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मुलायम के तेवर सख्त, महाबैठक में आज ले सकते हैं कड़ा फैसला

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mulayam singhलखनऊ। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने सोमवार को पार्टी कार्यालय पर एक महाबैठक बुलाई है। वह 40 वर्ष से ज्यादा लंबे सियासी सफर की अब तक की सबसे बड़ी चुनौती से जूझ रहे हैं। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने रविवार को अपनी ताकत दिखा दी लेकिन अब मुलायम आज अपने विधायकों के साथ बैठक कर बड़े सियासी फैसले का ऐलान कर सकते हैं।

सूत्रों के मुताबिक, ऐसी संभावना है कि मुलायम को सपा विधानमंडल दल का नेता चुने जाने की पहल भी हो सकती है। सूत्रों ने बताया कि शिवपाल, अमर सिंह के अलावा कई ताकतवर पुराने समाजवादी चाहते हैं कि मुलायम अखिलेश की जगह लें। उनका आरोप है कि अखिलेश ने चुनावों में अकेले जाने का मन बनाया है और एक पंचलाइन भी तैयार कर ली है, ‘मेरा परिवार उत्तर प्रदेश है।’

मुलायम के समर्थकों का दावा है कि अखिलेश गुट ने मुलायम व शिवपाल की तस्वीरों के बिना पोस्टर्स और होर्डिंग्स भी बनवा लिए हैं। इससे पूर्व अखिलेश द्वारा चार मंत्रियों को बर्खास्त करने, अमर सिंह व गायत्री को निशाने पर लेने के बाद रविवार को जब हालात बेकाबू हो गए तो मुलायम को अपने चचेरे भाई रामगोपाल यादव को ही पार्टी से निकालने का फैसला लेना पड़ा।

रविवार देर शाम मुलायम सिंह ने मंत्री पद गवाने वाले व अपने छोटे भाई शिवपाल यादव को अपने आवास पर बुलाया और उनसे अखिलेश की बैठक में आने वाले विधायकों पर चर्चा की और भरोसा दिलाया कि सभी विधायक सोमवार को पार्टी दफ्तर में रहेंगे। उन्होने दिनभर चले घटनाक्रम व अखिलेश यादव के फैसलों से उपजे हालात पर चर्चा की।

इसके बाद मुलायम ने शिवपाल, नारद राय, ओम प्रकाश सिंह, शादाब फातिमा, अंबिका चौधरी व आशुमलिक मौजूद थे। इसके बाद उन्होंने रजत जयंती समारोह की तैयारियों के सिलसिले में गायत्री से लंबी चर्चा की।

इससे पहले सुबह मुलायम सिंह यादव ने बेनी प्रसाद वर्मा, किरनमय नंदा, रेवती रमण सिंह व नरेश अग्रवाल के साथ चर्चा की। मुलायम के हवाले से सूत्रों ने बताया, डेढ़ साल हो गया लेकिन इस बीच अखिलेश ने कभी उनसे गंभीर विषयों पर चर्चा नहीं की। उन्होंने खून-पसीने से इस पार्टी को सींचा है।

नेशनल

पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य में युवाओं के विकास के सभी रास्ते बंद कर दिए हैं: पीएम मोदी

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कोलकाता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को मालदा में एक चुनावी जनसभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि मेरा बंगाल से ऐसा नाता है जैसे मानो मैं पिछले जन्म में बंगाल में पैदा हुआ था या फिर शायद अगले जन्म में बंगाल में पैदा होना है। इसके साथ ही मोदी ने प्रदेश की सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस पर खूब हमला बोला। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस द्वारा किए गए बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के कारण लगभग 26 हजार परिवारों की शांति और खुशी खत्म हो गई है। पीएम मोदी ने यह बयान कलकत्ता हाईकोर्ट की एक खंडपीठ के हालिया आदेश के संदर्भ में दिया। जिसमें सरकारी स्कूलों में 25 हजार 753 टीचिंग (शिक्षण) और गैर-शिक्षण नौकरियों को रद्द कर दिया गया था।

पीएम मोदी ने आगे कहा, “नौकरियों और आजीविका के इस नुकसान के लिए केवल तृणमूल कांग्रेस जिम्मेदार है। राज्य सरकार ने राज्य में युवाओं के विकास के सभी रास्ते बंद कर दिए हैं। जिन लोगों ने पैसे उधार लेकर तृणमूल कांग्रेस के नेताओं को दिए उनकी हालत तो और भी खराब है।” पीएम मोदी ने राज्य सरकार और सत्तारूढ़ दल पर विभिन्न केंद्र-प्रायोजित योजनाओं के तहत दिए गए केंद्रीय फंड के उपयोग के संबंध में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार करने का भी आरोप लगाया। पीएम ने कहा, केंद्र सरकार ने राज्य के 80 लाख किसानों के लिए 8 हजार करोड़ रुपये उपलब्ध कराए हैं। लेकिन राज्य सरकार बाधा उत्पन्न कर रही है, इसलिए किसानों को राशि नहीं मिल पा रही है। राज्य सरकार सभी केंद्रीय परियोजनाओं के कार्यान्वयन को खराब करने की कोशिश कर रही है। वे राज्य में आयुष्मान भारत योजना लागू नहीं होने दे रहे। हमारे पास मालदा जिले के आम किसानों के लिए योजनाएं हैं। लेकिन मुझे चिंता है कि तृणमूल कांग्रेस के नेता वहां भी कमीशन की मांग करेंगे। पीएम मोदी ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में महिलाओं के यौन उत्पीड़न के लिए जिम्मेदार लोगों को बचाने का प्रयास करने का भी आरोप राज्य सरकार पर लगाया।

उन्होंने कहा कि संदेशखाली में महिलाओं को प्रताड़ित किया गया। मालदा में भी ऐसी ही घटनाओं की खबरें आई थीं। लेकिन तृणमूल कांग्रेस सरकार ने हमेशा आरोपियों को बचाने का प्रयास किया है। पीएम मोदी ने आगे कहा कि कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बीच तुष्टिकरण की राजनीति की प्रतिस्पर्धा चल रही है। एक तरफ तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल में अवैध घुसपैठ को बढ़ावा दे रही है। वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस आम लोगों से पैसा जब्त करने और इसे केवल उन लोगों के बीच वितरित करने की योजना बना रही है जो उनके समर्पित वोट बैंक का हिस्सा हैं। कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस का गुप्त समझौता है।

 

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