बिजनेस
साह पेट्रोलियम का नाम अब जीपी पेट्रोलियम
शारजाह| संयुक्त अरब अमीरात की कंपनी गल्फ पेट्रोलियम ने बुधवार को कहा कि उसने बंबई स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध लुब्रिकैंट कंपनी साह पेट्रोलियम्स का नाम बदलकर जीपी पेट्रोलियम्स लिमिटेड कर दिया है। गल्फ पेट्रोलियम ने साह पेट्रोलियम्स का अधिग्रहण हाल ही में किया था। पहले अधिग्रहण और अब नाम परिवर्तन से साह पेट्रोलियम्स के उत्पाद को अंतर्राष्ट्रीय बाजार मिल गया है। गल्फ पेट्रोलियम समूह के प्रबंध निदेशक सुधीर गोयल ने यहां एक बयान में कहा, “भारतीय बाजार हमारे लिए बड़े महत्व का है और जीपी पेट्रोलियम्स लिमिटेड हमें इस विकासशील अर्थव्यवस्था में पांव जमाने में मदद करेगी।”
गल्फ पेट्रोलियम ने जुलाई 2014 में 60 करोड़ रुपये में जीपी पेट्रोलियम्स में 72.23 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी थी। इसके बाद अक्टूबर में कंपनी में 26 फीसदी अतिरिक्त हिस्सेदारी के लिए उसने ओपेन ऑफर जारी किया था। जीपी पेट्रोलियम्स लिमिटेड देश की प्रमुख लुब्रिकैंट कंपनी है। वह भारत और विदेश में आईपीओएल ब्रांड के उत्पाद बेचती है। बयान में कहा गया है कि इस अधिग्रहण से गल्फ पेट्रोलियम के उत्पादों की श्रंखला मजबूत होगी।
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Whatsapp ने दी भारत छोड़ने की धमकी, कहा- अगर सरकार ने मजबूर किया तो
नई दिल्ली। व्हाट्सएप ने गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट में कहा कि अगर उसे उसे संदेशों के एन्क्रिप्शन को तोड़ने के लिए मजबूर किया गया तो वह भारत में अपनी सेवाएं बंद कर देगा। मैसेजिंग प्लेटफॉर्म की ओर से पेश एक वकील ने कहा कि लोग गोपनीयता के लिए व्हाट्सएप का उपयोग करते हैं और सभी संदेश एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड हैं।
व्हाट्सऐप का कहना है कि WhatsApp End-To-End Encryption फीचर यूजर्स की प्राइवेसी को सिक्योर रखने का काम करता है। इस फीचर की वजह से ही मैसेज भेजने वाले और रिसीव करने वाले ही इस बात को जान सकते हैं कि आखिर मैसेज में क्या लिखा है। व्हाट्सऐप की तरफ से पेश हुए वकील तेजस करिया ने अदालत में बताया कि हम एक प्लेटफॉर्म के तौर पर भारत में काम कर रहे हैं। अगर हमें एन्क्रिप्शन सिक्योरिटी फीचर को तोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है तो व्हाट्सऐप भारत छोड़कर चला जाएगा।
तेजस करिया का कहना है कि करोड़ों यूजर्स व्हाट्सऐप को इसके एन्क्रिप्शन सिक्योरिटी फीचर की वजह से इस्तेमाल करते हैं। इस वक्त भारत में 40 करोड़ से ज्यादा व्हाट्सऐप यूजर्स हैं। यही नहीं उन्होंने ये भी तर्क दिया है कि नियम न सिर्फ एन्क्रिप्शन बल्कि यूजर्स की प्राइवेसी को भी कमजोर बनाने का काम कर रहे हैं।
व्हाट्सऐप के वकील ने बताया कि भारत के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसा कोई नियम नहीं है। वहीं सरकार का पक्ष रखने वाले वकील कीर्तिमान सिंह ने नियमों का बचाव करते हुए कहा कि आज जैसा माहौल है उसे देखते हुए मैसेज भेजने वाले का पता लगाने की जरूरत पर जोर दिया है। कोर्ट इस मामले पर अगली सुनवाई अब 14 अगस्त को करेगा।
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