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अन्तर्राष्ट्रीय

भ्रष्टाचार मामलों में खालिदा जिया अदालत में पेश

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ढाका। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया भ्रष्टाचार के दो मामलों में सुनवाई के लिए गुरुवार को अदालत के समक्ष पेश हुई। मीडिया रिपोर्ट से यह जानकारी प्राप्त हुई। अदालत ने जिया चैरिटेबल ट्रस्ट एवं जिया ऑर्फेनेज ट्रस्ट भ्रष्टाचार मामलों में सुनवाई के लिए तीन अगस्त की तारीख निर्धारित की है।

भ्रष्टाचार मामलों में कार्यवाही पुराने ढाका स्कूल में स्थापित विशेष अदालत में शुरू की गई। इनमें से एक मामला जुलाई 2008 में दर्ज किया गया था, जिसमें कहा गया था कि खालिदा और उसके बेटे तारिक रहमान सहित अन्य पांच लोगों ने 2001 से 2006 में खालिदा के कार्यकाल के दौरान एक अनाथाश्रम से 2 करोड़ टका यानी 253,164 डॉलर गबन किए थे।

2011 में एक भ्रष्टाचार निरोधी एजेंसी ने खालिदा जिया के दिवंगत पति एवं पूर्व राष्ट्रपति जियाउर रहमान के नाम पर जिया चैरिटेबल ट्रस्ट से 3.15 करोड़ टका यानी 397,435 डॉलर का गबन करने के लिए खालिदा और तीन अन्य के खिलाफ मुकदमा दायर किया था।

अन्तर्राष्ट्रीय

कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

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नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

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