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65 साल में भाजपा राज्यसभा में बनी सबसे बड़ी पार्टी
नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) लोकसभा के बाद अब राज्यसभा में भी सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। इस तरह भाजपा ने कांग्रेस पार्टी के वर्चस्व के 65 साल के इतिहास को तोड़ दिया है।
राज्यसभा में अब भाजपा के 58 सदस्य हैं, जबकि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के पास सिर्फ 57 सांसद हैं। मध्य प्रदेश के सम्पतिया उइके के राज्यसभा की सदस्यता ग्रहण करने के बाद भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बन गई है।
राज्यसभा में कुल 245 सीटें हैं, जबकि कांग्रेस के राज्यसभा में 57 सांसद हैं। हालांकि सबसे बड़ी पार्टी बनने के बावजूद भाजपा अब भी राज्यसभा में बहुमत हासिल करने से दूर है। इस माह पश्चिम बंगाल और गुजरात की राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होने हैं।
पश्चिम बंगाल में राज्यसभा की छह और गुजरात में तीन सीटें खाली होने वाली हैं। इन सीटों के लिए अगले हफ्ते चुनाव होना है। संपतिया उइके नरेंद्र मोदी कैबिनेट के मंत्री अनिल दवे की जगह राज्यसभा भेजे गए हैं। उइके ने निर्विरोध चुनाव जीत लिया है। दवे का इसी साल मई में निधन हो गया था।
बता दें कि 2014 में हुए आम चुनाव को जीतकर भाजपा पहले ही लोकसभा में बड़ी पार्टी बन चुकी है। लोकसभा में भाजपा के पास 281 सांसद हैं।
कांग्रेस 45 सांसदों के साथ दूसरे नंबर पर है। तीसरे और चौथे नंबर पर तमिलनाडु की दो पार्टियां एआईएडीएमके और डीएमके है। कांग्रेस 2018 तक सबसे ज्यादा सदस्यों वाली पार्टी राज्यसभा में रहती, लेकिन उसके दो सदस्यों की मौत होने के बाद संख्या कम हो गई।
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जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।
इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।
चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।
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