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रोमांचक मैच में पुणे ने मुंबई को तीन रन से हराया
पुणे ने रोका मुंबई का विजय रथ
मुंबई। राइजिंग पुणे सुपरजाएंट टीम ने अपने गेंदबाजों के शानदार प्रदर्शन के दम पर मुम्बई इंडियंस टीम को इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में लगातार सातवीं जीत दर्ज करने से रोक दिया। वानखेड़े स्टेडियम में खेले गए लीग मैच में पुणे ने मुम्बई को तीन रनों से हरा दिया।
मुम्बई ने पुणे को 160 रनों पर ही रोक दिया था लेकिन उसके बल्लेबाज 20 ओवरों में आठ विकेट के नुकसान पर 157 रन ही बना सके।
मुम्बई की शुरुआत अच्छी रही। जोस बटलर (13) और पार्थिव पटेल (33) ने पहले विकेट के लिए 35 रनों की साझेदारी की। इन दोनों ने 4.2 ओवरों में ये रन जोड़े। बटलर को बेन स्टोक्स ने आउट किया। बटलर ने 13 गेदों पर तीन चौके लगाए।
बल्ले के साथ लगातार सफल चल रहे नितिन राणा (3) इस मैच में नहीं चल सके और 51 के कुल योग पर डेनियल क्रिस्टीयन का शिकार हुए।
पार्थिव का विकेट 60 के कुल योग पर गिरा। वाशिंगटन सुंदर की गेंद पर बोल्ड होने से पहले पार्थिव ने 27 गेंदों पर चार चौके लगाए।
इसके बाद 86 के कुल योग पर कर्ण शर्मा (11) आउट हुए। कर्ण को बेन स्टोक्स ने आउट किया। कप्तान रोहित शर्मा (58) और केरन पोलार्ड (9) ने पांचवें विकेट के लिए 24 गेंदों पर 36 रनों की साझेदारी करते हुए स्कोर को 100 के पार पहुंचाया। पोलार्ड रुककर खेल रहे थे जबकि रोहित दूसरे छोर पर बड़े शाट्स लगा रहे थे।
पोलार्ड को हालांकि 122 के कुल योग पर इमरान ताहिर ने आउट करते हुए इस साझेदारी का अंत किया। पोलार्ड ने नौ गेंदों पर एक चौका लगाया।
अब रोहित का साथ देने हार्दिक पंड्या (13) आए। अंतिम 18 गेंदों पर मुम्बई को 35 रनों की जरूरत थी और इसका दरोमदार काफी पद तक कप्तान पर था।
18वें ओवर की तीसरी गेंद पर एक रन लेने के साथ रोहित ने इस सीजन का अपना पहला अर्धशतक पूरा किया। हार्दिक ने जयदेव उनादकत द्वारा फेंके जा रहे इस ओवर की चौथी और पांचवीं गेंद पर चौका लगाते हुए कप्तान के अर्धशतक का जश्न मनाया और टीम पर से दबाव कम किया।
इस ओवर में 11 रन बने। अब 12 गेंदों पर मुम्बई को जीत के लिए 24 रनों की जरूरत थी। 19वां ओवर बेन स्टोक्स लेकर आए। स्टोक्स ने इस ओवर में सिर्फ सात रन दिए और अपनी टीम को फिर मैच में वापस ले आए। अंतिम ओर में मुम्बई को जीत के लिए 17 रनों की जरूरत थी।
उनादकत ने अंतिम ओवर की पहली ही गेंद पर हार्दिक को आउट कर बड़ी सफलता हासिल की। हार्दिक ने 11 गेदंों पर दो चौके लगाए। इसके बाद रोहित ने दूसरी गेंद पर छक्का लगाकर वापसी का ऐलान किया। तीसरी गेंद पर कोई रन नहीं बना। चौथी गेंद पर उनादकत ने रोहित को आउट कर मुम्बई की उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
रोहित ने 39 गेंदों पर छह चौके और तीन छक्के लगाए। अगली ही गेंद पर मिशेल मैक्लेघन रन आउट हो गए। हरभजन सिंह ने अंतिम गेंद पर छक्का लगाया लेकिन इसके बावजूद मुम्बई की टीम लक्ष्य से तीन रन दूर रह गई।
इससे पहले, वानखेड़े स्टेडियम में पुणे की शुरुआत देखकर बड़े स्कोर की उम्मीद की जा रही थी लेकिन मुम्बई की अनुशासित गेंदबाजी के आगे लगातार अंतराल पर विकेट गिरने के कारण मेहमान टीम निर्धारित 20 ओवरों में छह विकेट खोकर 160 रन ही बना सकी।
नेशनल
लोकसभा के शोले और रहीम चाचा की खामोशी
सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ
हिन्दी सिनेमा की कालजई फिल्म शोले के रहीम चाचा का किरदार आपको जरूर याद होगा। उनका एक डायलॉग था जिसमें वो कहते है “इतना सन्नाटा क्यूँ है भाई” उस वक्त पूरे रामगढ़ में किसी के पास इसका जवाब नहीं था, कमोवेश ठीक वैसे ही हालात इस वक्त लोकसभा चुनाव में नजर आ रहे हैं। लोकसभा के चुनाव के दो चरण पूरे हो चुके हैं पर पूरे देश में कहीं भी ऐसा नजर नहीं आता कि हम अगले पाँच साल के लिए अपने नुमाइंदे चुनने जा रहे हैं। एक अजीब खामोशी नुमायाँ है। गांव, कस्बों और शहरों तक में होर्डिंग और पोस्टर नजर नहीं आ रहे हैं और न ही कानफोडू लाऊडस्पीकर पर वोट मांगने वालों का शोर सुनाई दे रहा है, चाय की टपरी और पान के खोखों पर जमा होने वाली भीड़ अपने होंठों को सिले हुए है।
