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आध्यात्म

यमुना किनारे आयोजन पर श्रीश्री रविशंकर को एनजीटी की फटकार

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नैशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल (एनजीटी), आर्ट ऑफ लिविंग , श्री श्री रविशंकर, यमुना किनारे आयोजन

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आर्ट ऑफ लिविंग और श्री श्री रविशंकर का रवैया गैर जिम्‍मेदाराना : एनजीटी

नई दिल्ली। राजधानी में यमुना के किनारे विश्व सांस्कृतिक महोत्सव का आयोजन करने को लेकर आर्ट ऑफ लिविंग के आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर और नैशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल (एनजीटी) के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है।

नैशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल (एनजीटी), आर्ट ऑफ लिविंग , श्री श्री रविशंकर, यमुना किनारे आयोजन

गुरुवार को एनजीटी ने कहा कि रविशंकर की ओर से ट्राइब्यूनल की एक्सपर्ट कमिटी की रिपोर्ट पर लगाए गए पूर्वाग्रह के आरोप ‘चौंकानेवाले’ हैं। एनजीटी ने आर्ट ऑफ लिविंग संस्था को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि उनका रवैया गैरजिम्मेदाराना है। संस्‍था मनमानी बयानबाजी नहीं दे सकती। अब मामले की अगली सुनवाई नौ मई को होगी।

दरअसल, मंगलवार को रविशंकर ने इस मुद्दे पर फेसबुक पर लिखी एक पोस्ट में कहा था कि विश्व सांस्कृतिक महोत्सव से अगर पर्यावरण को कोई नुकसान पहुंचा है तो इसके लिए सरकार और एनजीटी को ही जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। रविशंकर ने एनजीटी पर नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों को अनदेखा करने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि एक ऐतिहासिक कार्यक्रम को अपराध की तरह प्रस्‍तुत किया जा रहा है।

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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