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सही सोच के साथ किया जाने वाला तर्क अर्थपूर्ण: श्री श्री

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श्री श्री रविशंकर, आर्ट ऑफ लिविंग, विश्व सांस्कृतिक महोत्सव

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श्री श्री रविशंकर, आर्ट ऑफ लिविंग, विश्व सांस्कृतिक महोत्सव

नई दिल्ली| आर्ट ऑफ लिविंग फाऊंडेशन के संस्थापक श्री श्री रविशंकर ने शनिवार को कहा कि सोचना, बहस करना और वाद-विवाद करना निश्चित रूप से तब कुछ अर्थपूर्ण होगा, जब यह सही मंशा से किया जाता है। उन्होंने यहां आयोजित विश्व संस्कृति महोत्सव के एक सत्र में कहा कि युवा नेताओं को चुनौतियों से दूर नहीं भागना चाहिए, क्योंकि यही तरुणाई और ऊर्जा को दर्शाता है। अध्यात्मिक गुरु ने कहा, “अव्यवस्था तो छद्म वरदान है। जब कभी अव्यवस्था होती है तो नेताओं को भूमिका निभानी पड़ती है। चूंकि दुनिया में अव्यवस्था की कमी नहीं है, इसलिए हमें अधिक नेताओं की आवश्यकता है।” उन्होंने प्राचीन भारत में एक गांव में हुए झगड़े के समाधान की चर्चा करते हुए कहा कि अगर संघर्ष के समाधान की इच्छा हो तो सभी तरह के झगड़े निपटाए जा सकते हैं।

नेशनल

कोर्ट ने बृजभूषण से पूछा- आप गलती मानते हैं, बोले- सवाल ही उठता, मेरे पास बेगुनाही के सारे सबूत

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नई दिल्ली। महिला पहलवानों से यौन शोषण मामले में भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह मंगलवार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश हुए। कोर्ट ने उन्हें उनके खिलाफ तय किए आरोप पढ़कर सुनाए। इसके बाद कोर्ट ने बृजभूषण से पूछा कि आप अपने ऊपर लगाए गए आरोप स्वीकार करते हैं? इस पर बृजभूषण ने कहा कि गलती की ही नहीं मानने का सवाल ही नहीं उठता। इस दौरान कुश्ती संघ के पूर्व सहायक सचिव विनोद तोमर ने भी स्वयं को बेकसूर बताया। तोमर ने कहा कि हमनें कभी भी किसी पहलवान को घर पर बुलाकर न तो डांटा है और न ही धमकाया है। सभी आरोप झूठे हैं।

मीडिया द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या आरोपों के कारण उन्हें चुनावी टिकट की कीमत चुकानी पड़ी, इस पर बृजभूषण सिंह ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “मेरे बेटे को टिकट मिला है।” बता दें कि उत्तर प्रदेश से छह बार सांसद रहे बृजभूषण शरण सिंह को इस बार भाजपा ने टिकट नहीं दिया है। पार्टी उनकी बजाय, उनके बेटे करण भूषण सिंह को कैसरगंज सीट से टिकट दिया है, जिसका बृजभूषण तीन बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

बृजभूषण सिंह ने सीसीटीवी रिकाॅर्ड और दस्तावेजों से जुड़े अन्य विवरण मांगने के लिए बृजभूषण सिंह ने आवेदन दायर किया है। उनके वकील ने कहा कि उनके दौरे आधिकारिक थे। मैं विदेश में उसी होटल में कभी नहीं ठहरा जहां खिलाड़ी स्टे करते थे। वहीं दिल्ली कार्यालय की घटनाओं के दौरान भी मैं दिल्ली में नहीं था। बता दें कि कोर्ट इस मामले में जल्द ही अपना फैसला सुना सकता है। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि एमपी-एमएलए मामलों में लंबी तारीखें नहीं दी जाएं। हम 10 दिन से अधिक की तारीख नहीं दे सकते।

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