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आध्यात्म

भक्ति धाम मनगढ़ में हजारों लोगों ने सीखी योग विद्या

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भक्ति धाम मनगढ़, वातानुकुलित विशाल सत्संग हाल, अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस, जगद्गुरू श्री श्री 1008 कृपालु जी महाराज, न्यायमूर्ति आर बी मिश्रा

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योग से मन व शरीर होता है स्‍वस्‍थ- जस्टिस मिश्रा

धाम के वातानुकुलित विशाल सत्‍संग हाल में कार्यक्रम आयोजित

कुण्‍डा, प्रतापगढ़। अन्‍तर्राष्‍ट्रीय योग दिवस पर भक्ति धाम मनगढ़ में आश्रम की तरफ से विशाल मण्‍डप के वातानु‍कुलित सत्‍संग हाल में योग क्रिया का सफल व यादगार आयोजन किया गया। जगद्गुरू श्री श्री 1008 कृपालु जी महाराज के चित्र पर माल्‍यापर्ण, आरती व दीप प्रज्‍वलन के साथ कार्यक्रम का शुभारम्‍भ न्‍यायमूर्ति आर बी मिश्रा व प्रदेश शासन के पूर्व मुख्‍य सचिव अतुल कुमार गुप्‍ता के मुख्‍य आतिथ्य में हुआ।

जस्टिस आर बी मिश्रा ने अपने सारगर्भित सम्‍बोधन में कहा कि योग अ‍नादि काल से चली आ रही वैदिक परम्‍परा है। इससे मन व शरीर दोनों स्‍वस्‍थ होते हैं। इसलिये प्रत्‍येक मानव को योग विद्या को सीखना व अपने जीवन में क्रियान्‍वयन करना चाहिये। योग विद्या को संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ ने विश्‍व स्‍तरीय पहचान अन्‍तर्राष्‍ट्रीय योग दिवस के रूप में मान्‍यता देकर दिया है। भारत ने गुरूत्‍तर दायित्‍व का निर्वह्न किया तथा इसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी को जाता है।IMG_8023

ब्रह्मलीन कृपालु जी महाराज को स्‍मरण करते हुये श्री मिश्रा ने कहा कि महाराज का प्रयास हमेशा से रहा था कि प्राकृतिक चिकित्‍सा व योग साधना अपने जीवन में लाएं। आज उनके प्रयास को भारत सरकार ने पहचाना जिससे आयुष मंत्रालय की केन्‍द्रीय योग एवं प्राकृतिक अनुसंधान परिषद आयोजित किया गया। चीफ सेक्रेटरी अतुल कुमार गुप्‍ता ने भी योग विद्या, योग क्रिया तथा योग दिवस पर संक्षिप्‍त संबोधन करते हुए कहा कि योग साधना को प्रत्‍येक साधन को अपनाना चाहिए। इससे उसके मन मस्तिष्‍क का विकास तो होता ही है। राष्‍ट्र व समाज का भी विकास होता है।

योग सृष्टि के आरम्‍भ से ही चला आ रहा है। भक्ति धाम में आयोजित योग शिविर में वेदों द्वारा विर्दिष्‍ट योग संबंधी आठ अंगो में से यम, नियम, आसन, प्रणायाम एवं प्रत्‍याहार यह पांच शरीर संबंधी योग के अंग हैं तथा धारण ध्‍यान एवं समाधि यह तीन आध्‍यात्मिक उन्‍नति के लिए है। अतएव भगवान अथवा किसी महापुरूष का चिन्‍तन और अष्‍टांग योग द्वारा मन को समाधिस्‍थ व निर्विकल्‍प कर दिया जाना ही वास्‍तविक योग है।

कार्यक्रम को सफल व यादगार बनाने के लिए भक्तिधाम मनगढ़ की तरफ जन जागरण कार्यक्रम बीते 18 जून से चलाया जा रहा था। कार्यक्रम की सम्‍पन्‍नता की श्रृंखला में 18 जून को स्‍वास्‍थ प्रश्‍नोत्‍तरी प्रतियोगिता 19 जून को योग प्रश्‍नोत्‍तरी व 20 जून को जीवन में योग की आवश्‍यकता विषय पर भाषण प्रतियोगिता भ आयोजित की गई थी। 21 जून को ‘’योग दौड़’’ विशेष विशेष आकर्षण का केन्‍द्र रहा। योग साधना कार्यक्रम का संचालन डॉ. डी. पी सिंह, डॉ. जैना, डॉ. मोहन्‍ती, डॉ. शिवप्रसाद त्रि‍पाठी, डॉ. आर के त्र‍िपाठी, डॉ. अम्‍बरीष पान्‍डेय, शीतला प्रसाद केसरवानी समेत बड़ी संख्‍या गणमान्‍य लोग मौजूद रहे।

 

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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