अन्तर्राष्ट्रीय
मलेशिया में बाढ़ से 132 हजार लोग प्रभावित
कुआलालंपुर| मलेशिया में बाढ़ से प्रभावित लोगों की संख्या शनिवार को बढ़कर 132,000 से ज्यादा हो गई। मलेशियन स्टार की खबर के अनुसार, अधिकारियों ने कहा कि आठवां राज्य नेगरी सेम्बिलान भी बाढ़ की चपेट में आया गया है।
बाढ़ प्रभावित केलांतन, तेरेंगानू, पहांग, जोहोर और पराक में हालत बदतर हो गए हैं, जबकि पेरलिस और केदाह में हालात में मामूली सुधार हुआ है।
केलांतन में बाढ़ के कारण 55,960 लोगों को राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ी है।
प्रधानमंत्री नजीब तुन रजाक बाढ़ की स्थिति का जायजा लेने के लिए शनिवार को केलांतन का दौरा करने वाले हैं।
तेरेंगानू में भी विस्थापित लोगों की संख्या 35,028 हो गई है। शुक्रवार रात यह संख्या 33,269 थी।
तेरेंगानू नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल की वेबसाइट के अनुसार, कमामन और दुनगुन जिले बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं, जहां क्रमश: 24,912 और 8,678 लोगों को राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ी है।
तेरेंगानू में विस्थापितों को 95 राहत शिविरों में रखा गया है। इस वर्ष राज्य में बाढ़ से अब तक चार लोगों की मौत हो चुकी है। देश में 16 दिसंबर को बाढ़ आई थी।
अन्तर्राष्ट्रीय
कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित
नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।
एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।
कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।
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