बिजनेस
‘रेरा’ कानून लागू, मकान खरीदारों के आए अच्छे दिन!
नई दिल्ली। मकान खरीदारों के हितों की रक्षा के लिए बनाया गया रीयल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट एक्ट (रेरा) सोमवार से लागू हो गया। नए कानून के तहत अब खरीदार बिल्डर की मनमानी के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
आरईआरए के लागू होने से हाउसिंग प्रोजेक्ट में पारदर्शिता बढ़ेगी, लेकिन, इसे अब तक सिर्फ 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने ही लागू करने की अधिसूचना जारी की गई हैं।
शहरी आवास मंत्री वेंकैया नायडू ने नए कानून को रीयल एस्टेट के क्षेत्र में नई जान फूंकने वाला करार दिया। उन्होंने कहा है कि नया कानून बिल्डरों के गले में फंदा नहीं है बल्कि इससे जो बदलाव आएगा उससे बिल्डरों को ज्यादा खरीदार मिलेंगे। ज्यादा खरीदार मिलने से बाजार तरक्की करेगा।
उन्होंने कहा, ‘इस कानून के बाद खरीदार किंग बन जाएगा।’ एक्ट के तहत देश के हरेक राज्य और केंद्रशासित प्रदेश को अपनी रेगुलेटरी अथॉरिटी बनानी होगी, जो कानून के मुताबिक नियम-कानून बनाएगी। साल 2016 में संसद में पास हुए रियल एस्टेट (नियमन एवं विकास) अधिनियम, 2016 की सभी 92 धाराएं सोमवार से प्रभावी हो रही हैं। यह जहां आम आदमी के लिए अच्छी खबर है, जबकि बिल्डरों-डेवलपरों के लिए यह तनाव की खबर है।
साथ ही उन्होंने बताया कि सेलेक्ट कमेटी की सिफारिश है कि बिल्डर को 50 फीसदी पैसा बैंक में जमा करना होगा। हमने उसे 70 फीसदी किया। सिफारिश सिर्फ रेजिडेंशियल के लिए थी, हमने इसमें कमर्शियल्स को भी शामिल किया था।
क्या क्या हैं खास
– अब निर्माणाधीन प्रोजेक्ट को तीन महीने में नियामक प्राधिकरण में रजिस्टर्ड कराना होगा
– जिन्हें कंपलीशन सर्टिफिकेट नहीं मिला वो प्रोजेक्ट भी इसमें आएंगे
– रजिस्टर प्रोजेक्ट की पूरी जानकारी अब प्राधिकरण के पास होगी
– अब कॉरपेट एरिया पर घर बेचे जाएंगे न कि बिल्ड-अप एरिया पर
– कानून लागू करने वाले राज्य नियामक प्राधिकरण का गठन करेंगे
– फिलहाल 13 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश इसे लागू करने जा रहे हैं
– वादा पूरा न करने पर बिल्डर को 3 से 5 साल तक जेल हो सकती है
बिजनेस
Whatsapp ने दी भारत छोड़ने की धमकी, कहा- अगर सरकार ने मजबूर किया तो
नई दिल्ली। व्हाट्सएप ने गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट में कहा कि अगर उसे उसे संदेशों के एन्क्रिप्शन को तोड़ने के लिए मजबूर किया गया तो वह भारत में अपनी सेवाएं बंद कर देगा। मैसेजिंग प्लेटफॉर्म की ओर से पेश एक वकील ने कहा कि लोग गोपनीयता के लिए व्हाट्सएप का उपयोग करते हैं और सभी संदेश एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड हैं।
व्हाट्सऐप का कहना है कि WhatsApp End-To-End Encryption फीचर यूजर्स की प्राइवेसी को सिक्योर रखने का काम करता है। इस फीचर की वजह से ही मैसेज भेजने वाले और रिसीव करने वाले ही इस बात को जान सकते हैं कि आखिर मैसेज में क्या लिखा है। व्हाट्सऐप की तरफ से पेश हुए वकील तेजस करिया ने अदालत में बताया कि हम एक प्लेटफॉर्म के तौर पर भारत में काम कर रहे हैं। अगर हमें एन्क्रिप्शन सिक्योरिटी फीचर को तोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है तो व्हाट्सऐप भारत छोड़कर चला जाएगा।
तेजस करिया का कहना है कि करोड़ों यूजर्स व्हाट्सऐप को इसके एन्क्रिप्शन सिक्योरिटी फीचर की वजह से इस्तेमाल करते हैं। इस वक्त भारत में 40 करोड़ से ज्यादा व्हाट्सऐप यूजर्स हैं। यही नहीं उन्होंने ये भी तर्क दिया है कि नियम न सिर्फ एन्क्रिप्शन बल्कि यूजर्स की प्राइवेसी को भी कमजोर बनाने का काम कर रहे हैं।
व्हाट्सऐप के वकील ने बताया कि भारत के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसा कोई नियम नहीं है। वहीं सरकार का पक्ष रखने वाले वकील कीर्तिमान सिंह ने नियमों का बचाव करते हुए कहा कि आज जैसा माहौल है उसे देखते हुए मैसेज भेजने वाले का पता लगाने की जरूरत पर जोर दिया है। कोर्ट इस मामले पर अगली सुनवाई अब 14 अगस्त को करेगा।
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