एक वक्त था जब हम लोग चाय की टपरी, पान की दुकान और रास्तों के ढाबों से देश का मूड भांप लेते थे। मतदाताओं के मन में क्या चल रहा है इसका अंदाज लगाना आसान था। लेकिन आज स्थिति उलट है इन जगहों पर खड़ा आम आदमी आपसे ही उल्टा पूछ लेता है ‘और क्या चल रहा है’ इंसान-इंसान के बीच अविश्वास की खाई इतनी गहरी हो गई है कि वो पब्लिक प्लेस पर अब राजनीतिक बात करने से गुरेज करने लगा है। वोटर अपने मन की बात जुबान पर नहीं लाना चाहता हैं क्यूंकी अब वो रेडियो पर ‘मोदी जी’ के मन की बात सुन रहा है और अपने मन की बात अपने मन में रखे हुए है। उसे डर है और ये डर मिश्रित चुप्पी स्वस्थ लोकतंत्र के लिए अच्छा लक्षण नहीं है।
लोकसभा चुनाव के पहले चरण की तरह दूसरे चरण में भी वोटिंग 2019 के मुकाबले कम हुई है। पहले चरण में 21 राज्यों की 102 लोकसभा सीटों पर 64 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। जबकि पिछले लोकसभा चुनाव में उन सीटों पर भी 70 प्रतिशत से ज्यादा मतदान हुआ था। ऐसे ही इस बार दूसरे चरण में 13 राज्यों की 88 लोकसभा सीटों पर करीब 63 फीसदी वोट पड़े। यह 2019 के लोकसभा चुनाव में 70.09% मतदान के मुकाबले काफी कम था। यूपी, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे बड़े राज्यों में वोटिंग उम्मीद से काफी कम रही। यूपी में 54.85%, बिहार में 55.08% , महाराष्ट्र में 57.83% , एमपी में 57.88 % वोटिंग हुई। सबसे अधिक वोट त्रिपुरा, मणिपुर, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल में पड़े। लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में सात मई को वोटिंग है। इसमें 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 95 सीट पर मतदान होगा, जिसके लिए 1351 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं।
जब 7 मई, 13 मई, 20 मई, 25 मई और 1 जून को तीसरे, चौथे, पांचवे, छठे और सातवें चरण का मतदान होगा तो इस दौरान देश के अधिकतर हिस्सों में गर्मी के साथ लू का असर दिखाई देगा। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार के दौरान लगभग 72% निर्वाचन क्षेत्रों में अधिकतम तापमान 35°C या इससे अधिक हो सकता है। विशेष रूप से, 59 सीटों पर 40-42 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान का सामना करना पड़ सकता है। जबकि 194 सीटों पर 37.5-से 40 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान देखा जा सकता है। लेकिन इस गर्मी के बीच क्षेत्रीय दलों के नेता काफी तेजी से अपने इलाके के मतदाताओं पर पकड़ बना रहे हैं और उन सवालों को उठा रहे हैं जिनसे देश का किसान, मजदूर और नौजवान चिंतित है। इसलिए उनके प्रति आम जनता की अपेक्षाएं बढ़ी हैं इसलिए विपक्षी गठबंधन के नेताओं की रैलियों में भारी भीड़ आ रही है। जबकि भाजपा की रैलियों का रंग उसके मुकाबले फीका नजर या रहा है।
हालांकि रैली में आने वाली भीड़ जीत का पैमाना नहीं होती इसलिए कुछ कहा नहीं जा सकता। हर दल का अपना एक समर्पित काडर होता है। जबकि आज काडर के नाम पर ज्यादातर दलों के पास सत्ता के छत्ते से चिपकी रहने वाली मधुमक्खी ही ज्यादा नजर या रहीं है ये वो लोग हैं जिन्हें सत्ता की दलाली करने के अवसरों की तलाश होती है। राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ जिसके पास काडर है कार्यकर्ता हैं वो भी खामोश नजर आ रहा है। बहरहाल लगातार कम होते मतदान ने नेताओं की धुकधुकी बढ़ा रखी है। सत्ता पक्ष मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए परेशान है तो विपक्ष कम प्रतिशत को अपने पक्ष में मानकर मुंगेरीलाल के सपने बुनने में मगन है।
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