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मनोरंजन

वैजयंती माला : सुनहरे दौर की ‘ट्विंकल टोज’

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नई दिल्ली| रुपहले पर्दे के सुनहरे दौर की लोकप्रिय अभिनेत्रियों में शुमार वैजयंती माला ‘ट्विंकल टोज’ के नाम से भी जानी जाती रही हैं। शास्त्रीय नृत्य में निपुण इस अदाकारा ने दो दशकों तक हिंदी फिल्मों पर राज किया। उन्होंने इस दौर के लगभग सभी बड़े सितारों के साथ यादगार किरदार निभाए। दक्षिण भारत से आईं प्रमुख नायिकाओं में वैजयंती माला ‘राष्ट्रीय अभिनेत्री’ का दर्जा पाने वाली पहली महिला हैं।

बहुमुखी प्रतिभा की मल्लिका वैजयंती का जन्म 13 अगस्त, 1936 को मद्रास (चेन्नई) में एक रूढ़िवादी तमिल ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम एम.डी. रमन और मां का नाम वसुंधरा देवी था। उनकी मां 1940 के दशक की लोकप्रिय तमिल अभिनेत्री थीं।

वैजयंती माला ने 13 साल की उम्र में ही अभिनय की दुनिया में कदम रखा था। उन्होंने साल 1949 में आई तमिल फिल्म ‘वड़कई’ से अभिनय की शुरुआत की। हिदी सिनेमा में उन्होंने 1951 में आई फिल्म ‘बहार’ से कदम रखा था।

वैजयंती माला की कामयाब फिल्मों में ‘नई दिल्ली’, ‘नया दौर’ और ‘आशा’ शामिल हैं। 1964 में आई फिल्म ‘संगम’ में निभाया राधा का उनका बोल्ड किरदार और उन पर फिल्माया गाना ‘मैं क्या करूं राम मुझे बुढ्ढा मिल गया’ काफी प्रसिद्ध हुआ। इसके बाद फिल्म ‘ज्वेल थीफ’ में उन पर फिल्माया गया गाना ‘होठों पे ऐसी बात’ अब भी लोगों की जुबां पर है। 1950-60 के दशक में वह प्रथम श्रेणी की नायिका के रूप में जानी जाती थीं।

वैजयंती माला ने 1957 में आई फिल्म ‘देवदास’ में चंद्रमुखी की भूमिका निभाई थी, जिसके लिए उन्हें उसी साल फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके बाद उन्हें 1959 में फिल्म ‘मधुमती’, 1962 में ‘गंगा जमुना’ और 1965 में ‘संगम’ के लिए फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के पुरस्कार से नवाजा गया।

सालों तक दर्शकों के दिलों पर राज करने वाली एक मंझी हुई अभिनेत्री के अलावा वैजयंती बेहद कुशल नृत्यांगना भी हैं। वह भरतनाट्यम की नृत्यांगना, कर्नाटक शैली की गायिका और नृत्य प्रशिक्षक भी रही हैं।

व्यक्तिगत जीवन :

हर फिल्मी कलाकार की तरह अफवाहों का सिलसिला उनके जीवन का भी हिस्सा रहा है। अपने फिल्म करियर के दौरान वह दिलीप कुमार और राज कपूर के करीब आईं। राज कपूर की पत्नी ने जब उनके रिश्ते पर प्रश्न उठाया तो वह इसी शर्त पर मानीं कि वैजयंती, राज कपूर के साथ काम नहीं करेंगी।

‘संगम’ के बाद वैजयंती माला और राज कपूर की लोकप्रिय जोड़ी टूट गई। उन्होंने भी अपने जीवन में नाकामयाबी की भी मार झेली, लेकिन फिर उन्होंने देव आनंद के साथ 1967 में आई सफल फिल्म ‘ज्वेल थीफ’ से एक नई शुरुआत की। इस दौरान उनके जीवन में आए डॉ. चमनलाल बाली।

