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2022 तक भ्रष्टाचार, जातिवाद से मुक्त भारत बनाएंगे : नड्डा

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रायपुर, 28 अगस्त (आईएएनएस)। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने यहां सोमवार को कहा कि ‘हम 2022 तक भ्रष्टाचार, गरीबी, आतंकवाद, नक्सलवाद, संप्रदायवाद और जातिवाद मुक्त भारत बनाएंगे।’ यहां के पं.जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज सभागार में केंद्र सरकार के ‘न्यू इंडिया मूवमेंट : संकल्प से सिद्धि’ कार्यक्रम में नड्डा ने कहा, 2017 में हम एक देशव्यापी कार्यक्रम में शामिल हो रहे हैं। यह संकल्प देश को ऐतिहासिक दिशा देने वाला संकल्प है। 1942 में महात्मा गांधी ने क्विट इंडिया मूवमेंट (भारत छोड़ो आंदोलन) का ऐलान किया था और देशवासियों के 5 साल के संघर्ष से देश को आजादी मिल गई। 2017 में हम न्यू इंडिया मूवमेंट में शामिल हो रहे हैं और 5 वर्षों में नए भारत का निर्माण करेंगे।

उन्होंने कहा, हम संकल्प लें कि 2022 तक भ्रष्टाचार, गरीबी, आतंकवाद, नक्सलवाद, संप्रदायवाद और जातिवाद मुक्त भारत बनाएंगे। सरकार के साथ आप भी विकसित और संवेदनशील भारत की कल्पना लेकर चलें। कुछ मामलों में जो बीत गया, उसे भूलने वाली आदत डालनी चाहिए। हम वर्तमान में कहां चल रहे हैं और आगे कहां चलना है इसका बोध होगा, तभी हम आगे बढ़ सकेंगे।

केंद्रीय मंत्री ने पूर्व की सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि तीन वर्ष पूर्व देश भ्रष्टाचार में अग्रणी था, दुनिया में पिछलग्गू कहलाने लगा था। लोकसभा चुनाव के बाद नेता बदला, नीयत, नीति और कार्यक्रम बदले, जिससे देश अंतर्राष्ट्रीय पटल पर छलांग लगाता हुआ आगे बढ़ा है। दुनिया की राजनीति में परिवर्तन लाने वाले देश की छवि बनी है।

उन्होंने कहा कि तीन पहले देश का प्रधानमंत्री अमेरिका जाता था तो किसी को पता नहीं चलता था। अब भारत के प्रधानमंत्री के वहां जाने की तारीख तय होती है, तो दुनियाभर में खबर बनती है कि मोदी वहां जाएंगे। जापान और चीन दोनों में नहीं बनती, लेकिन अब दोनों भारत में निवेश करना चाहते हैं।

नड्डा ने कहा कि पहले अंतर्राष्ट्रीय एजेंसी भारत की राजनीति तय करती थी और अब अमेरिका में भारतीय तय करते हैं कि वहां सरकार किसकी बनेगी। अब वो दिन दूर नहीं, जब इंग्लैंड में भारतीय मूल का व्यक्ति प्रधानमंत्री बने।

उन्होंने कहा कि 1971 में कांग्रेस सरकार ने सिर्फ कहा था कि हम बैंक के दरवाजे देश के गरीबों के लिए खोल रहे हैं, लेकिन किया क्या? सवा अरब की आबादी वाले देश में मात्र सवा तीन करोड़ लोगों के बैंक खाते थे। 2014 में मोदी सरकार ने जनधन योजना बनाई और तीन वर्षो में 29 करोड़ खाताधारक बने।

नड्डा ने केंद्र सरकार की योजनाओं- मुद्रा योजना, स्टार्टअप योजना, फसल बीमा योजना, उज्ज्वला योजना और अन्य योजनाओं की सफलता के बारे में बताया।

कार्यक्रम में प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने ‘नए भारत’ का संकल्प दिलाया। उनके साथ मौजूद सभी विधायक, सांसद, प्रमुख सचिव और अन्य लोगों ने संकल्प लिया।

इस अवसर पर राज्य के मंत्री अजय चंद्राकर, राजेश मूणत, बृजमोहन अग्रवाल सहित अन्य लोग मौजूद थे।

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नेशनल

लोकसभा के शोले और रहीम चाचा की खामोशी

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

हिन्दी सिनेमा की कालजई फिल्म शोले के रहीम चाचा का किरदार आपको जरूर याद होगा। उनका एक डायलॉग था जिसमें वो कहते है “इतना सन्नाटा क्यूँ है भाई” उस वक्त पूरे रामगढ़ में किसी के पास इसका जवाब नहीं था, कमोवेश ठीक वैसे ही हालात इस वक्त लोकसभा चुनाव में नजर आ रहे हैं। लोकसभा के चुनाव के दो चरण पूरे हो चुके हैं पर पूरे देश में कहीं भी ऐसा नजर नहीं आता कि हम अगले पाँच साल के लिए अपने नुमाइंदे चुनने जा रहे हैं। एक अजीब खामोशी नुमायाँ है। गांव, कस्बों और शहरों तक में होर्डिंग और पोस्टर नजर नहीं आ रहे हैं और न ही कानफोडू लाऊडस्पीकर पर वोट मांगने वालों का शोर सुनाई दे रहा है, चाय की टपरी और पान के खोखों पर जमा होने वाली भीड़ अपने होंठों को सिले हुए है।

