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अन्तर्राष्ट्रीय

भारतीय नौका पर हमले से श्रीलंकाई नौसेना का इंकार

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कोलंबो| श्रीलंका की नौसेना ने सोमवार को उन खबरों का खंडन किया, जिसके मुताबिक उन्होंने कटचाथीवू के निकट एक भारतीय नौका पर हमला किया। काटचाथीवू उत्तरी सागर में एक द्वीप है। रिपोर्ट के मुताबिक, हमला रविवार को हुआ, जिसमें श्रीलंकाई नौसेना के अधिकारियों ने नौका पर पत्थरों व बोतलों से हमला कर दिया, जिसमें एक भारतीय मछुआरा घायल हो गया। नौका में चार मछुआरे सवार थे।

श्रीलंकाई नौसेना के प्रवक्ता अकरम अल्वी ने खबरों का खंडन करते हुए ऐसे किसी भी हमले से इंकार किया।

समाचार एजेंसी सिन्हुआ से अल्वी ने कहा, “यदि इस तरह की दुर्घटना हुई होती, तो नौसेना तत्काल सूचना देती। लेकिन ऐसा कुछ हुआ ही नहीं।”

उल्लेखनीय है कि श्रीलंका की नौसेना ने पिछले सप्ताह श्रीलंकाई क्षेत्र में मछली पकड़ने के आरोप में 14 भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार किया था।

दोनों देश लंबे समय से चले आ रहे मछुआरों के इस मुद्दे के समाधान के प्रयास में लगे हैं, जिसके कारण एक दूसरे के क्षेत्र में मछली मारने के आरोप में गिरफ्तारियां व नौकाओं की जब्ती की घटनाएं सामने आती रही हैं।

अन्तर्राष्ट्रीय

कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

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नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

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