एक बार वैजयंती को निमोनिया हो गया था, जिसका इलाज डॉ. बाली कर रहे थे। बाली भी उनके प्रशंसकों में से एक थे। वैजयंती का इलाज करते-करते दोनों में प्यार हो गया और 10 मार्च, 1968 को दोनों शादी के बंधन में बंध गए। उनका एक बेटा है।

13 अगस्त, 2015 को सुनहरे दौर की अभिनेत्री वैजयंती माला 78 साल की होने जा रही हैं। उनका जीवन कई दक्षिण अभिनेत्रियों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी रहा। उनमें से एक रहीं हेमा मालिनी। हेमा खुद वैजयंती की बहुत बड़ी प्रशंसक हैं। वैजयंती माला ही वह अभिनेत्री थीं, जिन्होंने हिदी सिनेमा में अर्थ-शास्त्रीय नृत्य को पहचान दिलाई थी। वह बतौर राज्यसभा सदस्य भी रह चुकी हैं।

सौंदर्य की मलिका वैजयंती माला ने अपने जीवन का हर किरदार बखूबी निभाया है। डांसिंग स्टार के नाम से पहचाने जाने वाली अभिनेत्री की सुंदरता और डांस आज भी लोगों के जेहन में बसा है।

 

खेल-कूद

मेरी व्यक्तिगत इच्छा है कि रिंकू सिंह टी 20 वर्ल्ड कप की टीम में जगह बनाए: शाहरुख खान

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मुंबई। बॉलीवुड के किंग खान शाहरुख खान ने आगामी टी-20 विश्व कप के लिए अपनी टीम कोलकाता नाइट राइडर्स के बाएं हाथ के बल्लेबाज रिंकू सिंह को भारतीय टीम में शामिल करने का सपोर्ट किया है। शाहरुख की इच्छा है कि रिंकू सिंह टी 20 वर्ल्ड कप खेलें। रिंकू की विश्व कप संभावनाओं को लेकर शाहरुख ने कहा, “ऐसे अद्भुत खिलाड़ी देश के लिए खेल रहे हैं। मैं वास्तव में रिंकू, इंशाअल्लाह और अन्य टीमों के कुछ अन्य युवाओं के विश्व कप टीम में होने का इंतजार कर रहा हूं। उनमें से कुछ इसके हकदार हैं, लेकिन मेरी व्यक्तिगत इच्छा है कि रिंकू टीम में जगह बनाये, मुझे बहुत खुशी होगी। वह मेरे लिए सर्वोच्च बिंदु होगा।”

शाहरुख़ ने आगे कहा, ‘मैं बस यही चाहता हूं कि वे खुश महसूस करें और जब मैं इन लड़कों को खेलते हुए देखता हूं, तो मुझे ऐसा लगता है जैसे मैं खुद एक खिलाड़ी के रूप में जी रहा हूं। खासकर रिंकू और नितीश जैसे खिलाड़ियों में मैं खुद को उनमें देखता हूं। जब वे अच्छा प्रदर्शन करते हैं तो मुझे वास्तव में खुशी होती है।” ऐसी दुनिया में जहां सफलता को अक्सर विशेषाधिकार और अवसर के साथ जोड़ा जाता है, शाहरुख खान और रिंकू सिंह की कहानियां एक अनुस्मारक के रूप में काम करती हैं कि महानता लचीलापन, दृढ़ संकल्प और सभी बाधाओं के बावजूद अपने सपनों को आगे बढ़ाने के साहस से पैदा होती है।’

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में एक श्रमिक वर्ग के परिवार में जन्मे रिंकू सिंह को क्रिकेट स्टारडम की राह में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। साधारण परिवेश में पले-बढ़े रिंकू के परिवार को गुजारा करने के लिए संघर्ष करना पड़ता था, उनके पिता एलपीजी सिलेंडर डिलीवरी मैन के रूप में काम करते हैं और उनकी मां एक गृहिणी हैं। सफाईकर्मी की नौकरी की पेशकश के बावजूद, रिंकू ने क्रिकेट के प्रति अपने जुनून का पालन किया, उनका मानना ​​था कि यह उन्हें अधिक ऊंचाइयों तक ले जाएगा।

 

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