आध्यात्म
राधा कुंज मसूरी के 1200 विद्यार्थियों को जेकेपी ने बांटी दैनिक उपयोगी वस्तुएं
जगद्गुरु कृपालु परिषत्-भक्ति धाम एक अन्तर्राष्ट्रीय आध्यात्मिक, शैक्षिक एवं चैरिटेबल संस्था है। संस्था द्वारा समय-समय पर निर्धन एवं असहाय व्यक्तियों व विधवाओं की सहायतार्थ प्रसाद एवं दैनिक उपयोगी वस्तुओं का वितरण तथा निर्धन विद्यार्थियों को शैक्षिक सामग्री एवं दैनिक उपयोगी वस्तुओं का वितरण किया जाता रहा है। इसी संदर्भ में 11 मई 2019 को राधा कुंज, मसूरी में लगभग 1200 विद्यार्थियों को शैक्षिक व दैनिक उपयोग की सामग्री का वितरण किया गया है।
प्रत्येक विद्यार्थी को एक स्कूल बैग, 5 छोटी नोट बुक, 3 बड़ी नोट बुक, 4 पेंसिल, 4 पेन, स्केल, शार्पनर, इरेज़र, पानी की बोतल, टिफिन बाॅक्स प्रदान किए गए। मसूरी में अक्सर ठण्ड रहती है। इस दृष्टि से सभी को एक-एक कम्बल भी दिया गया। विद्यार्थियों के साथ आए 50 शिक्षकों को एक-एक कम्बल, स्टील का बर्तन, बोतल एवं तौलिया भेंट स्वरूप प्रदान किया गया। विद्यालयों में भोजन बनाने वाली 40 माताओं को एक-एक साड़ी, स्टील का टिफिन बाॅक्स व कम्बल प्रदान किया गया।
सम्पूर्ण कार्यक्रम जगद्गुरु कृपालु परिषत् की तीनों अध्यक्षाओं सुश्री डाॅ विशाखा त्रिपाठी जी, सुश्री डाॅ श्यामा त्रिपाठी जी एवं सुश्री डाॅ कृष्णा त्रिपाठी जी की उपस्थिति व मार्गदर्शन में संपन्न हुआ। सभी आगन्तुक विद्यार्थियों, शिक्षकों एवं अन्य कर्मचारीगण के आतिथ्य सत्कार की दृष्टि से उन्हें मिठाई एवं बिस्किट के पैकेट्स दिये गये। सम्पूर्ण मसूरी में इस निःशुल्क वितरण कार्यक्रम की चर्चा हुई।
आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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