आध्यात्म
वृंदावन : चंद्रोदय मंदिर की आधारशिला रखेंगे राष्ट्रपति
मथुरा/वृंदावन| राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी रविवार को वृंदावन में चंद्रोदय मंदिर की आधारशिला रखेंगे। भगवान श्रीकृष्ण की पवित्र नगरी मथुरा में विश्व का सबसे ऊंचा चंद्रोदय मंदिर अपनी बेहतरीन नक्काशी और शिल्पकला से दुनियाभर में जाना जाएगा। इस मंदिर को सिर्फ कंकरीट, शीशे एवं दुर्लभ कीमती पत्थरों से बनाया जाएगा। मंदिर के निर्माण पर 300 करोड़ रुपये की लागत लगने का अनुमान है। मंदिर के केंद्र में भगवान श्रीकृष्ण की भव्य प्रतिमा स्थापित की जाएगी। यह मंदिर प्राचीन और आधुनिक वास्तुकला का अभूतपूर्व संगम होगा।
70 मंजिला यह मंदिर जल्द साकार रूप लेगा। आध्यात्म के इस अद्भुत केंद्र की ऊंचाई 700 फीट (210 मीटर) होगी, जो 65 एकड़ जमीन पर बनाया जा रहा है। मंदिर के चारों तरफ कृत्रिम पहाड़ियां एवं वन होंगे। इसमें बृज के 12 वन क्षेत्र (द्वादश कानन) शामिल होंगे। चंद्रोदय मंदिर परिसर में भगवान श्रीकृष्ण के नाम पर एक संग्रहालय भी बनेगा।
आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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