आध्यात्म
बिहार के 15 वर्षीय आकाशदीप ने पेंटिंग में दुनिया को दिखाया हुनर
नवादा (बिहार), 14 जनवरी (आईएएनएस)| अगर आप में हुनर हो, तो परिस्थितियां कभी आपको आगे बढ़ने से रोक नहीं सकतीं। बिहार के पिछड़े इलाके, यानी नक्सल प्रभावित नवादा जिले के सिरदला निवासी 10वीं कक्षा के छात्र आकाशदीप ने पेंटिंग में अपने हुनर की बदौलत पूरी दुनिया में अपनी कल्पनाशीलता का न केवल लोहा मनवाया, बल्कि इसी की बदौलत उसे पुरस्कार स्वरूप फरवरी, 2018 में कोरिया में आयोजित होनेवाले विंटर ओलंपिक प्रतियोगिता देखने के लिए आमंत्रित भी किया गया है।
बचपन से ही पेंटिंग और कलाकृति की ओर आकर्षित रहने वाले आकाशदीप ने अपनी पेंटिंग की कल्पनाशीलता से गूगल को भी आकर्षित किया है। वह बताता है कि 14 नवंबर, 2016 को बाल दिवस के अवसर पर ‘गूगल के डूडल’ के लिए प्रतियोगिता आयोजित की गई थी। इस प्रतियोगिता में आकाशदीप ने दूसरा स्थान प्राप्त किया।
उसने बताया कि इस प्रतियोगिता में 22 हजार से ज्यादा प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया था। इसका आयोजन कोरिया और भारत मित्रता चित्रकला के रूप में किया गया था।
आकाशदीप को अपने स्कूल में ही ‘गूगल के डूडल’ के लिए पेटिंग प्रतियोगिता होने की जानकारी मिली थी। उसने इस प्रतियोगिता के लिए जल संरक्षण पर जो पेंटिंग बनाई, वह निर्णायकों को इतनी भा गई कि उन्होंने इस पेंटिंग को द्वितीय पुरस्कार के लिए चुन लिया।
आकाशदीप ने अपनी पेंटिंग में जल संकट और उसके बचाव के शुरुआती तरीके को खूबसूरत और आकर्षित तरीके से उकेरा था, जिसकी प्रशंसा उस समय सभी ने की थी। इस प्रतियोगिता में चयनित होने के बाद उसे दिल्ली के गूगल कार्यालय में सम्मानित भी किया गया।
आकाशदीप के पिता संजय कुमार कहते हैं कि नवादा में प्रारंभिक शिक्षा पाने के बाद आकाशदीप को उन्होंने अच्छी शिक्षा के लिए भेज दिया। आज वह रांची के हीनू स्थित केंद्रीय विद्यालय में दसवीं कक्षा का छात्र है। उसके पिता कार्ड छपाई करते हैं और मां गृहिणी हैं।
संजय बताते हैं, आकाशदीप को पेटिंग से शुरू से गहरा लगाव रहा है। वह स्कूलों में पेटिंग बनाता रहा है। वह रांची के डोरंडा स्थित कलाति स्कूल ऑफ आर्ट्स में पेटिंग भी सीखता है। वह हफ्ते में एक दिन पेटिंग के लिए समय निकालता रहा है।
आकाशदीप कहता है, मेरे पिता कार्ड की छपाई करते हैं। कार्डो में बनी आकृतियां देखकर ही मेरी पेटिंग में रुचि जगी। आज मैं जहां हूं, यह उसी का परिणाम है।
अपने पुत्र को कोरिया जाने के लिए आमंत्रित किए जाने से प्रसन्न संजय कुमार कहते हैं कि यह उनके लिए गौरव की बात है कि उनके बेटे की पेंटिंग्स की सराहना की जा रही है, और उसे कोरिया जाने का अवसर मिल रहा है।
कलाति स्कूल ऑफ आर्ट्स के निदेशक धनंजय कुमार आकाशदीप की उपलब्धि से खुश हैं। धनंजय कहते हैं, आकाशदीप ने इससे पहले भी कई अंतर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय चित्रकला प्रतियोगिता जीत कर अपने हुनर का लोहा मनवाया है। उसने ‘डूडल फॉर गूगल’ प्रतियोगिता जीती थी, जिसमें अपने वर्ग में आकाश को प्रथम पुरस्कार मिला था। वह अब तक 60 से भी अधिक चित्रकला प्रतियोगिताओं में पुरस्कार प्राप्त कर चुका है।
वह बताते हैं कि आकाशदीप की उपलब्धि पर कलाति स्कूल ऑफ आर्ट्स ने उसे स्कॉलरशिप भी दी है।
आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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