प्रादेशिक
90 फीसदी शौचालय लक्ष्य के लिए 4 साल की मोहलत
नई दिल्ली। देश के गांवों में 2012 में बिना शौचालय वाले घरों की संख्या 11 करोड़ थी, जबकि इनमें से सरकार 1.1 करोड़ घरों को ही शौचालय निर्माण में मदद कर पाई है। इसका मतलब यह हुआ कि अगले चार साल में सरकार को करीब 99 फीसदी घरों को शौचालय निर्माण करने में मदद करना होगा। क्योंकि स्वच्छ भारत अभियान के तहत इस लक्ष्य को हासिल करने की समय सीमा दो अक्टूबर 2019 रखी गई है।
इसका एक मतलब यह भी है कि सरकार को काफी अधिक रकम इस कार्य के लिए अलग करने होंगे। केंद्र ने गत 15 साल में विभिन्न स्वच्छता अभियानों के लिए 25,885 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जिनमें से करीब 88 फीसदी खर्च हुए हैं।
इस कड़ी का ताजातरीन अभियान है दो अक्टूबर 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किया गया स्वच्छ भारत अभियान, जिसके तहत दो अक्टूबर 2019 तक भारत को खुले में शौच करने की परंपरा से मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है और गांव के सभी घरों में शौचालय बनाने और ग्राम पंचायतों में ठोस और तरल कचड़ा प्रबंधन शुरू करने की योजना है।
यूनीसेफ के मुताबिक 2014 में देश में 59.5 करोड़ लोग खुले में शौच करते थे।
अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार ने पहली बार 1999 में इस तरह का औपचारिक स्वच्छता कार्यक्रम शुरू किया था, जिसका नाम था संपूर्ण स्वच्छता अभियान।
अक्टूबर 2012 में इसकी जगह निर्मल भारत अभियान शुरू किया गया।
अब सरकार खुले में थूकने, पेशाब करने और कूड़े फेंकने पर जुर्माना लगाने के लिए कानून बनाना चाहती है।
स्वच्छता के लिहाज से सबसे बुरा वर्ष था 1999-2001, जब वाजपेयी प्रधानमंत्री थे और उस समय इस तरह की कोई परियोजना नहीं चलाई जा रही थी। उस समय 156 करोड़ रुपये इस कार्य के लिए जारी किए गए थे। दूसरी ओर 2014-15 में इसके लिए 3,569 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, जबकि वास्तविक खर्च 123 फीसदी अधिक 4,380 करोड़ रुपये हुए।
अब चूंकि 99 फीसदी लक्ष्य बाकी है, इसलिए काम की गति बढ़ाने की जरूरत है।
स्वच्छ भारत अभियान के तहत सामुदायिक शौचालय परिसर बनाने के लिए स्कूलों या पंचायतों को दो लाख रुपये दिए जाते हैं। घरों में शौचालय बनाने के लिए प्रोत्साहन राशि को 10 हजार रुपये से बढ़ाकर 12 हजार रुपये कर दिया गया है, जिसमें नौ हजार रुपये केंद्र सरकार और तीन हजार रुपये राज्य सरकार योगदान करती है।
योजना के तहत उपलब्ध कोष में से पश्चिम बंगाल ने जहां 92 फीसदी खर्च किया, वहीं ओडिशा ने 45 फीसदी खर्च किया है। अब इस परियोजना के लिए योजना निर्माण का काम राज्य सरकार करती है और परियोजनाओं को मंजूरी मिलने में लंबा समय लग रहा है।
स्वच्छ भारत के लिए आवंटित धन का सर्वाधिक हिस्सा घरों में शौचालय बनाने पर खर्च हो रहा है। उसके बाद स्कूलों के शौचालय का स्थान आता है।
राज्यों के कुछ आंकड़े भ्रामक और चौंकाने वाले प्रतीत होते हैं। नागालैंड ने उपलब्ध कोष का 1,839 फीसदी खर्च कर डाला है, जबकि गुजरात ने 227 फीसदी खर्च किया है।
पश्चिम बंगाल ने लक्ष्य से आठ फीसदी अधिक शौचालय बनाए हैं। गुजरात ने लक्ष्य का 94 फीसदी शौचालय निर्माण हासिल किया है, जबकि झारखंड ने 49.5 फीसदी लक्ष्य पूरा किया है।
इंडिया स्पेंड की एक पुरानी रिपोर्ट के मुताबिक जम्मू-कश्मीर ने 96 फीसदी धन का उपयोग नहीं किया है और 2014-15 के लक्ष्य से 86 फीसदी पीछे है।
(आंकड़ा आधारित, गैर लाभकारी, लोकहित पत्रकारिता मंच, इंडियास्पेंड के साथ एक व्यवस्था के तहत। यहां प्रस्तुत विचार लेखक के अपने हैं।)
प्रादेशिक
राजस्थान के दौसा में सड़क किनारे सो रहे 11 लोगों को बेकाबू कार ने कुचला, तीन की मौत, 8 घायल
दौसा। राजस्थान के दौसा में बड़ा सड़क हादसा हुआ है। यहाँ एक बेकाबू कार ने सड़क किनारे सो रहे 11 लोगों को कुचल दिया। इस हादसे में तीन लोगों की मौत हो गई है जबकि 8 लोग गंभीर रूप से घायल हैं। मृतकों में एक बच्ची भी शामिल है। पुलिस ने बताया कि हादसे में दो घायलों को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई, जबकि छह को आगे के इलाज के लिए जयपुर के एसएमएस अस्पताल में रेफर किया गया। कार को जब्त कर लिया गया है, हालांकि चालक फरार है। उसे पकड़ने की कोशिश की जा रही है।
हादसा गुरुवार की रात करीब 11.15 बजे हुआ है। सभी मृतक व घायल खानाबदोश परिवार के लोग थे, जो टीकाराम पालीवाल गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल के पास सड़क किनारे झुग्गी में रहते थे। हेड कॉन्स्टेबल बृजकिशोर ने बताया कि रात करीब 11.20 बजे घटना की सूचना पुलिस को मिली थी। फौरन पुलिस मौके पर पहुंची। जांच में सामने आया कि तेज रफ्तार कार के ड्राइवर ने तेज गति और लापरवाही से गाड़ी चलाते हुए सड़क किनारे सो रहे लोगों को कुचल दिया है। घटना की सूचना पर गुरुवार की देर रात महवा विधायक राजेंद्र मीणा हॉस्पिटल पहुंचे। उन्होंने डॉक्टरों से घायलों का हालचाल जाना और थाना इंचार्ज जितेंद्र सोलंकी को कार ड्राइवर के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए कहा।
जयपुर स्थित एसएमएस हॉस्पिटल में ट्रॉमा सेंटर के इंचार्ज डॉ. अनुराग धाकड़ ने बताया कि दौसा के महवा से रेफर होकर 6 घायलों को यहां भर्ती किया गया था। इसमें से 1 दिलीप नाम के युवक को छुट्टी दे दी गई है। 5 अन्य को सर्जरी यूनिट में भर्ती रखा गया है। इसमें एक मरीज के सिर में थोड़ी ज्यादा चोट है, बाकी चार की स्थिति सामान्य है। इनका इलाज चल रहा है।
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