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84 दंगों पर केंद्र कर सकता है एसआईटी का गठन
नई दिल्ली। वर्ष 1984 के सिख विरोधी दंगों के पीड़ितों को एक बार फिर न्याय मिलने की उम्मीद नजर आ रही है। केंद्र सरकार जल्द फैसला ले सकती है कि दंगों में जिन पीड़ितों को अभी तक न्याय नहीं मिला है, उनके मामलों की जांच फिर से होगी। सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय गृह मंत्रालय जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम यानी एसआईटी का गठन कर सकता है। इस बारे में दिल्ली के विधानसभा चुनावों के बाद ऐलान होने की उम्मीद है।
यह एसआईटी उन मामलों की जांच करेगी, जिन्हें पुलिस ने बंद कर दिए थे या फिर जो मामले अभी कोर्ट में आए ही नहीं। दंगा पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए अरसे से अभियान चला रहे एचएस फुल्का कहते हैं कि करीब 237 मामले हैं, जिन्हें पुलिस ने बंद कर दिया । फुल्का कहते हैं कि कांग्रेस नेता सज्जन कुमार और जगदीश टाइटलर के खिलाफ भी दो मामले हैं, जिनकी जांच दोबारा होनी चाहिए। फिलहाल एसआईटी के सदस्यों में किन लोगों को शामिल किया जाएगा, उसके बारे में गृह मंत्रालय का कहना है कि यह फैसला रिटायर्ड जस्टिस जीपी माथुर की रिपोर्ट को आधार बनाकर लिया जाएगा। जस्टिस माथुर ने अपनी 225 पन्नों की रिपोर्ट गृह मंत्रालय को सौंपी है, जिसमें उन्होंने कहा है कि कई ऐसे मामले हैं, जिन्हें फिर से जांच के दायरे में आना चाहिए, क्योंकि उनमें सबूतों को ठीक से जांचा नहीं गया। केंद्र सरकार ने जस्टिस माथुर समिति को जांच के लिए दिसंबर में नियुक्त किया था और तीन महीने का समय दिया था। हालांकि जस्टिस माथुर ने अपनी रिपोर्ट 45 दिनों में ही सौंप दी। सिख विरोधी हिंसा के कई पीड़ितों का आरोप है कि पुलिस ने राजनैतिक दबाब में आकर कई मामले बंद कर दिए थे।
गौरतलब है कि आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल भी ऐलान कर चुके हैं कि अगर उनकी सरकार आई, तो वह इस मामले में एसआईटी का गठन करेंगे। आम आदमी पार्टी ने चुनाव से पूर्व अपना घोषणापत्र जारी करने के दौरान भी सिख विरोधी हिंसा की दोबारा एसआईटी जांच की बात कही थी। वैसे पिछले साल दिल्ली के चुनावों के ऐलान से पहले केंद्र सरकार ने कई पीड़ितों को पांच लाख मुआवजा देने का भी ऐलान किया था।
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अमित शाह के फर्जी वीडियो मामले ने पकड़ा तूल, महाराष्ट्र युवा कांग्रेस और 16 अन्य के खिलाफ केस दर्ज
मुंबई। गृह मंत्री अमित शाह के फर्जी वीडियो मामले ने तूल पकड़ लिया है। इस मामले में महाराष्ट्र युवा कांग्रेस और 16 अन्य के खिलाफ शिकायत दर्ज हो गई है। एक अधिकारी ने बताया कि इस मामले में मुंबई बीजेपी के पदाधिकारी प्रतीक करपे ने बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स साइबर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई है।
शिकायतकर्ता ने पुलिस को बताया कि शाह का फर्जी वीडियो आरोपी व्यक्तियों द्वारा उन्हें बदनाम करने के दुर्भावनापूर्ण इरादे से व्यापक रूप से साझा किया गया था। शिकायत के अनुसार, फर्जी वीडियो में शाह को अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग को दिए जाने वाले आरक्षण अधिकारों में कटौती की घोषणा करते हुए दिखाया गया है। हालांकि, करपे ने कहा कि मूल वीडियो, जहां से यह फर्जी वीडियो बनाया गया है, उसमें पूरी तरह से अलग शब्द और अर्थ हैं।
आरोपी व्यक्तियों ने भाषण का डीप फेक वीडियो बनाया और विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर व्यापक रूप से प्रसारित किया। उन्होंने कहा कि पुलिस को तुरंत डीप फेक वीडियो को हटाना चाहिए और आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज करना चाहिए, जिन्होंने इसे विभिन्न जातियों में व्यवधान, दुश्मनी और नफरत पैदा करने के इरादे से साझा किया।
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