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अन्तर्राष्ट्रीय

संयुक्त राष्ट्र ने आइवरी कोस्ट आतंकवादी हमले की निंदा की

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संयुक्त राष्ट्र ने आइवरी कोस्ट आतंकवादी हमले की निंदा की

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संयुक्त राष्ट्र ने आइवरी कोस्ट आतंकवादी हमले की निंदा की

संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र ने आइवरी कोस्ट में हुए आतंकवादी हमले की सोमवार को कड़े शब्दों में निंदा की। इस हमले में 16 लोग मारे गए थे।

यहां संयुक्त राष्ट्र की ओर से जारी बयान में इस आतंकवादी हमले की साजिश रचने वालों, इसमें पैसे से मदद देने वालों को जल्द पकड़ने और उचित दंड देने की जरूरत पर जोर दिया गया।

संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों ने इस हमले के पीड़ितों के प्रति गहरी संवेदना जताई। इसके साथ ही घायलों की हालत में जल्द से जल्द सुधार होने की कामना की।

संयुक्त राष्ट्र परिषद के देशों ने कोटे डी आइरी और इस क्षेत्र के देशों के साथ एकजुट होकर आतंकवाद का मुकाबला करने की इच्छा व्यक्त की।

संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों ने आतंकवाद के सभी रूपों को अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक बताया।

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कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

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नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

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