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विद्युतीकरण परियोजनाओं में रेलवे ने विलंब किया : सीएजी

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नई दिल्ली, 22 जुलाई (आईएएनएस)| भारत के नियंत्रणक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) ने रेलवे में विद्युतीकरण के लिए प्रक्रिया, कार्यो को सौंपने व उसे पूरा करने में हुए विलंब के लिए रेलवे को जमकर लताड़ लगाई है। सीएजी ने कहा है कि निविदा की प्रक्रिया में समय को कम करने के लिए रेलवे ने ई-निविदा प्रणाली को नहीं अपनाया।

शुक्रवार को संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में सीएजी ने कहा है कि विस्तृत जांच के लिए उसने पूरी हो चुकी 14 परियोजनाओं, 15 जारी परियोजनाओं तथा सात नई परियोजनाओं का ऑडिट किया।

अपनी रिपोर्ट में सीएजी ने कहा, रेलवे के एक अनुभाग में विद्युतीकरण करना है या नहीं, इसके लिए समय बचाने के उद्देश्य की पूर्ति नहीं की जा रही है, क्योंकि प्रस्तावों की प्रक्रिया तथा संक्षिप्त अनुमान में विलंब किया जा रहा है। 24 परियोजनाओं के लिए 59 महीने का वक्त लगने का अनुमान लगाया गया है।

केंद्रीय ऑडिटर ने कहा, कारेपल्ली-भद्राचलम, शकूरबस्ती-रोहतक, झांसी-कानपुर, बरौनी-कटिहार-गुवाहाटी तथा गुनातकाल-कल्लूर की तुलना में परियोजनाओं में भिन्नता 40 फीसदी से अधिक है।

सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में इसका भी जिक्र किया है कि सालाना कार्य कार्यक्रम में विद्युतीकरण परियोजनाओं को शामिल करने के बाद रेलवे बोर्ड ने विद्युतीकरण की परियोजनाओं को एजेंसियों को सौंपने में विलंब किया।

सीएजी के मुताबिक, सेंट्रल ऑर्गजनाइजेशन फॉर रेलवेज इलेक्ट्रीफिकेशन (सीओआरई) की 17 परियोजनाओं के संदर्भ में 337 दिन तथा रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) की छह परियोजनाओं के संदर्भ में 202 दिनों का विलंब किया गया।

रिपोर्ट के मुताबिक, सीओआरई को सौंपी गई 27 परियोजनाओं की निविदा जारी करने के लिए 3,177 दिनों का वक्त लिया गया, जबकि आरवीएनल को सौंपी गई सात परियोजनाओं के लिए 12 निविदाएं जारी करने के लिए 915 दिनों का वक्त लिया गया।

सीएजी ने कहा कि इससे स्पष्ट होता है कि परियोजना को समय पर पूरा करने को कोई तवज्जो न देते हुए निविदा की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया।

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नेशनल

जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों को बड़ी कामयाबी, मुठभेड़ में दो आतंकियों को किया ढेर

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बारामूला। जम्मू-कश्मीर के बारामूला जिले के सोपोर में शुक्रवार को सुरक्षाबलों और आतंकवादियों के बीच चल रही गोलीबारी में दो आतंकवादी मारे गए, जबकि एक नागरिक और दो सैनिक घायल हो गए। स्थानीय सूत्रों के मुताबिक लश्कर का डिवीजनल कमांडर उस्मान और आतंक का पर्याय बने लश्कर के मुखौटा संगठन टीआरएफ के कमांडर बासित डार के फंसे होने की संभावना है। रात 12:30 बजे आतंकियों ने घेरा तोड़ भागने का प्रयास किया और उसके बाद दोनों ओर से गोलाबारी शुरू हुई है। बीते 48 घंटे में उत्तरी कश्मीर में आतंकियों व सुरक्षाबल के बीच दूसरी मुठभेड़ है।

इससे पूर्व मंगलवार को बांडीपोरा के रेंजी अरागाम में मुठभेड़ में भी दो सैन्यकर्मी घायल हुए थे। पुलिस को गुरुवार दोपहर बाद पता चला कि स्वचालित हथियारों से लैस दो-तीन आतंकी सोपोर में किसी जगह अपने संपर्क सूत्र से मिलने आए हैं। ये आतंकी चुनाव के दौरान किसी वारदात को अंजाम देने का षड्यंत्र रच रहे हैं। सूचना पर पुलिस ने सोपोर और उसके साथ सटे इलाकों में मुखबिरों को सक्रिय किया। शाम सात बजे के करीब जब सुरक्षाबल तलाशी लेते हुए चक मोहल्ले में आगे बढ़ रहे तो मस्जिद से कुछ ही दूरी पर स्थित एक मकान में छिपे आतंकियों ने उन पर फायरिंग करते हुए भागने का प्रयास किया।

जवानों ने जवाबी फायर कर आतंकियों को मुठभेड़ में उलझा लिया। जवानों ने आतंकियों की गोलीबारी के बीच ही आसपास के मकानों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। दावा किया जा रहा है कि इस दौरान फारूक अहमद नामक एक स्थानीय नागरिक के कंधे पर गोली लगी, जिससे वह जख्मी हो गया। उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वह एक लैब टैक्निशियन है। इस भिड़ंत में सेना ने दो आतंकियों को मार गिराया है

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