अन्तर्राष्ट्रीय
पाकिस्तान के प्रसिद्ध गायक अमजद साबरी की गोली मारकर हत्या
इस्लामाबाद, 23 जून। पाकिस्तान तालिबान ने पाकिस्तानी के प्रसिद्ध सूफी गायक अमजद साबरी की गोली मारकर हत्या कर दी गई। पुलिस के मुताबिक, अमजद साबरी जब एक टीवी शो में हिस्सा लेने जा रहे थे कि तभी हमलावरों ने उनके वाहन पर गोली चला दी।
एक पुलिसकर्मी और प्रत्यक्षदर्शी का कहना है कि मोटरसाइकिल पर सवार दो बंदूकधारियों ने साबरी की कार पर गोलियां बरसानी शुरू कर दी और फरार हो गए। साबरी गंभीर रूप से घायल हो गए और अस्पताल ले जाते हुए रास्त में उनकी मौत हो गई। साबरी सूफी संगीत के लिए प्रसिद्ध थे लेकिन चरमपंथियों का कहना है कि इसका इस्लाम को कोई लेना-देना नहीं है।
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) हकीमुल्ला समूह के प्रवक्ता करी सैफुल्लाह ने इस हत्या की जिम्मेदारी ली है। हालांकि इसकी पुष्टि नहीं की गई। पाकिस्तान के राष्ट्रपति ममनून हुसैन, प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और अन्य नेताओं ने इस हमले की कड़ी निंदा की है।
अन्तर्राष्ट्रीय
कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित
नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।
एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।
कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।
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