अन्तर्राष्ट्रीय
बांग्लादेश में एक और ब्लॉगर की हत्या
ढाका | पूर्वोत्तर बांग्लादेश में मंगलवार को एक ब्लॉगर की हत्या कर दी गई। इस साल इस तरह की यह तीसरी घटना है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि ब्लॉगर अनंत बिजॉय दास पर सिलहट शहर में नकाबपोश लोगों ने मांस काटने वाले चाकू से हमला किया।
एक पुलिस अधिकारी ने कहा, “चार सशस्त्र हमलावरों ने उनपर तब हमला किया, जब वह रिक्शे से जा रहे थे।” दास को अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्होंने दम तोड़ दिया। बीडीन्यूज24 डॉट कॉम की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वह ‘गणजागरण मंच’ के कार्यकर्ता थे, जो इस्लामिक पार्टियों पर प्रतिबंध तथा युद्ध अपराधियों को मौत की सजा देने की मांग करने वाला एक मंच है।
वह एक ब्लॉग ‘मुक्तो मोना’ चलाते थे, जो तर्कवाद का प्रचार एवं कट्टरवाद का विरोध करता है। इस वेबसाइट को दिवंगत ब्लॉगर अविजित रॉय ने शुरू किया था, जिन्हें फरवरी में ढाका विश्वविद्यालय के निकट मौत के घाट उतार दिया गया था। वहीं मार्च में एक और ब्लॉगर वशीकुर रहमान की ढाका में हत्या कर दी गई। इस महीने की शुरुआत में अल कायदा के भारतीय धड़े ने बांग्लादेश में ब्लॉगरों के हत्या की जिम्मेदारी ली थी और उन्हें ईश-निंदक करार दिया था।
अन्तर्राष्ट्रीय
कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित
नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।
एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।
कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।
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