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आध्यात्म

पुस्तक मेला : युवाओं में दिखा पुस्तकों के प्रति आकर्षण

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नई दिल्ली, 8 जनवरी (आईएएनएस)| विश्व पुस्तक मेले के तीसरे दिन खासा चहल-पहल रही। सोमवार को कार्यदिवस होने पर भी सुबह से ही बच्चों, अध्यापकों और अभिभावकों की भीड़ से यह बात साफ दिखी कि आज भी पुस्तकों के प्रति लोगों में जबर्दस्त आकर्षण बना हुआ है।

मेले के थीम पैवेलियन में बच्चों व युवाओं की भीड़ पर्यावरण संरक्षण के प्रति उनकी उत्सुकता दर्शा रही है। ‘मेरी पुस्तकों के शब्द, ज्ञान मुझे घुमक्कड़ी से मिले हैं।’ ये विचार लेखक मंच पर आयोजित हुए पुस्तक लोकार्पण कार्यक्रम में गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने व्यक्त किए। महिलाओं को दाल-चावल की जगह पुस्तक मेले में पुस्तकें ढोते देखना उनके लिए सुखद अनुभूति थी।

इस अवसर पर मृदुला सिन्हा की पुस्तक ‘सामाजिक सरोकार’ के अंग्रेजी अनुवाद ‘रिफ्लेक्शन’, डॉ. बल्देव शर्मा की पुस्तक ‘राष्ट्रीय चेतना के विविध आयाम’, डॉ. कमल किशोर गोयनका द्वारा लिखित पुस्तक ‘अभिमन्यु अनत काव्य रचनावली’, नंदकिशोर पाण्डेय की पुस्तक ‘संत साहित्य की समझ’ तथा रमेश पतंगे की पुस्तक ‘महामानव अब्राहम लिंकन’ का लोकार्पण हुआ।

इस अवसर पर राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के अध्यक्ष, डॉ. बल्देव भाई शर्मा ने पुस्तक मेले की उपयोगिता को रेखांकित करते हुए कहा कि ज्ञान पिपासा आज भी जिंदा है और ज्ञान कुंभ में डुबकी लगाकर लाखों पाठक लाभान्वित हो रहे हैं।

आज विदेशी मंडप में बने इवेंट्स कॉर्नर पर रायल कॉलिन्स पब्लिशिंग हाउस (कनाडा) द्वारा प्रकाशित पुस्तकों का विमोचन हुआ, जिसमें डायनामिक्स ऑफ साईकोलॉजिकल गोल, बेल्ट एंड रोड, चीन में एचआईवी, आंकड़ों के पीछे का सच, चीन के आर्थिक विकास की गाथा, अ स्टडी ऑफ मोहिस्ट लॉजिक, चीन में उद्यम-विकास और कु योउ योउ पुस्तकें शामिल थीं।

थीम मंडप में दिल्ली थिएटर समूह के कुमार वीर भूषण तथा उनके समूह द्वारा ‘जीवन हमारा जिम्मेदारी हमारी’ नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया गया। जिसका निर्देशन बबलू झा ने किया तथा आयोजन बाबू शिवजी राय फाउंडेशन द्वारा किया गया। नाटक में कलाकारों ने पर्यावरण प्रदूषित होने के कारणों को प्रस्तुत किया।

बच्चों के लिए बने रोमांचक बाल मंडप में दिनभर बच्चों के विभिन्न कार्यक्रम आयोजन किए गए, जिनमें अनेक विद्यालयों तथा स्वयंसेवी संगठनों से आए बच्चों ने भाग लिया। मंडप में एमिटी यूनिवर्सिटी प्रेस द्वारा ‘यूथ पार्लियामेंट’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें विद्यार्थियों ने ‘इंटरलिंकिंग ऑफ रिवर्स’ विषय पर परस्पर संवाद किया। इसी मंडप में जागो टीन्स द्वारा ‘कठपुतली’ कार्यक्रम के माध्यम से बच्चों को रेडियो एक्टिव रेडिएशन के बारे में बताया गया।

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आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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