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हार-हार और हार..! आखिर कब थमेगा सिलसिला

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पद्मपति शर्मा

नई दिल्ली| सिक्के की उछाल में मिली मात और भोथरी गेंदबाजी ने सिरीज का फाइनल किस तरह से नशा उखाड़ किया, यह बताने की जरूरत नहीं और यह भी नहीं कि हर किसी का समय होता है मिस्टर धोनी. बाजुओं में जो ताकत आपके थी वह जाती रही और कितने गरीब नजर आए आप बल्ले से, यह भी दर्शकों ने देखा।

हार, हार और हार यही बदा है देश के भाग्य में शायद। जो सिलसिला आस्ट्रेलिया से शुरू हुआ, वह आज तक थमा नहीं। बांग्लादेश तक ने पानी पिला दिया था तो यह महाबली दक्षिण अफ्रीका है। घर के आंगन में बहुत हुआ कि आपने दो मुकाबले अपने नाम जरूर किए पर अंत किस शान-ए-शौकत से डिविलयर्स के रणबांकुरों ने भारतीय घरती पर पहली बार(एक दिनी सिरीज में पहली बार जीत) किया वह वाकई देखते बना। खचाखच भरे वानखड़े स्टेडियम पर अपराह्न् में जिस ज्वालामुखी से निकल रहे पिघलते लावे की तरह अफ्रीकियों नें बल्लेबाजी की वह सचमुच ‘भूतो न भविष्यति’ थी। मैने भारतीय गेंदबाजी के जिस तरह यहां चिथड़े उड़ते देखा, वह वाकई कल्पनातीत था।

गेंदबाजों का विश्लेषण आप यदि देखेंगे कि जिसमें भुवनेश्वर जैसे गेंदबाज ने रन लुटाते हुए सैकड़ा पार कर लिया, तो आप अपना सिर धुन लेंगे, शर्म से गड़ जाएंगे। कंगाली मे आटा गीला यह कि अमित मिश्रा जैसों ने शुरू में जो मौके बनाए भी थे डिकॉक और डुप्लेसी के खिलाफ वो मोहित, रैना और रहाणे की फिसलन भरी हथेलियों ने गंवा दिए। भज्जी एकलौते थे जिन्होंने कुछ सम्मान प्राप्त किया पर अंतिम ओवर में गेंद थमा कर धोनी ने उनका भी कबाड़ा कर दिया। यह भी याद नही पड़ता कि किसी मैच में एक साथ तीन-तीन शतक लगे हों और जब ऐसा हुआ तब आप सहज ही समझ सकते हैं कि मेजबान आक्रमण किस कदर राह से भटका रहा होगा।

सीरीज में अपना तीसरा शतक 57 गेंदों में पूरा करने वाले कप्तान डिवीलियर्स हों या 35 डिग्री सेल्सियस तापमान और बला की उमस के चलते शतक पूरा करने की ललक में विकेट के बीच दौड़ लगाने के दौरान क्रैम्प के शिकार होने के बावजूद ,रिटायर्ड हर्ट होने के पहले तक एक टांग और एक हाथ से भी छक्के चौके लगाने में मशगूल डुप्लेसी रहे या वर्तमान श्रृंखला में दूसरा शतक लगाने वाले क्विंटन डिकाक। इन तीनों ने बल्लेबाजी के अनुकूल विकेट और विद्युतीय आउटफील्ड का अधिकतम दोहन करते हुए जब पूर्ण प्रचंडता का दर्शन कराया तब स्वाभाविक था कि 438 का ऐसा गगनचुंबी स्कोर बनना ही था और अतीत मे शायद ही माही की टीम को अपने घर में 200 से भी ज्यादा के अंतर से हार का सामना करना पड़ा हो। कम से कम मुझे तो याद नहीं.

भारत पहले भी 350 से ज्यादा का टारगेट चेज कर चुका है, पर यह टारगेट लगभग नामुमकिन सा इसलिए था कि वर्तमान में भारत के पास सहवाग, सचिन, सौरव और गंभीर जैसी विस्फोटक बल्लेबाजी पंक्ति नहीं जो रन रेट को बौना बनाते हुए दस ओवर में सौ पार कर लेती. ऐसी शुरूआत ही चमत्कारिक सफलता दिला सकती थी। वही हुआ भी जो आशंकित था। धोनी के ‘विशेष प्यारे’ बल्लेबाज अजिंक्य रहाणे ( 87 रन 58 गेंद ) ही 150 के स्ट्राइक रेट से जवाब देते हुए कसौटी पर खरे उतर सके और धवन का समय की मांग के मद्देनजर धीमा अर्धशतक जरूर देखने को मिला, लेकिन धोनी के माथा दर्द 29 गेंदो में निकले 27 रनों ने बहुत कुछ संदेश चयनकतार्ओं को भेज दिया है। अंत में एक बात चलते-चलाते यह जरूर कहना चाहूंगा कि 438 के स्कोर को पीछे छोड़ना कहीं से भी नामुमकिन नहीं था। इतिहास की सबसे सफल चेज के समय कंगारुओं के खिलाफ मेजबान दक्षिण अफ्रीका ने जोहांसबर्ग में ठीक यही स्कोर ही तो बनाया था लेकिन तब उनके पास कद्दावर हर्शेल गिब्स और उसकी नायाब 175 की पारी थी। काश टीम इंडिया के पास भी कोई गिब्स सरीखा खूंटा गाड़ बल्लेबाज होता।

