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रेलवे ने 73 करोड़ कमाए चार्ट बनने के बाद निरस्त हुए वेटिंग टिकटों से!

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भोपाल, 18 अक्टूबर (आईएएनएस)| भारतीय रेल आम आदमी की सवारी है, लेकिन उसी आम आदमी से वेटिंग टिकट के जरिये भी कमाई करने में वह पीछे नहीं है। आम आदमी की जेब कैसे काटी जाए उसके नए-नए नुस्खे अपनाए गए हैं। अब देखिए न, यात्री ने चार्ट बनने तक इंतजार किया, एक तो टिकट कंफर्म नहीं हुआ और निरस्त कराया तो चपत अलग से लग गई, इससे रेलवे के खाते में बीते साल लगभग 73 करोड़ रुपये रुपये आ गए।

देश में परिवहन के लिए रेल एक बड़ा साधन है, रेल की यात्रा हमेशा ही अन्य साधनों की तुलना में बेहतर और कम खर्च वाली रही है। इन दिनों रेल व्यवस्थाओं में सुधार की मुहिम का बहुत शोर है, अब तो बुलेट ट्रेन भी आने वाली है। इन सुधारों के शोर के दौर में रेलवे ने यात्रियों की जेब भी खूब काटी है। यह खुलासा हुआ है, सूचना के अधिकार के तहत सामने आई जानकारी से।

मध्यप्रदेश के नीमच जिले के सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने रेलवे से जानना चाहा था कि आखिर ऐसे कितने यात्री हैं, जो चार्ट बनने के बाद एक साल में वेटिंग लिस्ट टिकट के कंफर्म न होने पर यात्रा नहीं कर पाए और उससे रेलवे को कितनी राशि की आमदनी हुई।

सेंटर फॉर रेलवे इंफॉर्मेशन सिस्टम (क्रिस) ने जो जानकारी मुहैया कराई है, वह इस बात का खुलासा करती है कि चार्ट बनने के बाद सभी श्रेणियों के वेटिंग लिस्ट टिकट के कंफर्म न होने पर रेलवे को खूब आमदनी हुई है। ब्योरे के मुताबिक, वर्ष 2016-17 में चार्ट बनने पर प्रतीक्षा सूची में रहे 77,92,353 टिकट रद्द कराए गए, जिससे रेलवे को 72,38,89,617 रुपये के राजस्व की प्राप्ति हुई।

ब्योरे के मुताबिक, वर्ष 2013-14 में 70,53,031 टिकट चार्ट बनने के बाद निरस्त हुए, जिससे 45,68,29284 रुपये राजस्व के तौर पर हासिल हुए। वहीं वर्ष 2014-15 में 79,62,783 टिकट रद्द हुए, जिससे रेलवे के खाते में 37,93,33,430 रुपये की आमदनी हुई, जबकि वर्ष 2015-16 में 80,72,343 यात्रियों ने टिकट रद्द कराए, जिससे रेलवे को 52,81,82,167 रुपये की राशि प्राप्त हुई।

रेलवे की ओर से उपलब्ध कराए गए ब्योरे पर ही गौर करें तो एक बात तो साफ हो जाती है कि बीते वर्ष 2016-17 में ही औसत तौर पर हर रोज 21,348 यात्रियों ने यात्रा की योजना बनाई होगी और चार्ट बनने तक इंतजार किया होगा, इतना ही नहीं उसके बाद उन्हें टिकट वापस करने स्टेशन तक जाना पड़ा होगा और रकम वापस मिली वह कम सो अलग।

वहीं दूसरी ओर इसी वर्ष में चार्ट बनने के बाद प्रतीक्षा सूची में रह गए यात्रियों के टिकट रद्द हुए तो रेलवे को हर रोज लगभग 20 लाख रुपये की आमदनी भी हुई है।

रेलवे में सुधारों के दौर में टिकट वापसी पर राशि में की जाने वाली कटौती में भी बेतहाशा बढ़ोत्तरी हुई है। 12 नवंबर, 2015 तक जहां स्लीपर क्लास के आरएसी, वेटिंग टिकट को 48 घंटे पहले रद्द कराने पर 30 रुपये कटते थे, वहीं अब 60 रुपये कटते हैं, इसी तरह कंफर्म टिकट पर 60 की बजाय 120 रुपये कटने लगे हैं।

यात्रियों की जेब काटने में रेलवे यहीं नहीं रुका, उसने कंफर्म टिकट के गाड़ी आने के 48 घंटे से छह घंटे के बीच टिकट निरस्त कराने पर 25 प्रतिशत की राशि की कटौती होती थी, अब समय 48 से 12 घंटे के बीच ही यह सुविधा मिलती है। इसके अलावा गाड़ी के समय से छह घंटे पहले से और गाड़ी जाने के दो घंटे बाद तक टिकट निरस्त करने पर 50 प्रतिशत राशि वापस होती थी, अब गाड़ी आने के 12 से चार घंटे के बीच टिकट निरस्त कराने पर 50 प्रतिशत ही मिलती है। वहीं चार घंटे से कम का समय होने पर कोई राशि नहीं लौटाई जाती।

