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अन्तर्राष्ट्रीय

सबसे ऊंची चोटी फतह करने को तैयार विकलांग चीनी पर्वतारोही

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सबसे ऊंची चोटी फतह करने को तैयार विकलांग चीनी पर्वतारोही

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सबसे ऊंची चोटी फतह करने को तैयार विकलांग चीनी पर्वतारोही

बीजिंग। चीन के 65 वर्षीय विकलांग पर्वतारोही अपने अधूरे सपने को पूरा करने के लिए एक बार फिर दुनिया की सबसे ऊंची चोटी कोमोलंगमा पर चढ़ाई करने जा रहे हैं। 

जिया बुधवार को 7,000 मीटर की हजार ऊंचाई पर स्थित हिमालयी कैंप पर पहुंच गए। उम्मीद जताई गई है कि अगर मौसम अनुकूल रहा तो वह गुरुवार को 8848 मीटर की ऊंचाई पर स्थित कोमोलंगमा की सबसे ऊंची चोटी पर पहुंच जाएंगे।

जिया चीन की राष्ट्रीय टीम के पूर्व पर्वतारोही हैं। 41 साल पहले जिया जब इस चोटी पर चढ़ाई कर रहे थे तो शीतदंश के कारण अपने दोनों पैरों को खो दिया था। वह अपनी मंजिल से मात्र 280 मीटर दूर थे।

इस हादसे के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और अपने सपने को पूरा करने के लिए प्रशिक्षण जारी रखा। उन्होंने 1997 में कैंसर को भी मात दी।

2014 में उन्होंने एक बार फिर प्रयास किया लेकिन हिमस्खलन के कारण वह असफल हो गए।

अन्तर्राष्ट्रीय

कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

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नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

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