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अन्तर्राष्ट्रीय

बान ने मृत्युदंड पर रोक बरकरार रखने की मांग की

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न्यूयार्क| संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की-मून ने पाकिस्तान सरकार से दोषियों को फांसी न दिए जाने और मृत्युदंड पर रोक को बरकरार रखने की मांग की है। ‘द न्यूज इंटरनेशनल’ में शनिवार को प्रकाशित खबरों के अनुसार, बान के प्रवक्ता ने कहा कि महासचिव ने 25 दिसंबर को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से फोन पर बात की और पेशावर स्कूल हमले में प्रभावित हुए लोगों, सरकार और समुदाय के प्रति संवेदना जाहिर की।

पाकिस्तान सरकार की तरफ से मृत्युदंड पर छह साल से लगी रोक को हटाए जाने के फैसले के बाद बान ने यह अपील की है। यह रोक पेशावर स्कूल पर आतंकवादी हमले के बाद हटाई गई, जिसमें 140 से अधिक स्कूल विद्यार्थियों और बच्चों की मौत हो गई।

महासचिव और प्रधानमंत्री ने लोकतंत्र, कानून, स्वतंत्र न्यायपालिका और जनता की भावनाओं का सम्मान करने के महत्व पर प्रकाश डाला।

प्रवक्ता ने कहा कि बान ने नवाज की तरफ से कानूनी मानकों को बरकरार रखने का भरोसा दिलाए जाने का स्वागत किया।

सप्ताह की शुरुआत में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त जीद राद अल हुसैन ने पाकिस्तान सरकार के मृत्युदंड से रोक हटाए जाने की निंदा की थी।

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पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का बयान, ‘पाकिस्तान के इस सैन्य तानाशाह को कब्र से निकालकर फांसी पर लटकाना चाहिए’

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नई दिल्ली। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने नेशनल असेंबली में एक बहस के दौरान कहा कि संविधान को निरस्त करने के लिए अयूब खान के शव को कब्र से निकालकर उसको फांसी पर लटका दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अयूब खान ने संविधान को रद्द करने का जो काम किया था, उसके लिए उनको कभी माफ नहीं किया जा सकता है। आसिफ ने ये कमेंट असेंबली में विपक्ष के नेता और अयूब खान के पोते उमर अयूब खान से बहस के दौरान किया। उमर ने सेना की पिछले सप्ताह की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर सवाल उठाते हुए फौज के राजनीति में हस्तक्षेप पर एतराज जताया था। इसके बाद जवाब में ख्वाजा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी।

इससे पहले उमर अयूब खान ने कहा कि संविधान के अनुसार सुरक्षा एजेंसियां राजनीति में शामिल नहीं हो सकती हैं। उन्होंने संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों का हवाला देते हुए कहा कि सैन्य अधिकारियों की शपथ उन्हें राजनीति में हस्तक्षेप करने की इजाजत नहीं देती। उन्होंने कहा ‘‘सुरक्षा संस्थानों को संविधान के अनुसार, राजनीति में शामिल नहीं होना चाहिए। यह संवाददाता सम्मेलन नहीं होना चाहिए था।’’ उन्होंने अनुच्छेद छह का हवाला देते हुआ कहा कि संविधान को निरस्त करना दंडनीय देशद्रोह है जिसके लिए मौत की सजा तय है। उन्होंने आग्रह किया कि सभी संस्थानों को संवैधानिक सीमाओं के भीतर रहना चाहिए।

रक्षा मंत्री आसिफ ने कहा कि अयूब खान संविधान का उल्लंघन करने वाले पहले व्यक्ति थे और उन्हें अनुच्छेद छह का सामना करने वाला भी पहला व्यक्ति होना चाहिए। रक्षा मंत्री आसिफ ने कहा, “देश में पहला मार्शल लॉ लागू करने वाले झूठे फील्ड मार्शल अयूब खान के शरीर को भी (अनुच्छेद 6 के अनुसार) खोदकर निकाला जाना चाहिए और फांसी दी जानी चाहिए।”

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