अन्तर्राष्ट्रीय
सऊदी अरब में 35 साल बाद सिनेमाघरों से हटा बैन
रियाद। सऊदी अरब ने साढ़े तीन दशक से अधिक समय से सिनेमाघरों पर लगा बैन हटा लिया है। यानी सऊदी अरब में 35 साल बाद फिर से सिनेमाघर खोले जाएंगे। सऊदी अरब ने सोमवार को अगले साल से सिनेमाघरों को लाइसेंस प्रदान की योजना की घोषणा की।
इस फैसले को देश के ताकतवर क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के विजऩ 2030 कार्यक्रम का हिस्सा बताया जा रहा है। सरकार ने फैसला किया है कि पूरे देश में जल्द ही सिनेमा घर खोले जाएंगे। पहला सिनेमा हॉल अगले साल मार्च तक खुलने की उम्मीद की है। ऐसे में अब सऊदी के लोग भी टॉकीज में जाकर देश-विदेश की फिल्में देख पाएंगे।
गौरतलब है कि 1980 के दशक में इस्लामी कट्टरपंथियों के दबाव में पूरे देश में सिनेमा बैन कर दिया गया था। देश ने इस्लाम का ज्यादा कड़ा रूप अपनाया और कई तरह के मनोरंजन और महिला-पुरुष के घुलने मिलने पर प्रतिबंध लगा दिया।
इस बदलाव का उद्देश्य सऊदी द्वारा विदेशों में खर्च किए गए 20 अरब डॉलर का एक चौथाई हिस्सा हासिल करना है, जो शो और मनोरंजन पार्कों को देखने के लिए विदेशों की यात्रा करने के आदी हैं। सरकार को उम्मीद है कि सऊदी अरब में 2030 तक लगभग 300 सिनेमा घर होंगे, जिनमें 2000 से ज्यादा स्क्रीनों पर फिल्में देखी जा सकेंगी।
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कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित
नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।
एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।
कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।
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