आध्यात्म
श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के लिए सज गया जगद्गुरु कृपालु परिषत का भक्ति मंदिर
मनगढ़। रविवार को पूरे देश में जन्माष्टमी मनाई जा रही है। इस शुभ अवसर पर रात्रि होते ही जगद्गुरु कृपालु परिषत का भक्ति मंदिर भगवान श्री कृष्ण के रंग में रंग जाएगा। विधि विधान से सभी पूजन कार्यक्रम होंगे। मंदिर परिसर में होने वाली पूजा व आरती में श्रद्धालु बड़ी संख्या में हिस्सा लेंगे। भक्ति मंदिर का वो दृश्य देखने लायक होगा जब श्रीकृष्ण रात्रि 12 बजे जन्म लेंगे।
जो लोग इस सुंदरता और भव्यता से वंचित हो रहे हैं उनके लिए हम लेकर आए हैं भक्ति मंदिर के जन्माष्टमी समारोह का पूरा लेखा-जोखा कुछ सुंदर झलकियों के साथ। जानिए कैसी होगी मनगढ़ धाम स्थित जगद्गुरु कृपालु परिषत के भक्ति मंदिर की श्रीकृष्ण जन्माष्टमी।
भक्ति मंदिर में रात्रि 11 बजे से संकीर्तन शुरू हो जाएंगे जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहेंगे। मध्य रात्रि 12 बजे श्रीकृष्ण के जन्म लेते ही भगवान का अभिषेक, केक कटिंग और आरती जैसे कई शुभ कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।
भक्ति मंदिर प्रांगण के बाहर श्रीकृष्ण की जीवन लीलाओं पर आधारित कई सुंदर झांकियों का आयोजन किया जाएगा। जिनमें निम्न दृश्यों को प्रदर्शित किया जाएगा-
1. पूतना वध
2. माखन चोरी
3. झूला
4. जेल में श्रीकृष्ण
5. नवजात कृष्ण को लेकर यमुना पार करते वासुदेव
भक्ति मंदिर का भीतरी वातावरण भी श्रीकृष्ण की मनमोहक लीलाओं से सज जाएगा। जिनमें श्रृद्धालुओं को कुछ सुंदर दृश्य देखने को मिलेंगे। जैसे-
1. बाल स्वरूप श्रीकृष्ण
2. सखाओं के साथ माखन खाते श्रीकृष्ण इत्यादि सुंदर दृश्य देखने को मिलेंगे।
श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर पूरा भक्ति मंदिर परिसर श्रीकृष्णमय हो गया है। इस मौके पर भारी संख्या में श्रृद्धालु मौजूद रहेंगे जो श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर आयोजित होने वाले विविध रंगों के कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे।
आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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