आध्यात्म
ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्य की प्रतिमा का भूमि पूजन आज
खंडवा, 22 जनवरी (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश के खंडवा जिले के ओंकारेश्वर में आज (सोमवार) आदि शंकराचार्य की अष्टधातु से बनने वाली प्रतिमा का भूमि पूजन होगा। इस मौके पर भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित साधु-संत उपस्थित रहेंगे।
राज्य में सरकार की ओर से धातु संग्रह करने के मकसद से निकाली गई एकात्म यात्रा की पूर्णता सोमवार को ओंकारेश्वर में हो रही है। एकात्म यात्रा राज्य के विभिन्न हिस्सों से निकली और इस यात्रा के दौरान धातु का संग्रह किए जाने के साथ मिट्टी भी जुटाई गई।
आधिाकारिक तौर पर दी गई जानकारी के अनुसार, शाह सुबह सवा 10 बजे नियमित उड़ान से दिल्ली से इंदौर आएंगे और उसके बाद मुख्यमंत्री चौहान के साथ हेलीकॉप्टर से ओंकारेश्वर के लिए रवाना होंगे।
आधिकारिक तौर पर दी गई जानकारी के अनुसार, आज ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्य की अष्ट धातु की विशाल प्रतिमा की स्थापना व आचार्य शंकर संग्रहालय और वेदांत संस्थान का भूमिपूजन कार्यक्रम होगा। इस कार्यक्रम में आसपास के क्षेत्र से आने वाले श्रद्घालुओं की सुविधा के लिए 70 मैजिक वाहनों की व्यवस्था भी जिला प्रशासन द्वारा की गई है। ये वाहन कार्यक्रम में आने वाले श्रद्घालुओं को ओंकारेश्वर बस स्टैंड तथा शहर के विभिन्न स्थानों से नि:शुल्क लाएंगे व ले जाएंगे।
आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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