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अन्तर्राष्ट्रीय

तेल की कीमतें वर्ष 2014 के बाद पहली बार 70 डॉलर से ऊपर, मनमोहन सिंह और राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर निशाना साधा

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तेल की कीमतें सोमवार को 70 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर पहुंच गईं। नवंबर 2014 के बाद पहली बार तेल की कीमतों में इतना उछाल आया है। जब अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पेट्रोलियम की कीमतें कम थी उस पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा आम जनता को इसका फायदा सरकार ने नहीं दिया, इसकी जगह पेट्रोलियम पर अत्यधिक उत्पाद कर लगाकर जनता को सजा देने का काम किया है।”

सीएनएन के मुताबिक, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 2015 ईरान परमाणु समझौते से अलग होने की संभावनाओं की वजह से तेहरान को और अधिक कच्चा तेल निर्यात करने की अनुमति मिली, जो तेल की कीमतें के बढ़ने के कारणों में से एक है।

मजबूत वैश्विक मांग और ओपेक और रूस द्वारा तेल आपूर्ति की कटौती की वजह से भी कीमतें बढ़ी हैं। अमेरिकी तेल कीमतें इस साल की शुरुआत से 16 फीसदी से अधिक बढ़ गई हैं।

26 मई 2014 को जब मोदी सरकार ने शपथ ली उस वक्त भारतीय बास्केट में कच्चे तेल की कीमत 108.05 डॉलर प्रति बैरल थी। इसके बाद 14 जनवरी 2015 को तकरीबन 60 प्रतिशत घटकर यह कीमत 43.36 प्रति बैरल आ पहुंची। 30 मई 2016 को कच्चे तेल की कीमत 26 मई के 47.53 डॉलर प्रति बैरल के मुकाबले और गिरकर 46.53 डॉलर आ पहुंची ​थी।

यूपीए टू के कार्यकाल में 2009 से लेकर मई 2014 तक यह कीमत 70 से लेकर 110 डॉलर प्रति बैरल तक थी जबकि इस बीच पेट्रोल की कीमत 55 से 70 रुपए के बीच झूलती रही। मई 2014 में ये 71.41 रुपए प्रति लीटर तक जा पहुंची जब अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमत 107.9 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गई थी।

केंद्र ने सस्ते तेल का लाभ जनता को नहीं दिया : मनमोहन

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोमवार को केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि उसने अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पेट्रोलियम की कीमतों में कमी के लाभ जनता को न देकर उसे दंडित किया है। कांग्रेस नेता ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “पेट्रोल व डीजल की कीमतें देश में ऐतिहासिक उच्चस्तर पर हैं। जबकि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें काफी कमी आई है। मोदी सरकार ने इसका लाभ आम जनता को देने के बदले पेट्रोलियम पर अत्यधिक उत्पाद कर लगाकर हमारे लोगों को सजा देने का काम किया है।”

मनमोहन ने कहा कि सरकार के पास ‘विचार व विश्लेषण के अभाव’ के कारण देश व हमारा सामूहिक भविष्य प्रभावित हो रहा है। प्रसिद्ध अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह ने ‘अनुकूल अंतर्राष्ट्रीय माहौल’ के बावजूद विकास दर के मामले में अच्छा प्रदर्शन नहीं करने को लेकर सरकार की आलोचना की।

भाजपा ने ईंधन के नाम पर करोड़ों लूटे : राहुल

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर पेट्रोल, एलपीजी व डीजल पर 10 लाख करोड़ रुपए का कर वसूल कर ईंधन के नाम पर जनता को ‘लूटने’ का आरोप लगाया और कहा कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के बावजूद उसका फायदा सरकार ने आम जनता को नहीं दिया।

राहुल ने एक ट्वीट में कहा, “भाजपा सरकार ने 2014 से पेट्रोल/एलपीजी/डीजल पर कर के रूप में 10,00,000 करोड़ रुपए वसूल हैं। लेकिन हमारे नागरिकों को कीमतों में कोई राहत नहीं दी गई।”

