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हैदराबाद सहित 14 सीवेज नमूनों में मिले पोलियो वायरस
नई दिल्ली, 24 अक्टूबर (आईएएनएस)| हैदराबाद सहित भारत के विभिन्न हिस्सों से एकत्र 14 सीवेज नमूनों में वैक्सीन से उत्पन्न पोलियो वायरस (वीडीपीवी) मिले हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, भारत में ओरल पोलियो वैक्सीन (ओपीवी) के उपयोग से जुड़ा मौजूदा टीकाकरण कार्यक्रम बीमारी के फैलाव की वजह बन सकता है। भारत को हालांकि 2014 में पोलियो मुक्त घोषित किया गया था।
पोलियो, जिसे पोलियोमाइलिटिस भी कहा जाता है, एक संक्रामक रोग है। यह वायरस के कारण होता है जो तंत्रिका तंत्र पर हमला करता है। पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चे किसी भी अन्य समूह की तुलना में वायरस से सबसे अधिक संक्रमित होते हैं। बिना लक्षणों के भी, पोलियो वायरस से संक्रमित लोग वायरस फैला सकते हैं और दूसरों में संक्रमण का कारण बन सकते हैं।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा, घबराने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि किसी भी वाइल्ड पोलियो वायरस का पता नहीं लगा है। भारत पिछले 5 वर्षो से पोलियो मुक्त है। जिस स्ट्रेन का पता चला है, वह वैक्सीन से उत्पन्न पोलियो वायरस (वीडीपीवी) है, न कि एक वाइल्ड पोलियो वायरस। सीवेज के पानी मे पहले भी पी 2 का वीडीपीवी स्ट्रेन मिल चुका है, क्योंकि पी 2 ओरल वैक्सीन हाल तक बच्चों को दी जा रही थी।
उन्होंने कहा, वर्तमान वीडीपीवी स्ट्रेन को सीवेज के पानी में देखा गया है, न कि किसी बच्चे में। बच्चों को वीडीपीवी ट्रांसमिशन का जोखिम नगण्य है। 25 अप्रैल, 2016 से मौजूदा पोलियो नीति के अनुसार, ट्राइवेलेंट वैक्सीन को बाजार से वापस ले लिया गया है और इसे बाइवेलेंट वैक्सीन में बदल दिया गया है। 9 मई को भारत को ट्राइवेलेंट वैक्सीन मुक्त घोषित किया गया था। इसमें 3 प्रकार के पोलियो सीरोटाइप होते हैं- टाइप 1, टाइप 2 और टाइप 3। बाइवेलेंट वैक्सीन में टाइप 2 वायरस नहीं है।
पोलियो के लगभग एक प्रतिशत मामलों में लकवाग्रस्त पोलियो विकसित हो सकता है। कुछ लक्षणों में स्राव, आंतों और मांसपेशियों में दर्द, अंगों में ढीलापन, अचानक पक्षाघात और अस्थायी या स्थायी विकृत अंग, विशेष रूप से कूल्हों, एंकल और पैरों में परेशानी शामिल है।
डॉ. अग्रवाल ने बताया, पोलियो से लड़ने के लिए दो टीके उपलब्ध हैं- निष्क्रिय पोलियो वायरस (आईपीवी) और ओरल पोलियो वैक्सीन (ओपीवी)। आईपीवी में इंजेक्शन की एक श्रृंखला होती है, जो जन्म के 2 महीने बाद शुरू होती है और जब तक बच्चा 4 से 6 साल का नहीं होता, तब तक टीका जारी रहता है। ओपीवी पोलियो वायरस के एक कमजोर रूप से बनाया गया है। यह संस्करण कई देशों में पसंद का टीका है, क्योंकि यह कम लागत, लगाने में आसान है और बढ़िया परिणाम देता है।
विश्व पोलियो दिवस पर, इस बारे में जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता है। हालांकि, सार्वजनिक स्वच्छता और व्यक्तिगत स्वच्छता से पोलियो के फैलाव को कम करने में मदद मिल सकती है। रोग को रोकने के लिए सबसे प्रभावी तरीका है पोलियो की वैक्सीन। इसके अलावा, ऐसे पोलियो के लिए कोई इलाज नहीं है और फोकस आराम प्रदान करने, तेजी से सुधार और जटिलताओं को रोकने पर है।
कुछ उपचार :
– बिस्तर पर आराम
– दर्द निवारक
– सांस लेने में सहायता करने के लिए पोर्टेबल वेंटिलेटर
– विकृति और मांसपेशियों का नुकसान रोकने के लिए व्यायाम
– फलों और सब्जियों सहित पौष्टिक आहार
नेशनल
अफ्रीकन दिखते हैं दक्षिण भारत के लोग… सैम पित्रोदा के बयान पर मचा बवाल, बीजेपी ने बोला हमला
नई दिल्ली। इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने पूर्वोत्तर और दक्षिण भारतीय लोगों को लेकर ऐसा बयान दे दिया है जिसपर बवाल मच गया है। सैम पित्रोदा ने कहा कि पूर्वोत्तर में रहने वाले लोग चीन जैसे दिखते हैं और दक्षिण में रहने वाले अफ्रीकन जैसे। दरअसल, सैम पित्रोदा का एक वीडियो सामने आया है.जिसमें वह कह रहे हैं कि भारत जैसे विविधता वाले देश में सभी एक साथ रहते हैं. वीडियो में उन्हें कहते देखा जा सकता है। वह कहते हैं कि यहां पूर्वी भारत के लोग चीन के लोगों जैसे, पश्चिम भारत में रहने वाले अरब जैसे और दक्षिण में रहने वाले अफ्रीकी लोगों जैसे दिखते हैं। उन्होंने कहा कि बावजूद इसके फिर भी हम सभी मिल-जुलकर रहते हैं।
इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा के इस बयान पर बीजेपी की ओर से असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने पलटवार किया। उन्होंने अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट से उनके वीडियो को रीट्वीट करते हुए लिखा, “सैम भाई, मैं नॉर्थ ईस्ट से हूं और भारतीय जैसा दिखता हूं। हम एक विविधतापूर्ण देश हैं-हम अलग दिख सकते हैं लेकिन हम सभी एक हैं। हमारे देश के बारे में थोड़ा तो समझ लो!”
सैम पित्रोदा के कुछ ही दिन पहले दिए गए विरासत टैक्स वाले बयान पर चुनाव के बीच बवाल मचा था वहीं अब एक बार फिर उनके बयान पर विवाद खड़ा हो गया है। पिछले दिनों सैम पित्रोदा ने भारत में विरासत कर कानून की वकालत की था। धन के पुनर्वितरण की दिशा में नीति की आवश्यकता पर जोर देते हुए, पित्रोदा ने अमेरिका का हवाला दिया था। हालांकि कांग्रेस पार्टी ने इससे पल्ला झाड़ लिया था और इसे उनका निजी बयान बताया था।
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