मुख्य समाचार
सीएम की सलाह, रक्षाबंधन करीब आ रहा है बुआ से माफी मांगे भाजपा
लखनऊ। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बसपा तथा भाजपा के बीच चल रही राजनैतिक रस्साकशी पर आज जमकर चुटकी ली। अखिलेश ने कहा कि भाजपा के लोगों को अब बुआ से माफी मांग लेना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने आज अपने सरकारी आवास पर प्रदेश के वैज्ञानिकों के साथ शिक्षकों को सम्मानित किया। सम्मान समारोह के बाद मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन के दौरान भाजपा और बसपा के लोगों को सीख दी।
कम से कम यह तो सोचना ही होगा कि अब रक्षाबंधन करीब आ रहा है। इसलिए ही सही बुआ से माफी मांग कर भाजपा वाले सही राह पकड़ लें। उन्होंने कहा कि भाजपा के लोग भी अब बुआ बोल दो। जल्दी ही रक्षाबंधन आ रहा है। अगर बुआ सत्ता में आ गई तो उनसे मिलने के लिए अंदर आने पर बाहर ही चप्पल उतारकर आना पड़ेगा।
अभद्र भाषा के प्रयोग के मामले में अखिलेश यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश में कानून अपना काम करेगा। कानून किसी को भी नहीं छोड़ेगा, चाहे गलती भाजपा की यो या फिर बसपा के नेताओं की। किसी भी मंच से ऐसी अभद्रता हैरान करने वाली है।
उत्तर प्रदेश में मंच से गाली देने के मामले में अखिलेश यादव ने कहा कि बीएसपी नेताओं ने ज्यादा गंदी गालियां दी हैं। सीएम ने कहा कि यह सही है कि दयाशंकर सिंह ने जो बोला था वह तो गलत था, लेकिन एक गलती के बाद दूसरा भी उससे बड़ी गलती करे तो यह जरा भी शोभनीय नही है।
अदब के शहर लखनऊ में बसपा के नेताओं ने मंच से क्या बोला यह किसी से भी छुपा नहीं है। बसपा के नेताओं ने मंच से अभद्र भाषा बोली। उन्होंने कहा कि जो भी लोग बसपा से बाहर आ रहे है, वह पैसे से टिकट मिलने का आरोप लगा रहे हैं। अब सत्यता क्या है, यह तो समय आने पर पता चलेगा।
नेशनल
जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।
इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।
चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।
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