राहुल ने ट्विटर पर एक मिनट बयालिस सेकेंड का वीडियो साझा किया और कहा कि ‘यह वीडियो प्रधानमंत्री मोदी के तहत ईंधन कीमतों की सच्चाई दिखाता है।’

वीडियो से पता चलता है कि ‘मोदी सरकार के चार साल में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें 67 प्रतिशत से ज्यादा गिरने के बावजूद भी पेट्रोल, डीजल की कीमतें आसमान छू रही हैं।’ कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि ईंधन की बढ़ती कीमतें केंद्र सरकार की विफलता का प्रतीक हैं।

इनपुट आईएएनएस

अन्तर्राष्ट्रीय

भारत में अवसरों की भरमार, पीएम मोदी के नेतृत्व में 10 सालों में देश ने अच्छी प्रगति की : वॉरेन बफे

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नई दिल्ली। बर्कशायर हैथवे के चेयरमैन और सीईओ वॉरेन बफे भारत की निवेश की संभावनाओं को लेकर काफी उत्साहित हैं। उन्होंने रविवार को कंपनी की सालाना बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि भारत में अवसरों की भरमार हैं। उन्होंने कहा कि भारत अब 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। बीते दस सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में देश ने सभी आर्थिक मानदंडों में अच्छी प्रगति की है। अब लगभग 3.7 ट्रिलियन डॉलर (अनुमान वित्त वर्ष 2023-24) की जीडीपी के साथ भारत आर्थिक रूप से पांचवां सबसे बड़ा देश है। एक दशक पहले देश 1.9 ट्रिलियन डॉलर (मौजूदा बाजार मूल्य) की जीडीपी के साथ भारत 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था। वित्त मंत्रालय के अनुसार, इस 10 साल की यात्रा में कई रिफॉर्म हुए जिसने देश को आर्थिक रूप से आगे बढ़ाया है।

रविवार को अपनी कंपनी की वार्षिक बैठक में वॉरेन बफेट ने कहा, भारत में नई संभावनाओं का पता लगाएं। यहां ऐसे क्षेत्र हो सकते हैं जिनको सर्च नहीं किया गया है या यहां मौजूद अवसरों पर ध्यान नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा, मुझे यकीन है कि भारत में बहुत सारे अवसर हैं। सवाल यह है कि क्या हमें उनके बारे में जानकारी है, जिसमें हम भाग लेना चाहेंगे। बफेट देश में संभावित प्रवेश की तलाश में हैं। भारत की जीडीपी ग्रोथ एक नए शिखर पर पहुंचने के लिए तैयार है। विनिर्माण और ऑटोमोबाइल जैसे सेक्टरों ने फिर से सुधार देखना शुरू कर दिया है और जीएसटी कलेक्शन नई ऊंचाई हासिल कर रहा है।

आरबीआई के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, भारत की जीडीपी ग्रोथ महामारी से पहले 2020 के दौरान दर्ज की गई 7 प्रतिशत से ऊपर बढ़ने के संकेत हैं। आईएमएफ के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, 2004 में भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी 635 डॉलर थी। 2024 में देश की प्रति व्यक्ति जीडीपी बढ़कर 2,850 डॉलर हो गई है, जो इसके समकक्ष देशों के लिए 6,770 डॉलर का 42 प्रतिशत है। इस महीने की शुरुआत में जारी एचएसबीसी सर्वे के अनुसार, मजबूत मांग के कारण भारत का विनिर्माण सेक्टर अप्रैल में मजबूत गति से बढ़ा। इसके अलावा विश्व चुनौतियों के बावजूद, एक लाख से अधिक स्टार्टअप और 100 से ज्यादा यूनिकॉर्न के साथ देश ग्लोबल स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा टेक स्टार्टअप इकोसिस्टम बना हुआ है।

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