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IANS News

रॉकवेल ऑटोमेशन बेंगलुरू डिजायन सेंटर में दोगुनी भर्तियां करेगी

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 फिलाडेल्फिया, 15 नवंबर (आईएएनएस)। रॉकवेल ऑटोमेशन का लक्ष्य अगले कुछ सालों में अपने बेंगलुरू सेंटर के डिजायन इंजीनियरों की संख्या दोगुनी करना है, ताकि बढ़िया डिजायन किए गए उत्पादों की वैश्विक मांग को पूरा किया जा सके।

 औद्योगिक ऑटोमेशन की सबसे बड़ी वैश्विक प्रदाता के एक शीर्ष अधिकारी ने यह जानकारी दी।

रॉकवेल के एशिया प्रशांत क्षेत्र के क्षेत्रीय विपणन निदेशक जॉन वाट्स ने यहां आए भारतीय पत्रकारों के एक छोटे से समूह से कहा कि कंपनी के लिए भारत विकास के अवसरों के मामले में चीन के बाद दूसरा सबसे महत्वपूर्ण बाजार है।

वाट्स ने कहा कि कंपनी के बेंगलुरू स्थित डिजायन सेंटर में करीब 600 लोग काम करते हैं, जिसकी संख्या अगले पांच सालों में दोगुनी कर दी जाएगी, ताकि उत्पादन डिजायन, वैश्विक सर्टिफिकेशन और जीवन-चक्र डिजायन की बढ़ती वैश्विक मांग को पूरा किया जा सके।

अमेरिका के मलवौकी की कंपनी रॉकवेल में कुल 23,000 कर्मचारी काम करते हैं और इसका कारोबार 6.7 अरब डॉलर का है। यह औद्योगिक ऑटोमेशन में दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी है।

वाट्स ने कहा कि भारत में विशाल इंजीनियरिंग प्रतिभा है और उन्होंने कहीं पढ़ा है कि भारत से हर रोज एक जंबो जेट में जितने यात्री होते हैं, उतने इंजीनियर अमेरिका के सिलिकॉन वैली में हवाई जहाज से उतरते हैं।

उन्होंने कहा कि भारत में जीवन-चक्र चरण की तुलना में प्रौद्योगिकी के शुरुआती चरण में ही अपनाने की दर ’50-50′ है।

रॉकवेल ऑटोमेशन इंडिया के प्रबंधक (प्रौद्योगिकी और रणनीतिक भागीदारी) चंद्रमौली के. एल. का कहना है कि उन्होंने भारत में प्रौद्योगिकी को सबसे तेज गति से भी अपनाते देखा है, क्योंकि कई कंपनियां अपना कार्यालय और फैक्ट्रियां मलेशिया व अमेरिका में भी स्थापित करती है और वे नवीनतम प्रौद्योगिकी को अपनाने की इच्छुक होती है।

उन्होंने कहा कि नवीनतम ऑटोमेशन ज्यादातर बॉयो-प्रोसेसिंग उत्पादों में हो रहा है।

वॉट ने बताया कि रॉकवेल अपने कारोबार की वृद्धि के लिए जिन उद्योगों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है खनिज उद्योग उसमें से एक है।

उन्होंने बताया कि ऑस्ट्रेलिया की कंपनियां रिमोट यूनिट्स की स्थापना कर रही है, ताकि खनन गतिविधियों की निगरानी और नियंत्रण कर सके, क्योंकि दूरदराज की खानों तक प्रबंधक को विमान से ले जाना महंगा पड़ता है।

वहीं, उन्होंने कहा कि भारत के मामले में ऐसा नहीं है, क्योंकि यहां ज्यादातर खदानें आबादी के बीच में ही है। भारत के खनन क्षेत्र ऑटोमेशन को ज्यादातर सुरक्षा पहलू को ध्यान में रखकर अपना रहे हैं।

उन्होंने कहा कि भारत में कारोबार थोड़ा कठिन है, क्योंकि यहां शुरुआती लागत पर ज्यादा ध्यान दिया है, जबकि उत्पाद के पूरे जीवन-चक्र की लागत को नहीं देखा जाता, जिसमें रॉकवेल की विशेषज्ञता है।

वाट्स ने जोर देकर कहा, “लेकिन हम चुपचाप नहीं बैठे हैं। हम जानते हैं कि भारतीय ग्राहकों को क्या चाहिए और हम वही तैयार कर रहे हैं।”

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टेनिस : दुबई चैम्पियनशिप में सितसिपास ने मोनफिल्स को हराया

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 दुबई, 1 मार्च (आईएएनएस)| ग्रीस के युवा टेनिस खिलाड़ी स्टेफानोस सितसिपास ने शुक्रवार को दुबई ड्यूटी फ्री चैम्पियनशिप के पुरुष एकल वर्ग के सेमीफाइनल में फ्रांस के गेल मोनफिल्स को कड़े मुकाबले में मात देकर फाइनल में प्रवेश कर लिया।

  वर्ल्ड नंबर-11 सितसिपास ने वर्ल्ड नंबर-23 मोनफिल्स को कड़े मुकाबले में 4-6, 7-6 (7-4), 7-6 (7-4) से मात देकर फाइनल में प्रवेश किया।

यह इन दोनों के बीच दूसरा मुकाबला था। इससे पहले दोनों सोफिया में एक-दूसरे के सामने हुए थे, जहां फ्रांस के खिलाड़ी ने सीधे सेटों में सितसिपास को हराया था। इस बार ग्रीस के खिलाड़ी ने दो घंटे 59 मिनट तक चले मुकाबले को जीत कर मोनफिल्स से हिसाब बराबर कर लिया।

फाइनल में सितसिपास का सामना स्विट्जरलैंड के रोजर फेडरर और क्रोएशिया के बोर्ना कोरिक के बीच होने वाले दूसरे सेमीफाइनल के विजेता से होगा। सितसिपास ने साल के पहले ग्रैंड स्लैम आस्ट्रेलियन ओपन में फेडरर को मात दी थी।

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