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बिहार : भूकंप में मरने वालों की संख्या 52 हुई
पटना। नेपाल से लेकर उत्तर भारत तक को हिला चुके भूकंप में बिहार में मरने वालों की संख्या सोमवार को बढ़कर 52 हो गई है। इस आपदा में 173 लोग घायल बताए जा रहे हैं। भूकंप की आशंका के कारण दो दिनों तक स्कूल बंद कर दिए गए हैं। राज्य सरकार ने प्रत्येक मृतक के परिजन को चार-चार लाख रुपए बतौर मुआवजा देने तथा घायलों को मुफ्त इलाज कराने की घोषणा की है।
राज्य आपदा प्रबंधन विभाग के संयुक्त सचिव सुनील कुमार ने बताया कि भूकंप के कारण हुई क्षति का आकलन करवाया जा रहा है। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) की टीमें बचाव और सर्वेक्षण कार्य में जुटी हुई हैं। पिछले दो दिनों से आ रहे भूकंप के झटकों के कारण लोग अब भी दहशत में हैं। दहशत के कारण लोगों ने खाली स्थानों पर रात गुजारी।
आपदा प्रबंधन विभाग के नियंत्रण कक्ष के अनुसार, भूकंप के कारण राज्य में जानमाल की व्यापक क्षति हुई है। राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में कम से कम 53 मकान गिर गए हैं, जबकि 52 लोगों की मौत हो चुकी है। भूकंप के कारण 173 लोग घायल हैं। सर्वाधिक पूर्वी चंपारण जिले में 11 लोगों की मौत हुई है। भूकंप के मद्देनजर बिहार में सोमवार और मंगलवार को सभी सरकारी और गैर सरकारी विद्यालयों को बंद रखा गया है।
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जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।
इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।
चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।
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