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आध्यात्म

बसंत पंचमी आज, जानिए शुभ मुहूर्त और क्यों होती है मां सरस्वती की आराधना

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माघ शुक्ल पंचमी का दिवस बसंत पंचमी, हमारे धर्म ग्रंथों के अनुसार विद्या और बुद्धि की प्रदाता तथा संगीत की देवी मां सरस्वती के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। बसंत ऋतु में पेड़ों में नई-नई कोंपलें निकलनी शुरू हो जाती हैं। नाना प्रकार के मनमोहक फूलों से धरती प्राकृतिक रूप से सज जाती है। बसंत पंचमी का त्योहार 22 जनवरी 2018 को पूरी श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है।

गीता जी में भगवान श्री कृष्ण कहते हैं : ‘ऋतुनां कुसुमाकर:।’’ अर्थात ऋतुओं में बसंत मैं हूं। वेदों में मां सरस्वती की वंदना में कहा गया है कि यह परम चेतना हैं तथा हमारी बुद्धि, प्रज्ञा एवं मनोवृत्तियों की संरक्षिका हैं। ज्योतिषियों के अनुसार पंचमी तिथि 21 जनवरी रविवार को दिन में 12:28 बजे से प्रारम्भ होकर 22 जनवरी सोमवार को दिन में 12:38 बजे तक विद्यमान रहेगी। इसलिए इस समय तक पूजा अर्चना कर लें। इस दिन गंगा स्नान कर माता सरस्वती का पूजन अर्चन श्रेष्ठ फल दायक होता है।

बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की पूजा इसलिए की जाती है क्योंकि सृष्टि की रचना के बाद सरस्वती देवी ने सभी को वाणी दी थी। ऐसा माना जाता है कि सृष्टि रचियता ब्रह्मा ने जीवों और मनुष्यों की रचना की थी, लेकिन इसके बाद भी वह ब्रह्मा संतुष्ट नहीं थीं. क्योंकि पृथ्वी पर हर तरफ उदासी छाई हुई थी।

तब ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से जल की कुछ बूंदे पृथ्वी पर छिडक़ीं। तब धरती पर गिरने वाली बूंदों से एक प्राकट्य हुआ। यह प्राकट्य चार भुजाओं वाली देवी सरस्वती का था। ब्रह्मा ने चार भुजा वाली देवी सरस्वती से वीणा बजाने का अनुरोध किया। देवी के वीणा बजाने के साथ-साथ संसार के सभी जीव-जन्तुओं को वाणी मिली थी। सरस्वती देवी ने जीवों को वाणी के साथ-साथ विद्या और बुद्धि भी दी, इसलिए बसंत पंचमी के दिन हर घर में सरस्वती की पूजा भी की जाती है।

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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