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मुख्य समाचार

राष्‍ट्रनायकों की बदलती विरासत

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समाजवाद के पोषक, दलित चेतना के सूत्रधार, शांति और अहिंसा के अग्रदूत, भारतीय संघ को मजबूत आयाम देने वाले, बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर, डा.राममनोहर लोहिया, सरदार वल्ल भ भाई पटेल, मोरार जी देसाई, महात्मात गांधी, मौलाना अबुल कलाम आजाद, स्वािमी विवेकानंद

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नई दिल्‍ली। कहते हैं राजनीति में न तो कोई स्‍थाई मित्र होता है और न ही स्‍थाई शत्रु लेकिन वर्तमान भारतीय राजनीतिक दलों के नायकों में भी अब स्‍थायित्‍व का अभाव दिखाई पड़ता है। सिर्फ कांग्रेस ही एक ऐसी पार्टी है जिसने नेहरू-गांधी परिवार से आगे की कभी सोची ही नहीं। यह सही है कि भारत में ऐसी-ऐसी विभूतियां पैदा हुईं जिन्‍होंने समय-समय पर भारतीय राजनीति के साथ-साथ भारतीय समाज को भी नई दिशा प्रदान की और ऐसे राष्‍ट्रनायकों का उपयोग भी भारत के राजनीति‍क दलों ने अपने निहित स्‍वार्थों के लिए बाखूबी किया है।

अब चाहे वह समाजवाद के पोषक रहे हों या दलित चेतना के सूत्रधार, शांति और अहिंसा के अग्रदूत हों या भारतीय संघ को मजबूत आयाम देने वाले, सभी का समय के साथ हमारे राजनेताओं ने इस्‍तेमाल किया है। राजनीति में नीति, नीयत और नेतृत्‍व की स्‍पष्‍टता के बगैर सफलता संभव नहीं है। नीति और नी‍यत की बात तो नहीं करता लेकिन राजनैतिक दलों ने नेतृत्‍व का चोला अपनी संभावनाओं व सुविधाओं के आधार पर पहना है।

सोशल मीडिया के इस ताकतवर युग में राष्‍ट्रनायकों की जयंतियां या पुण्‍यतिथियां राजनैतिक औजार के रूप में इस्‍तेमाल होने लगी हैं। नीति से इत्‍तेफाक रखते हों या न रखते हों, नायक को अपना और खुद को उनका सबसे बड़ा झंडाबरदार बताने में राजनैतिक दल कोई भी चूक नहीं कर रहे हैं। इस खेल में किसी एक का नाम नहीं लिया जा सकता। एक हमाम में सभी नंगे हैं।

बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर हों या डा.राममनोहर लोहिया, सरदार वल्‍लभ भाई पटेल हों चाहे मोरार जी देसाई, महात्‍मा गांधी हों या मौलाना अबुल कलाम आजाद सभी पार्टियां इन राष्‍ट्रनायकों का खुद को सबसे बड़ा अनुयायी बताने में नहीं चूक रहे हैं। कितना अच्‍छा हो यदि वास्‍तविक जीवन में इनके आदर्शों का एक हिस्‍सा भी उतार सकें।

स्‍वामी विवेकानंद ने कहा था कि टनों बड़ी-बड़ी बातें करने से अच्‍छा है एक औंस काम वास्‍तव में करना। बाबा साहेब के जन्‍मदिवस पर दलित उद्धार की गगनचुंबी इमारत बनाने से अच्‍छा है दलित, पिछड़े व शोषित समाज को राष्‍ट्र की मुख्‍य धारा से जोड़ने के लिए कोई ठोस कार्य करना। राष्‍ट्रनायकों की जयंती और पुण्‍यतिथि पर उन्‍हें भावभीनी श्रद्धाजंलि सोशल मीडिया पर देना व उनके नाम पर कोई कार्यक्रम कर देने का एक दौर सा चल पड़ा है लेकिन इन नायकों को सच्‍ची श्रद्धाजंलि तभी होगी जब इनके आदर्शों को अमली जामा पहनाया जाय।

नेशनल

सपा ने उम्मीदवारों की एक और लिस्ट की जारी, प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल को फतेहपुर से टिकट

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी ने अपने उम्मीदवारों की एक और सूची जारी कर दी है। अखिलेश यादव ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल को फतेहपुर से और भगत राम मिश्रा को कैसरगंज से उम्मीदवार बनाया है। समाजवादी पार्टी कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया अलायंस के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रही है।

इससे पहले बीजेपी और बीएसपी ने इस सीट पर अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर चुकी है। नरेश आज नामांकन करेंगे। फतेहपुर लोकसभा सीट पर बीजेपी और सपा के बीच कांटे का मुकाबला होने की संभावनाएं हैं। भाजपा ने फतेहपुर लोकसभा सीट से साध्वी निरंजन ज्योति को तीसरी बार टिकट दिया है।

फतेहपुर सीट पर नामांकन 26 अप्रैल को शुरू हो गए थे. नामांकन की अंतिम तारीख 3 मई है. इस सीट पर पांचवे चरण में 20 मई को वोटिंग होगी. पांचवे चरण में मोहनलालगंज, लखनऊ, रायबरेली, अमेठी, झांसी, हमीरपुर,जालौन, बांदा, फतेहपुर, कौशांबी, बाराबंकी, फैजाबाद, कैसरगंज और गोंडा में मतदान होगा

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