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रेल बजटः सुरेश प्रभु का सराहनीय प्रयास
नई दिल्ली। टीम मोदी के एक अहम सदस्य से जैसी अपेक्षा थी वैसा ही रेल बजट केंद्रीय रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने पेश किया। वादे के साथ-साथ इरादे की झलक देने वाले इस बजट के लिए प्रभु के अलावा पीएम मोदी की भी तारीफ होनी चाहिए, मोदी की तारीफ इसलिए क्योंकि उन्होंने सदानंद गौड़ा को बिना इस डर के हटाया कि कर्नाटक में राज कर चुकी उनकी पार्टी के वोट बैंक का क्या होगाॽ सुरेश प्रभु की तारीफ इसलिए क्योंकि उन्होंने पांच छह महीने बाद बिहार जैसे अहम प्रांत में होने वाले चुनाव के मद्देनजर कोई लोकलुभावन घोषणा नहीं की। हां, इस बजट से मुफ्त चुनावी घोषणाओं पर ताली बजाने वालों का निराशा हो सकती है।
अब बात रेल बजट की, तो सुरेश प्रभु ने किसी नई ट्रेन को चलाने का वादा करने के बजाय पुरानी घोषणाओं को पूरा करने के जो संकेत दिए हैं वह सराहनीय है। पिछले कुछ वर्षों से रेलवे राजनीति चमकाने का एक जरिया बन गया था। रेल बजट के माध्यम से सरकारें अपना वोट बैंक साधने का प्रयास कर रही थीं। रेलवे भारत ही नहीं पूरे एशिया का सबसे बड़ा सार्वजनिक उपक्रम है। इसे व्यावसायिक दृष्टि से लाभप्रद बनाने का जो प्रयास सुरेश प्रभु ने इस बजट के माध्यम से किया है इसके लिए भी उनकी प्रशंसा की जानी चाहिए।
बजट में डिजिटल इंडिया के मोदी सरकार के इरादों की भी झलक मिलती है, लेकिन सबसे जरूरी बात क्रियान्वयन की आती है। पांच साल में 856000 करोड़ के निवेश का महात्वाकांक्षी सपना पूरा करना रेल मंत्री के लिए बड़ी चुनौती होगी। एक और बात अच्छी लगी कि बिना किसी राजनैतिक अहम के सुरेश प्रभु ने सैम पित्रोदा समिति द्वारा रेलवे की वित्तीय सेहत को सुधारने के लिए की गई सिफारिशों को आधार बना कर ही बजट तैयार किया। मंशा साफ है कि भारत निर्माण में मोदी सरकार बिना किसी राजनैतिक भेदभाव के सबका साथ लेगी और सबका विकास करेगी।
माल भाड़े में मामूली वृद्धि और यात्री किराए में किसी प्रकार की भी बढ़ोत्तरी न किया जाना इस मायने में काफी सुखद है कि भारत में चीन और जापान की तुलना में यात्री किराए की दरें क्रमशः 2.8 और 9.3 गुना कम हैं। कुछ राजनैतिक लोग यह कहकर सरकार को घेर सकते हैं कि डीजल मूल्यों में कमी के बावजूद भी यात्री किराए में कमी नहीं की गई। ये वही लोग होंगे जिन्होंने रेलवे का इस्तेमाल राजनैतिक औजार के रूप में किया है। मोदी सरकार को बिना किसी दबाव में आए अपने सुधार कार्यक्रमों को आगे बढ़ाते रहना चाहिए क्योंकि जनता ने उन्हें इतना बड़ा जनादेश काम करने के लिए दिया है न कि कोई राजनैतिक दबाव सहने के लिए।
एक बात और सुखद है कि रेल बजट की तारीफ मुलायम सिंह यादव व जयललिता ने की है। इससे लगता है कि यदि मोदी सरकार ने आगे भी इसी तरह से जनहित के काम किए तो उनके राजनैतिक विरोधी भी उनका समर्थन कर सकते हैं। मोदी सरकार के प्रबंधकों को इसका फायदा भूमि अध्यादेश मे उठाना चाहिए। एक बात और, मोदी सरकार को अपनी हर घोषणाओं के क्रियान्वयन पर पैनी दृष्टि रखनी होगी वरना स्थिति वही होगी …..वादे हैं वादों का क्या
नेशनल
पश्चिम बंगाल के श्रीरामपुर में बोले अमित शाह, पीओके भारत का है और हम इसे लेकर रहेंगे
श्रीरामपुर। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल के हुगली के श्रीरामपुर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए विपक्ष पर जमकर प्रहार किया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी और ममता बनर्जी, आपको डरना है तो डरते रहिए, ये पीओके भारत का है और हम उसे लेकर रहेंगे।
अमित शाह ने कहा कि ममता बनर्जी, कांग्रेस-सिंडिकेट कहती है कि धारा 370 को मत हटाओ। मैंने संसद में पूछा कि क्यों न हटाएं तो उन्होंने कहा कि खून की नदियां बह जाएंगी। 5 साल हो गए खून कि नदियां छोड़ो किसी की कंकड़ चलाने की हिम्मत नहीं है। जब INDI गठबंधन का शासन था तो हमारे कश्मीर में हड़तालें होती थीं। आज पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में हड़ताल होती है। पहले कश्मीर में आजादी के नारे लगते थे, अब पाक अधिकृत कश्मीर में नारेबाजी होती है। राहुल गांधी, आपको डरना है तो डरते रहिए, ममता बनर्जी आपको डरना है तो डरते रहिए लेकिन मैं आज श्रीरामपुर की धरती से कहता हूं कि ये पाक अधिकृत कश्मीर भारत का है और हम उसे लेकर रहेंगे।
अमित शाह ने कहा आने वाले चुनाव में आप सभी वोट डालने वाले हैं। इस चुनाव में एक ओर परिवारवादी पार्टियां हैं जिसमें ममता बनर्जी अपने भतीजे को, शरद पवार अपनी बेटी को, उद्धव ठाकरे अपने बेटे को, स्टालिन अपने बेटे को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं और सोनिया गांधी, राहुल बाबा को पीएम बनाना चाहती हैं। वहीं दूसरी ओर गरीब चाय वाले के घर में जन्में इस देश के महान नेता नरेन्द्र मोदी जी हैं।
नरेन्द्र मोदी जी ने बंगाल के विकास के लिए ढेर सारे कार्य किए हैं। मैं ममता दीदी से पूछना चाहता हूं कि 10 साल तक आपके लोग सोनिया-मनमोहन सिंह की सरकार में मंत्री रहे, लेकिन सोनिया-मनमोहन सिंह की सरकार ने बंगाल के विकास के लिए क्या किया। उनकी सरकार ने 10 साल में बंगाल के विकास के लिए मात्र 2 लाख करोड़ रुपये दिए। जबकि मोदी जी ने 10 साल में 9 लाख, 25 हजार करोड़ रुपये देने का काम किया।
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