुलिस ने बताया कि जयपुर के एक ज्वैलर पिता-पुत्र ने अमेरिकी नागरिक महिला को 6 करोड़ रुपये के नकली आभूषण बेचे। ये दोनों आरोपी गौरव सोनी और उसके पिता राजेंद्र सोनी फरार हैं। गौरव की पत्नी और बच्चे भी फरार हैं। गौरव सोनी के लिए लुकआउट नोटिस जारी किया गया है। उन्होंने बताया कि महिला ने फरवरी-मार्च में अमेरिका में प्रदर्शनी लगाई। वहां आभूषणों की जांच की जा रही थी, तो उसने कुछ आभूषणों की जांच कराई। उसे पता चला कि सोना 9 कैरेट का है, जबकि हॉलमार्क पेपर में 14 कैरेट का लिखा था। हीरा मोइसैनाइट निकला।

अधिकारी के अनुसार, इसके बाद महिला जयपुर आई और उसने गौरव सोनी से आभूषण बदलने का अनुरोध किया, लेकिन कोई फायदा नहींहुआ। उसने उन्हें पुलिस केस करने की चेतावनी दी, लेकिन उन्होंने उसे रोकने की कोशिश की। गौरव सोनी और उसके पिता ने उसे रोकने का वीडियो पुलिस को भेज दिया और आरोप लगाया कि विदेशी महिला ने उनकी दुकान में लूटपाट की है लेकिन जब जांच हुई तो उसके पास सारे बिल और सबूत थे। इसलिए मामला नहीं बना।

महिला ने अमेरिकी दूतावास में भी शिकायत की। महिला की शिकायत पर मामला दर्ज हुआ और जांच हुई। इसी दौरान महिला की दोनों बाप-बेटों के साथ एक मीटिंग हुई जिसमें वो चेरिस को करीब 3 करोड़ रुपये मुआवजा देने पर सहमत हुए। उन्होंने 2 दिन का समय मांगा लेकिन आखिरी दिन पिता-पुत्र ने अपने मोबाइल फोन बंद कर लिए और फरार हो गए।

पुलिस ने बताया कि इसके बाद हमने उस व्यक्ति को गिरफ्तार किया जिसने ज्वैलरी के झूठे प्रमाण पत्र जारी किए। हमने गौरव सोनी के लिए लुकआउट नोटिस जारी किया है। हम पिता के लिए भी लुकआउट नोटिस जारी करने की कोशिश कर रहे हैं। यह भी पता चला कि गौरव सोनी की पत्नी के नाम पर एक फर्म है और उसे उसी खाते में ज़्यादातर पैसे मिले हैं।

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