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बिहार चुनाव : ताल ठोकेंगे ‘नए दल’ भी

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पटना, बिहार विधानसभा चुनाव, महागठबंधन, जनता दल (युनाइटेड), भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस, वामदल, हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी , जन अधिकार मोर्चा

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मनोज पाठक

पटना| बिहार विधानसभा चुनाव की तिथि भले ही अभी घोषित नहीं हुई है, लेकिन अक्टूबर-नवंबर में होने वाले बिहार विधानसभा के दंगल में जहां महागठबंधन के साथ सत्तारूढ़ जनता दल (युनाइटेड) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जैसे दल आमने-सामने होंगे, वहीं इस चुनाव में कई ऐसे दल भी ताल ठोकते नजर आएंगे, जिनका खाता अभी विधानसभा में खुलना बाकी है। इसमें कांग्रेस और वामदल जैसी पार्टी भी शामिल हैं, जिन्हें पिछले कुछ चुनावों में बहुत कम सीटों पर संतोष करना पड़ रहा है। इसके अलावा कई ऐसी पार्टियां भी इस चुनाव में मतदाताओं के सामने होंगे, जिनके निजाम कुछ दिनों तक दूसरे दलों में महत्वपूर्ण भूमिका में थे।

हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (हम), राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) तथा जन अधिकार मोर्चा ऐसी नई पार्टियां हैं, जो पहली बार विधानसभा चुनाव में मैदान में होंगी। पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की ‘हम’ व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा तो राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के साथ चुनाव मैदान में उतरने की घोषणा कर चुकी है, परंतु सांसद पप्पू यादव का जन अधिकार मोर्चा अब तक यह तय नहीं कर पाया है कि वह राजग के साथ चुनावी दंगल में उतरेगा या अकेले ही ताल ठोकेगा।

जद (यू) के कई बागी मंत्री, विधायक, पूर्व विधायक मांझी के साथ चले गए। शाहिद अली खान, वृषिण पटेल, विनय बिहारी, नीतीश मिश्रा, अजीत कुमार, रवींद्र राय, जगदीश शर्मा, शकुनी चौधरी, राहुल शर्मा, पूनम देवी, लवली आनंद प्रमुख नाम हैं जो मांझी के साथ हैं। मांझी को भरोसा दलित वोट बैंक पर है। हम के नेता नीतीश मिश्र भी कहते हैं कि बिहार में दलितों का विकास तो नहीं हुआ, परंतु उनके नाम पर राजनीति खूब चमकाई गई। अपने बयानों के लिए चर्चा में रहने वाले मांझी की हम नई पार्टी है और बिहार में पहली बार चुनाव लड़ रही है।

उपेंद्र कुशवाह की रालोसपा पिछले लोकसभा चुनाव में राजग के साथ तीन सीटों पर चुनाव लड़ी और तीनों पर पार्टी की जीत हुई। उपेंद्र को कुशवाहा वोट बैंक पर भरोसा है। कई मौकों पर सीट बंटवारे को लेकर भाजपा को आंख दिखाने वाली रालोसपा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण कुमार भी कहते हैं कि रालोसपा का अपना वोट बैंक है और ज्यादा सीटें मिलने पर राजग को ही फायदा मिलेगा। हालांकि वह यह भी कहते हैं कि राजग में सीट बंटवारे को लेकर कहीं कोई विवाद नहीं है।

इधर, पूर्व केंद्रीय मंत्री नागमणि की समरस पार्टी भी इस चुनाव में तीसरे मोर्चे का दावा करते हुए ताल ठोकने की तैयारी में है। समरस पार्टी भी इस चुनाव में पहली बार चुनाव मैदान में भाग्य आजमाने उतरेगी। कांग्रेस देश में भले ही बड़ी पार्टी हो, परंतु बिहार में इनकी हालत पतली है। लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा चुनाव, लालू प्रसाद और नीतीश कुमार के उदय के बाद इसका जनाधार काफी खिसका है। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सभी 243 सीटों पर अकेले चुनाव मैदान में उतरी थी परंतु चार सीटों पर ही जीत हासिल कर पाई थी।

