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संतों को भी नहीं चाहिए ‘कालेधन’ का दान

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इलाहाबाद| तीर्थराज प्रयाग में हर वर्ष लगने वाले माघ मेले का आगाज हो चुका है। मेले में कल्पवास के लिए एक तरफ जहां आम श्रद्धालु एकत्र हो रहे हैं, वहीं दूसरी ओर बड़े-बड़े व्यवसायी, विधायक और सांसद भी पवित्र स्नान के लिए पहुंच रहे हैं। इसी बीच संतों ने दान लेने के लिए एक ‘संकल्पपत्र’ भरवाना शुरू किया है। लब्बोलुबाब यह कि ये संत भी अब दान के तौर पर ‘कालाधन’ का हिस्सा नहीं लेना चाहते।

गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के तट पर चल रहे माघ मेले में संतों की तरफ से गुपचुप तरीके से ही इस अभियान की शुरुआत की गई है। मेले में डेरा जमाए अखाड़ों के संतों और अन्य प्रदेशों से पहुंचे धर्माचार्यो ने दान लेते समय यह संकल्पपत्र भरवाना शुरू किया है कि दान का धन ‘कालाधन’ नहीं, बल्कि मेहनत की कमाई है।

माघ मेले में करीब 2000 से अधिक धार्मिक संस्थाएं डेरा जमाए हुए हैं। पांच जनवरी से ही यहां श्रद्धालुओं का आगमन शुरू है। परंपरा के मुताबिक स्नान-ध्यान के लिए पहुंचने वाले लोग स्वेच्छा से दान भी करते हैं। माघ मेले में इस बार कई संत ऐसे हैं जो दान में मिले धन की पड़ताल में जुट गए हैं। दान लेने से पहले वह आश्वस्त हो जाना चाहते हैं कि दिया गया धन काली कमाई का हिस्सा नहीं है। यानी बेईमानी कर पैसे जुटाने वाले लोग संतों को धन देकर पाप से मुक्त होने की आशा नहीं रख सकते।

जगद्गुरु शंकराचार्य अधोक्षजानंद जी देवतीर्थ महाराज का आश्रम भी इसी मेले में लगा है। उनके यहां पहुंचने वालों में राजनेता और व्यवसायी भी हैं। ये लोग दान-पुण्य की इच्छा लिए उनके आश्रम की तरफ आते हैं। अधोक्षजानंद ने बताया कि अभी कुछ दिनों पहले ही एक सांसद अपने परिवार के साथ आए थे और उन्होंने स्वेच्छा से दान देने की इच्छा जाहिर की थी। उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए उनसे मगर संकल्पपत्र भरवा लिया गया।

अधोक्षजानंद ने कहा, “दान देना तो अच्छी बात है कि लेकिन दाता साथ ही एक संकल्पपत्र दें कि जो धन दान में दे रहे हैं, वह काला धन नहीं है।” संत ने बाद में हंसते हुए बताया, “हमने उन महोदय से कहा कि मेहनत से कमाया धन ही दान में देना चाहिए और उसी से पुण्य मिलता है। पाप की कमाई से पुण्य की आशा नहीं रखनी चाहिए।”

संगम तट पर इस तरह का अभियान चलाने वाले अधोक्षजानंद अकेले नहीं हैं। माघ मेले में सक्रिय गंगा सेना के युवक भी कुछ ऐसा ही अभियान चला रहे हैं। गंगा सेना से जुड़े एक संत ने कहा कि लोग गंगा में स्नान कर ‘तन’ को तो धो लेते हैं, मगर ‘मन’ की सफाई पर ध्यान नहीं देते। इस अभियान की शुरुआत ऐसे लोगों के लिए ही की गई है।

उन्होंने कहा कि मन और चेतना को जगाना जरूरी है। लोग इस बात को समझें कि मेहनत की कमाई दान करने से ही पुण्य मिलेगा। काश! पापियों की चेतना जाग जाए और देश के रग-रग में समाया भ्रष्टाचार गंगा, यमुना व सरस्वती में डूब जाए।

नेशनल

पश्चिम बंगाल के श्रीरामपुर में बोले अमित शाह, पीओके भारत का है और हम इसे लेकर रहेंगे

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श्रीरामपुर। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल के हुगली के श्रीरामपुर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए विपक्ष पर जमकर प्रहार किया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी और ममता बनर्जी, आपको डरना है तो डरते रहिए, ये पीओके भारत का है और हम उसे लेकर रहेंगे।

अमित शाह ने कहा कि ममता बनर्जी, कांग्रेस-सिंडिकेट कहती है कि धारा 370 को मत हटाओ। मैंने संसद में पूछा कि क्यों न हटाएं तो उन्होंने कहा कि खून की नदियां बह जाएंगी। 5 साल हो गए खून कि नदियां छोड़ो किसी की कंकड़ चलाने की हिम्मत नहीं है। जब INDI गठबंधन का शासन था तो हमारे कश्मीर में हड़तालें होती थीं। आज पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में हड़ताल होती है। पहले कश्मीर में आजादी के नारे लगते थे, अब पाक अधिकृत कश्मीर में नारेबाजी होती है। राहुल गांधी, आपको डरना है तो डरते रहिए, ममता बनर्जी आपको डरना है तो डरते रहिए लेकिन मैं आज श्रीरामपुर की धरती से कहता हूं कि ये पाक अधिकृत कश्मीर भारत का है और हम उसे लेकर रहेंगे।

अमित शाह ने कहा आने वाले चुनाव में आप सभी वोट डालने वाले हैं। इस चुनाव में एक ओर परिवारवादी पार्टियां हैं जिसमें ममता बनर्जी अपने भतीजे को, शरद पवार अपनी बेटी को, उद्धव ठाकरे अपने बेटे को, स्टालिन अपने बेटे को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं और सोनिया गांधी, राहुल बाबा को पीएम बनाना चाहती हैं। वहीं दूसरी ओर गरीब चाय वाले के घर में जन्में इस देश के महान नेता नरेन्द्र मोदी जी हैं।

नरेन्द्र मोदी जी ने बंगाल के विकास के लिए ढेर सारे कार्य किए हैं। मैं ममता दीदी से पूछना चाहता हूं कि 10 साल तक आपके लोग सोनिया-मनमोहन सिंह की सरकार में मंत्री रहे, लेकिन सोनिया-मनमोहन सिंह की सरकार ने बंगाल के विकास के लिए क्या किया। उनकी सरकार ने 10 साल में बंगाल के विकास के लिए मात्र 2 लाख करोड़ रुपये दिए। जबकि मोदी जी ने 10 साल में 9 लाख, 25 हजार करोड़ रुपये देने का काम किया।

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