एक वक्त था जब हम लोग चाय की टपरी, पान की दुकान और रास्तों के ढाबों से देश का मूड भांप लेते थे। मतदाताओं के मन में क्या चल रहा है इसका अंदाज लगाना आसान था। लेकिन आज स्थिति उलट है इन जगहों पर खड़ा आम आदमी आपसे ही उल्टा पूछ लेता है ‘और क्या चल रहा है’ इंसान-इंसान के बीच अविश्वास की खाई इतनी गहरी हो गई है कि वो पब्लिक प्लेस पर अब राजनीतिक बात करने से गुरेज करने लगा है। वोटर अपने मन की बात जुबान पर नहीं लाना चाहता हैं क्यूंकी अब वो रेडियो पर ‘मोदी जी’ के मन की बात सुन रहा है और अपने मन की बात अपने मन में रखे हुए है। उसे डर है और ये डर मिश्रित चुप्पी स्वस्थ लोकतंत्र के लिए अच्छा लक्षण नहीं है।

लोकसभा चुनाव के पहले चरण की तरह दूसरे चरण में भी वोटिंग 2019 के मुकाबले कम हुई है। पहले चरण में 21 राज्यों की 102 लोकसभा सीटों पर 64 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। जबकि पिछले लोकसभा चुनाव में उन सीटों पर भी 70 प्रतिशत से ज्यादा मतदान हुआ था। ऐसे ही इस बार दूसरे चरण में 13 राज्यों की 88 लोकसभा सीटों पर करीब 63 फीसदी वोट पड़े। यह 2019 के लोकसभा चुनाव में 70.09% मतदान के मुकाबले काफी कम था। यूपी, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे बड़े राज्यों में वोटिंग उम्मीद से काफी कम रही। यूपी में 54.85%, बिहार में 55.08% , महाराष्ट्र में 57.83% , एमपी में 57.88 % वोटिंग हुई। सबसे अधिक वोट त्रिपुरा, मणिपुर, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल में पड़े। लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में सात मई को वोटिंग है। इसमें 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 95 सीट पर मतदान होगा, जिसके लिए 1351 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं।

जब 7 मई, 13 मई, 20 मई, 25 मई और 1 जून को तीसरे, चौथे, पांचवे, छठे और सातवें चरण का मतदान होगा तो इस दौरान देश के अधिकतर हिस्सों में गर्मी के साथ लू का असर दिखाई देगा। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार के दौरान लगभग 72% निर्वाचन क्षेत्रों में अधिकतम तापमान 35°C या इससे अधिक हो सकता है। विशेष रूप से, 59 सीटों पर 40-42 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान का सामना करना पड़ सकता है। जबकि 194 सीटों पर 37.5-से 40 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान देखा जा सकता है। लेकिन इस गर्मी के बीच क्षेत्रीय दलों के नेता काफी तेजी से अपने इलाके के मतदाताओं पर पकड़ बना रहे हैं और उन सवालों को उठा रहे हैं जिनसे देश का किसान, मजदूर और नौजवान चिंतित है। इसलिए उनके प्रति आम जनता की अपेक्षाएं बढ़ी हैं इसलिए विपक्षी गठबंधन के नेताओं की रैलियों में भारी भीड़ आ रही है। जबकि भाजपा की रैलियों का रंग उसके मुकाबले फीका नजर या रहा है।

हालांकि रैली में आने वाली भीड़ जीत का पैमाना नहीं होती इसलिए कुछ कहा नहीं जा सकता। हर दल का अपना एक समर्पित काडर होता है। जबकि आज काडर के नाम पर ज्यादातर दलों के पास सत्ता के छत्ते से चिपकी रहने वाली मधुमक्खी ही ज्यादा नजर या रहीं है ये वो लोग हैं जिन्हें सत्ता की दलाली करने के अवसरों की तलाश होती है। राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ जिसके पास काडर है कार्यकर्ता हैं वो भी खामोश नजर आ रहा है। बहरहाल लगातार कम होते मतदान ने नेताओं की धुकधुकी बढ़ा रखी है। सत्ता पक्ष मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए परेशान है तो विपक्ष कम प्रतिशत को अपने पक्ष में मानकर मुंगेरीलाल के सपने बुनने में मगन है।

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