इस चुनाव में कांग्रेस लालू प्रसाद और नीतीश कुमार की पार्टी यानी राजद और जद (यू) के साथ महागठबंधन में शामिल है। महागठबंधन में कांग्रेस को 40 सीटें मिली हैं। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी का दावा है कि इस बार कम से कम 30 सीटें तो जीतेंगे ही। चौधरी के इस दावे में कितना दम है यह तभी पता चल सकेगा, जब यह साफ होगा कि कौन-कौन सी सीटों पर कांग्रेस अपने उम्मीदवार उतारेगी।

वामपंथी पार्टियों की हालत भी बिहार में बेहतर नहीं मानी जाती। पिछले चुनाव में वाम दलों को मात्र एक सीट से संतोष करना पड़ा था। कहा जाता है कि वाम दलों की रैलियों में भीड़ तो खूब जुटती है, लेकिन भीड़ वोट में तब्दील नहीं हो पाती। मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के प्रदेश सचिव विजयकांत ठाकुर भी मानते हैं कि पिछले चुनावों में वाम दलों की स्थिति कमजोर हुई है, मगर इस चुनाव में स्थिति बदलेगी, क्योंकि सभी वामपंथी दल मिलकर चुनाव मैदान में उतरने जा रही है।

नेशनल

पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य में युवाओं के विकास के सभी रास्ते बंद कर दिए हैं: पीएम मोदी

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कोलकाता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को मालदा में एक चुनावी जनसभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि मेरा बंगाल से ऐसा नाता है जैसे मानो मैं पिछले जन्म में बंगाल में पैदा हुआ था या फिर शायद अगले जन्म में बंगाल में पैदा होना है। इसके साथ ही मोदी ने प्रदेश की सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस पर खूब हमला बोला। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस द्वारा किए गए बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के कारण लगभग 26 हजार परिवारों की शांति और खुशी खत्म हो गई है। पीएम मोदी ने यह बयान कलकत्ता हाईकोर्ट की एक खंडपीठ के हालिया आदेश के संदर्भ में दिया। जिसमें सरकारी स्कूलों में 25 हजार 753 टीचिंग (शिक्षण) और गैर-शिक्षण नौकरियों को रद्द कर दिया गया था।

पीएम मोदी ने आगे कहा, “नौकरियों और आजीविका के इस नुकसान के लिए केवल तृणमूल कांग्रेस जिम्मेदार है। राज्य सरकार ने राज्य में युवाओं के विकास के सभी रास्ते बंद कर दिए हैं। जिन लोगों ने पैसे उधार लेकर तृणमूल कांग्रेस के नेताओं को दिए उनकी हालत तो और भी खराब है।” पीएम मोदी ने राज्य सरकार और सत्तारूढ़ दल पर विभिन्न केंद्र-प्रायोजित योजनाओं के तहत दिए गए केंद्रीय फंड के उपयोग के संबंध में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार करने का भी आरोप लगाया। पीएम ने कहा, केंद्र सरकार ने राज्य के 80 लाख किसानों के लिए 8 हजार करोड़ रुपये उपलब्ध कराए हैं। लेकिन राज्य सरकार बाधा उत्पन्न कर रही है, इसलिए किसानों को राशि नहीं मिल पा रही है। राज्य सरकार सभी केंद्रीय परियोजनाओं के कार्यान्वयन को खराब करने की कोशिश कर रही है। वे राज्य में आयुष्मान भारत योजना लागू नहीं होने दे रहे। हमारे पास मालदा जिले के आम किसानों के लिए योजनाएं हैं। लेकिन मुझे चिंता है कि तृणमूल कांग्रेस के नेता वहां भी कमीशन की मांग करेंगे। पीएम मोदी ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में महिलाओं के यौन उत्पीड़न के लिए जिम्मेदार लोगों को बचाने का प्रयास करने का भी आरोप राज्य सरकार पर लगाया।

उन्होंने कहा कि संदेशखाली में महिलाओं को प्रताड़ित किया गया। मालदा में भी ऐसी ही घटनाओं की खबरें आई थीं। लेकिन तृणमूल कांग्रेस सरकार ने हमेशा आरोपियों को बचाने का प्रयास किया है। पीएम मोदी ने आगे कहा कि कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बीच तुष्टिकरण की राजनीति की प्रतिस्पर्धा चल रही है। एक तरफ तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल में अवैध घुसपैठ को बढ़ावा दे रही है। वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस आम लोगों से पैसा जब्त करने और इसे केवल उन लोगों के बीच वितरित करने की योजना बना रही है जो उनके समर्पित वोट बैंक का हिस्सा हैं। कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस का गुप्त समझौता है।

 

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