समय आ गया है कि बीसीसीआई जवाबदेही भी उठाए। चयनसमिति सवालों के घेरे मे है कि जो फार्म में नहीं है उनको लगातार ढोने की क्या तुक है। युवा प्रतिभाओं को क्या परखने का यह सही समय नहीं है? मत भूलिये कि 214 रनों की यहां मिली भारी भरकम जीत के साथ एक दिनी सिरीज अपने नाम करने के साथ ही दक्षिण अफ्रीकियों का पांच नवंबर से प्रारंभ हो रही टेस्ट सीरीज के लिए किस कदर हिमालय सरीखा आत्मविश्वास होगा, यह सहज ही समझा जा सकता है।

 

नेशनल

जेपी नड्डा का ममता पर हमला, कहा- संदेशखाली में जनता की रक्षा के लिए एनएसजी कमांडो को भी उतरना पड़ा

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नई दिल्‍ली। भाजपा के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष जेपी नड्डा ने मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी पर तगड़ा हमला बोला है। उन्‍होंने कहा कि ममता दीदी ने बंगाल को क्‍या बना दिया है। जेपी नड्डा ने कहा कि संदेशखाली, ममता बनर्जी की निर्ममता और बर्बरता का संदेश चीख-चीख कर दे रहा है। ममता दीदी ने बंगाल को क्या बना दिया है? जहां रवींद्र संगीत गूंजना चाहिए था, वहां बम-पिस्तौल मिल रहे हैं।

संदेशखाली में जनता की रक्षा के लिए एनएसजी कमांडो को भी उतरना पड़ा। इसी से समझ सकते हैं कि पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार ने किस तरह अराजकता फैला रखी है। मैं बंगाल के सभी भाजपा कार्यकर्ताओं और जनता से अपील करता हूं कि आप सभी संदेशखाली पर ममता बनर्जी से जवाब मांगे।

प्रधानमंत्री मोदी ने संदेशखाली की पीड़िता को पार्टी का टिकट देकर भाजपा महिला सशक्तिकरण के संदेश को मजबूती दी है। इसके साथ ही पीएम मोदी ने ममता बनर्जी को जवाब दिया है कि ये महिलाएं अकेली नहीं है उनके साथ पूरा समाज, पूरा देश खड़ा है। संदेशखाली में महिलाओं की इज्जत-आबरू और उनकी जमीनें बचाने के लिए वहां गई जांच एजेंसियों के अधिकारियों पर भी घातक हमला किया गया।

जेपी नड्डा ने आगे कहा, “मैं आज समाचार पढ़ रहा था कि संदेशखाली में तलाशी के दौरान सीबीआई ने तीन विदेशी रिवॉल्वर, पुलिस द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली एक रिवॉल्वर, बंदूकें, कई गोलियां और कारतूस बरामद किए हैं।” इसी से समझा जा सकता है कि ममता सरकार ने राज्य में किस तरह अराजकता फैला रखी है। उन्होंने पूछा कि क्या ममता बनर्जी जनता को डराकर, उनकी जान लेकर चुनाव जीतेंगी। क्या नेताजी सुभाष चंद्र बोस, रवीन्द्रनाथ टैगोर, स्वामी विवेकानंद और महर्षि अरबिंदो जैसे मनीषियों ने ऐसे बंगाल की कल्पना की थी।

संदेशखाली में जनता की रक्षा के लिए एनएसजी कमांडो को भी उतरना पड़ा। ममता दीदी, यदि आपको ऐसा लगता है कि आप ऐसा करके चुनाव जीत जाएंगी तो ये आपकी भूल है। जनता आपको इसका करारा जवाब देगी। उन्होंने कहा कि हमने देखा कि ममता सरकार में तृणमूल कांग्रेस के शाहजहां शेख जैसे असामाजिक तत्व संदेशखाली में महिलाओं के अस्तित्व पर खतरा बने हुए हैं। महिलाओं के साथ जिस तरह का सलूक हो रहा है वह सच में बहुत ही संवेदनशील और कष्टदायी है।

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