क्रिस के ब्यौरे के मुताबिक देखें तो रेलवे की यात्री किराए से होने वाली आय साल दर साल बढ़ रही है। वर्ष 2012-13 में जहां 31322.84 करोड़ थी जो वर्ष 2013-14 में 36532.25 करोड़, वर्ष 2014-15 में 42189.61 करोड़, वर्ष 2015-16 में 44283.26 करोड़ और वर्ष 2016-17 में बढ़कर 46280.45 करोड़ रुपये हो गई।

सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ का कहना है कि सरकार को नबंवर, 2015 में किए बदलाव की जनहित में समीक्षा करनी चाहिए। साथ ही जिन भी यात्रियों के टिकट वेटिंग लिस्ट में रह जाते हैं, उनकी पूरी राशि वापस करना चाहिए। ऐसा इसलिए कि उन यात्रियों की तो कोई गलती होती नहीं है, वे तो यात्रा करना चाहते हैं, मगर रेलवे ही उन्हें जगह नहीं देता।

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पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य में युवाओं के विकास के सभी रास्ते बंद कर दिए हैं: पीएम मोदी

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कोलकाता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को मालदा में एक चुनावी जनसभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि मेरा बंगाल से ऐसा नाता है जैसे मानो मैं पिछले जन्म में बंगाल में पैदा हुआ था या फिर शायद अगले जन्म में बंगाल में पैदा होना है। इसके साथ ही मोदी ने प्रदेश की सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस पर खूब हमला बोला। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस द्वारा किए गए बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के कारण लगभग 26 हजार परिवारों की शांति और खुशी खत्म हो गई है। पीएम मोदी ने यह बयान कलकत्ता हाईकोर्ट की एक खंडपीठ के हालिया आदेश के संदर्भ में दिया। जिसमें सरकारी स्कूलों में 25 हजार 753 टीचिंग (शिक्षण) और गैर-शिक्षण नौकरियों को रद्द कर दिया गया था।

पीएम मोदी ने आगे कहा, “नौकरियों और आजीविका के इस नुकसान के लिए केवल तृणमूल कांग्रेस जिम्मेदार है। राज्य सरकार ने राज्य में युवाओं के विकास के सभी रास्ते बंद कर दिए हैं। जिन लोगों ने पैसे उधार लेकर तृणमूल कांग्रेस के नेताओं को दिए उनकी हालत तो और भी खराब है।” पीएम मोदी ने राज्य सरकार और सत्तारूढ़ दल पर विभिन्न केंद्र-प्रायोजित योजनाओं के तहत दिए गए केंद्रीय फंड के उपयोग के संबंध में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार करने का भी आरोप लगाया। पीएम ने कहा, केंद्र सरकार ने राज्य के 80 लाख किसानों के लिए 8 हजार करोड़ रुपये उपलब्ध कराए हैं। लेकिन राज्य सरकार बाधा उत्पन्न कर रही है, इसलिए किसानों को राशि नहीं मिल पा रही है। राज्य सरकार सभी केंद्रीय परियोजनाओं के कार्यान्वयन को खराब करने की कोशिश कर रही है। वे राज्य में आयुष्मान भारत योजना लागू नहीं होने दे रहे। हमारे पास मालदा जिले के आम किसानों के लिए योजनाएं हैं। लेकिन मुझे चिंता है कि तृणमूल कांग्रेस के नेता वहां भी कमीशन की मांग करेंगे। पीएम मोदी ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में महिलाओं के यौन उत्पीड़न के लिए जिम्मेदार लोगों को बचाने का प्रयास करने का भी आरोप राज्य सरकार पर लगाया।

उन्होंने कहा कि संदेशखाली में महिलाओं को प्रताड़ित किया गया। मालदा में भी ऐसी ही घटनाओं की खबरें आई थीं। लेकिन तृणमूल कांग्रेस सरकार ने हमेशा आरोपियों को बचाने का प्रयास किया है। पीएम मोदी ने आगे कहा कि कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बीच तुष्टिकरण की राजनीति की प्रतिस्पर्धा चल रही है। एक तरफ तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल में अवैध घुसपैठ को बढ़ावा दे रही है। वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस आम लोगों से पैसा जब्त करने और इसे केवल उन लोगों के बीच वितरित करने की योजना बना रही है जो उनके समर्पित वोट बैंक का हिस्सा हैं। कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस का गुप्त समझौता है।

 

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