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आध्यात्म

‘रजा पुस्तक माला’ के तहत 12 पुस्तकों का लोकार्पण

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नई दिल्ली, 8 जनवरी (आईएएनएस)| विश्व पुस्तक मेले के तीसरे दिन सोमवार को रजा फाउंडेशन के ‘रजा पुस्तक माला’ के पहले 12 पुस्तकों के सेट का लोकार्पण कवि और आलोचक अशोक वाजपेयी, पत्रकार ओम थानवी, अपूर्वानन्द, सोपान जोशी, राजीव रंजन गिरि और राजकमल प्रकाशन के प्रबंध निदेशक अशोक माहेश्वरी के हाथों किया गया।

इन पुस्तकों का प्रकाशन राजकमल प्रकाशन ने किया है। लोकार्पण के बाद ओम थानवी, अपूर्वानन्द, सोपान जोशी और राजीव रंजन गिरि ने ‘आज गांधी’ विषय पर परिचर्चा की और साथ ही डॉ. सादिक, मृत्युंजय और पीयूष दईया ने प्रकाशित पुस्तकों से अंश पाठ किया।

इस मौके पर कवि और आलोचक अशोक वाजपेयी ने कहा, इस पुस्तक माला में दो किताबें प्रार्थना प्रवचन खंड 1 और 2 और दूसरी किताब गांधी की मेजबानी गांधीजी पर आधारित हैं। चित्रकार सैयद हैदर रजा अथक हिन्दी प्रेमी थे और उनकी इच्छा के अनुरूप यह पुस्तकमाला शुरू की जा रही है।

वाजपेयी ने कहा, सैयद हैदर रजा पर महात्मा गांधी की गहरी छाप थी। वह गांधी से पहली बार आठ वर्ष की उम्र में मिले थे, जब बंटवारा हुआ तो सैयद हैदर रजा ने पाकिस्तान न जाने का फैसला किया। उन्हें लगा कि वह अगर ऐसा करेंगे तो गांधीजी के साथ विश्वासघात होगा।

‘रजा पुस्तक माला’ की किताबें जो आज लोकार्पित हुईं, उनमें ‘धूल की जगह’, ‘मुक्तिबोध के उद्धरण’, ‘टेबल लैम्प’, ‘खुद से कई सवाल’, ‘आवाज में झरकर’, ‘परस्पर’, ‘अंत और आरम्भ’, ‘प्रार्थना प्रवचन’ खंड 1 और 2 और ‘गांधी की मेजबानी’ शामिल थीं।

यह पुस्तक माला प्रसिद्ध चित्रकार सैयद हैदर रजा की स्मृति में रजा फाउंडेशन के सहयोग से प्रकाशित गई है। पुस्तक माला के पहले सेट में 24 पुस्तकें एक साथ प्रकाशित की गई हैं, जो अपने आप में रिकॉर्ड है, जिनमें गालिब, महात्मा गांधी, मुक्तिबोध से लेकर सभ्यता-समीक्षा, कई बिसरा दी गई पुस्तकों का पुनप्र्रकाशन, युवा कवियों के पहले कविता-संग्रह, बुद्धिजीवियों से संवाद, बांग्ला-मराठी से अनुवाद, कला-आलोचना आदि शामिल हैं।

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आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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